गुरदासपुर: बुलेट प्रूफ जैकेट्स को भी भेद सकने वाली चीन मेड गोलियां लाए थे आतंकी


आतंकियों के मारे जाने के बाद जो बुलेट्स बरामद की गईं हैं उन्हें टेक्निकली armour-piercing incendiary bullets या एपीआई कहा जाता है। अफसर के मुताबिक ये बुलेट्स बुलेट प्रूफ जैकेट और व्हीकल्स की बॉडी को भेद सकती हैं। इस अफसर ने बताया कि भारत में अब तक हुए टेरेरिस्ट अटैक्स में इस तरह की बुलेट्स कम ही इस्तेमाल की गई हैं। पंजाब पुलिस में करीब 80 हजार अफसर और जवान हैं लेकिन हैरानी की बात यह है कि इतने बड़े स्टाफ के पास केवल 1387 बुलेट प्रूफ जैकेट्स हैं। ये जैकेट्स भी एपीआई बुलेट्स को नहीं झेल सकतीं। एपीआई बुलेट्स का साइज 7.62 एमएम ही होता है लेकिन इनका ठीक सामने वाला छोर (प्रोजेक्टाइल्स) बेहद हार्ड और नुकीला होता है जो 0.7 इंच स्टील को भी भेद सकता है। खास बात यह है कि बुलेट प्रूफ जैकेट बनाने में 0.7 इंच स्टील फ्रेम का ही यूज किया जाता है।
चीन में मैन्युफेक्चर्ड
गोलियों की जांच के बाद पता लगा कि इन पर हेडस्टाम्प पर 71 लिखा है। दरअसल, हेडस्टाम्प से ही मैन्युफेक्चरिंग कंपनी या देश का पता लगता है। 71 नंबर चीन के लिए इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि अब तक ये साफ नहीं हो पाया है कि गुरदासपुर के एसपी बलजीत सिंह की मौत इसी गोली की वजह से हुई या नहीं। एक पुलिस इंस्पेक्टर को जो गोली लगी है उसके बारे में जरूर ये माना जा रहा है कि वह एपीआई बुलेट ही है। डॉक्टरों का कहना है कि उसे पूरी तरह ठीक होने में करीब छह महीने लगेंगे।
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