गूगल के हेर-फेर के बाद सुंदर पिचाई बने नए सीईओ

न्यूयार्क। गूगल के एग्जेक्युटिव स्ट्रक्चर में हुए बड़े फेरबदल के बादभारत में जन्मे सुंदर पिचाई को गूगल का नया सीईओ नामित किया गया है। कंपनी के सह-संस्थापक लैरी पेज ने आईआईटी के विद्यार्थी रह चुके पिचाई की ‘लगन और समर्पण’ की सराहना करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि पिचाई कंपनी की कमान संभालें।
एक चौंकाने वाले पुनर्गठन की कवायद में पेज ने नई मूल कंपनी अल्फाबेट के गठन की घोषणा की जो शेयर बाजार में गूगल का स्थान लेगी और गूगल के सभी शेयर स्वत: ही अल्फाबेट के शेयरों में परिवर्तित हो जाएंगे। इन शेयरों के अधिकार भी जस के तस रहेंगे। गूगल, अल्फाबेट के अधीन काम करेगी और अल्फाबेट के सीईओ पेज व अध्यक्ष सर्गे ब्रिन होंगे।
पिचाई ने आईआईटी, खड़गपुर से बीटेक, स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी से इंजिनियरिंग व मटीरियल साइंस में एमएससी और वार्टन स्कूल से एमबीए की है। 43 वर्षीय पिचाई इससे पहले गूगल के इंटरनेट कारोबार के प्रॉडक्ट व इंजिनियरिंग के प्रभारी थे। वह गूगल में 2004 में उपाध्यक्ष (प्रॉडक्ट मैनेजमेंट) के तौर पर शामिल हुए जहां उन्होंने गूगल के क्रोम ब्राउजर और आपरेटिंग सिस्टम पर काम करने वाली टीम की अगुवाई की। माइक्रोसाफ्ट के सीईओ सत्य नडेला, गूगल के कार्यकारी चेयरमैन एरिक श्मित एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र के अन्य कार्यकारियों ने उन्हें गूगल का नया सीईओ बनने पर बधाई दी। श्मित ने ट्विटर पर कहा, ‘सुंदर के विजन को लेकर सचमुच उत्साहित हूं। वह एक महान सीईओ साबित होंगे। मूल कंपनी का नया नाम अल्फाबेट जबरदस्त है।नडेला ने भी ट्विटर पर कहा, ‘सुंदर पिचई इस पद के लायक हैं.. उन्हें बधाई।’ गूगल मैप्स के सह-निर्माता, फेसबुक के पूर्व मुख्य टेक्नॉलजी ऑफिशल और क्विप के को-फाउंडर ब्रेट टेलर ने भी पिचाई को बधाई दी। पिचाई भारतीय मूल के उन दिग्गजों में शामिल हो गए हैं जो अरबों डालर की अमेरिकी कंपनियों की अगुवाई कर रहे हैं। इससे पहले, पिछले वर्ष फरवरी में सत्य नडेला को माइक्रोसाफ्ट का सीईओ नामित किया गया था। पेप्सिको की सीईओ भी भारतीय मूल की इंद्रा नूयी हैं, जबकि मास्टरकार्ड को अजय बंगा नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं। वहीं भारतीय मूल के राजीव सूरी को नोकिया का सीईओ बनाया गया है। अंशु जैन हाल तक डॉयशे बैंक के सह-सीईओ थे। गूगल के पुनर्गठन के उपरांत खोज, विज्ञापन, मैप्स, यूट्यूब और कंपनी का मोबाइल आपरेटिंग सिस्टम ऐंड्रॉयड गूगल के अधीन रहेगा। वहीं मूल कंपनी अल्फाबेट के पास गूगल, फाइबर, गूगल वेंचर्स और गूगल कैपिटल एवं इनक्यूबेटर परियोजनाएं जैसे गूगल एक्स होंगे। साथ ही इसके पास एक्स लैब भी होगा।
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