ग्राम प्रधान चुनाव टालने पर HC ने पूछा क्‍यों न यूपी में की जाए राष्ट्रपति शासन की सिफारिश

ग्राम प्रधान चुनाव समय से न करवाने पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच का सख्‍त रूख

highocurt_14तहलका एक्सप्रेस

लखनऊ। हाईकोर्ट ने बुधवार को प्रदेश में पंचायत चुनावों में लेकर हो रही देरी पर राज्य सरकार और केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए बहुत ही तल्ख़ टिप्पणी की है। एक याचिका की सुनवाई करते हुए इलाहबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा कि पंचायत चुनाव पांच साल के अंदर न करवाने की वजह से संवैधानिक संकट पैदा हो गया है. जिसके बाद कोर्ट ने राज्य सरकार के महाधिवक्ता को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है।
कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी करते हुए कहा है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश क्यों न कि जाए। दरअसल मामला प्रदेश में ग्राम पंचायत के प्रधान पद के चुनाव को टालने का है. एक जनहित याचिका में जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत चुनाव कराये जाने और प्रधान और सदस्य पद के चुनाव स्थगित करने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती दी गई थी।
गौरतलब हैं कि याचिका में 5 सितम्बर को पंचायतीराज के द्वारा जारी शासनादेश को चुनौती दी गई है. याचिका के अनुसार उत्तर प्रदेश पंचायती राज विभाग ने ग्राम प्रधानों और ग्राम सभा सदस्यों के आरक्षण को अगला आदेश आने तक स्थगित कर दिया गया है. जिला पंचायत अध्यक्षों के आरक्षण की सूची जारी कर दी गई है, बीडीसी चुनाव भी अपने तय समय पर ही होंगे।
जबकि संविधान के प्रावधान के अनुरूप प्रधानों का 5 वर्ष का कार्यकाल 7 नवंबर को पूरा हो रहा हैं और जबकि जिला पंचायतों का कार्यकाल 17 जनवरी 2016 तक ख़त्म होगा. क्षेत्र पंचायतों का कार्यकाल 13 मार्च तक पूरा होगा. इसलिए नियमानुसार पहले ग्राम प्रधान पद के चुनाव होने चाहिए।
याची में प्रधान का कार्यकाल पूरा होने के बाद छह माह तक प्रशासकों की तैनाती के प्रावधान की वैधता को चुनौती दी गई है. साथ ही सभी पंचायत चुनाव एक साथ नियत समय पर कराने की अपील की गई है।
प्रधानी के चुनाव टालने के पीछे सरकार आरक्षण तय करने में आ रही मुश्किलों को कारण बता रही है लेकिन जानकारों का मत है कि सरकार का लक्ष्य है पुराने प्रधानों के सहारे विधान परिषद में बहुमत हासिल करना, क्योंकि प्रदेश की प्राधिकार क्षेत्र की 36 विधान परिषद सीटों का कार्यकाल जनवरी 2016 में खत्म हो रहा है. विधान परिषद सदस्यों का निर्वाचन, पहले से चुने हुए सदस्य ही करते हैं, जिनमें ग्राम प्रधानों की भूमिका बहुत अहम होती है।

 

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