ग्रीस ने मंदी का डर: मांगा 2.21 लाख करोड़ का नया कर्ज, सूडान से भी खराब हालत


…लेकिन आईएमएफ ने तकनीकी तौर पर नहीं माना डिफॉल्टर
कर्ज न चुका पाने वाला ग्रीस तकनीकी तौर पर अब भी डिफॉल्टर नहीं है। आईएमएफ ने ग्रीस के लिए ‘ग्रीस इन एरियर्स’ जैसी शब्दावली इस्तेमाल की है।
कर्ज न चुका पाने वाला ग्रीस तकनीकी तौर पर अब भी डिफॉल्टर नहीं है। आईएमएफ ने ग्रीस के लिए ‘ग्रीस इन एरियर्स’ जैसी शब्दावली इस्तेमाल की है।
‘ग्रीस में इस साल आएगी मंदी’
ग्रीस ने दो साल के लिए नया कर्ज मांगा है। यह बीते पांच साल में तीसरा मौका है, जब ग्रीस ने कर्ज मांगा है। रेटिंग एजेंसियों ने ग्रीस की रेटिंग घटाते हुए हुए अनुमान लगाया है कि इस साल यह देश मंदी की चपेट में आ जाएगा। हालांकि, क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां ग्रीस को डिफॉल्टर नहीं मान रही हैं क्योंकि उसे कर्ज देने वाला आईएमएफ कॉमर्शियल कर्जदाता नहीं है।
ग्रीस ने दो साल के लिए नया कर्ज मांगा है। यह बीते पांच साल में तीसरा मौका है, जब ग्रीस ने कर्ज मांगा है। रेटिंग एजेंसियों ने ग्रीस की रेटिंग घटाते हुए हुए अनुमान लगाया है कि इस साल यह देश मंदी की चपेट में आ जाएगा। हालांकि, क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां ग्रीस को डिफॉल्टर नहीं मान रही हैं क्योंकि उसे कर्ज देने वाला आईएमएफ कॉमर्शियल कर्जदाता नहीं है।
जनमत संग्रह टालने पर विचार
ग्रीस की सत्ताधारी वामपंथी पार्टी सिरिजा के नेता कर्जदाताओं से नया कर्ज मांगने के बाद रविवार होने वाले जनमत संग्रह पर नए सिरे से विचार कर रहे हैं। जनमत संग्रह में ग्रीस के लोग इस बात पर फैसला कर सकते हैं कि उनका देश कर्जदाताओं के उस ऑफर को स्वीकार करेगा या नहीं, जिसमें नए सिरे से कर्ज देने की बात कही गई थी। ग्रीस की सत्ताधारी पार्टी के नेताओं को लगता है कि उनकी सरकार की तरफ से नया कर्ज मांगने के बाद ज्यादातर लोग कर्ज के ऑफर को लेकर हां में ही जवाब देंगे। यही वजह है कि उनकी नजर में जनमत संग्रह की खास अहमियत नहीं रह गई है। जनमत संग्रह के नतीजे यह भी तय कर सकते हैं कि ग्रीस यूरोजोन में रहेगा या नहीं। यूरोजोन के तहत यूरोप के 19 देश आते हैं, जिनकी मुद्रा यूरो है। जर्मनी जैसा देश पहले ही कह चुका है कि जनमत संग्रह के नतीजे आने से पहले वह ग्रीस की मदद नहीं करेगा।
ग्रीस की सत्ताधारी वामपंथी पार्टी सिरिजा के नेता कर्जदाताओं से नया कर्ज मांगने के बाद रविवार होने वाले जनमत संग्रह पर नए सिरे से विचार कर रहे हैं। जनमत संग्रह में ग्रीस के लोग इस बात पर फैसला कर सकते हैं कि उनका देश कर्जदाताओं के उस ऑफर को स्वीकार करेगा या नहीं, जिसमें नए सिरे से कर्ज देने की बात कही गई थी। ग्रीस की सत्ताधारी पार्टी के नेताओं को लगता है कि उनकी सरकार की तरफ से नया कर्ज मांगने के बाद ज्यादातर लोग कर्ज के ऑफर को लेकर हां में ही जवाब देंगे। यही वजह है कि उनकी नजर में जनमत संग्रह की खास अहमियत नहीं रह गई है। जनमत संग्रह के नतीजे यह भी तय कर सकते हैं कि ग्रीस यूरोजोन में रहेगा या नहीं। यूरोजोन के तहत यूरोप के 19 देश आते हैं, जिनकी मुद्रा यूरो है। जर्मनी जैसा देश पहले ही कह चुका है कि जनमत संग्रह के नतीजे आने से पहले वह ग्रीस की मदद नहीं करेगा।
चीन को छोड़कर एशियाई बाजार संभले
ग्रीस संकट के बावजूद बुधवार को चीन को छोड़कर एशिया के अन्य शेयर बाजार कुछ हद तक संभल गए।
ग्रीस संकट के बावजूद बुधवार को चीन को छोड़कर एशिया के अन्य शेयर बाजार कुछ हद तक संभल गए।
ताजा संकट का ग्रीस पर कितना पड़ा असर?
ग्रीस छोटा देश है। इसकी दुनिया के जीडीपी में हिस्सेदारी सिर्फ 0.5% है। ताजा संकट के कारण ग्रीस अपनी नेशनल इनकम का एक चौथाई हिस्सा खो चुका है। युवाओं की बेरोजगारी दर 50% और देश की कुल औसत बेरोजगारी दर 26% हो चुकी है। वह 76 अरब यूरो का टैक्स वसूल नहीं कर पाया है। 2015 के शुरुआती 6 महीनों के अंदर 8500 स्मॉल और मीडियम बिजनेस बंद हो चुके हैं। 2015 में ग्रीस का जीडीपी 2009 के मुकाबले 25% कम माना जा रहा है।
ग्रीस छोटा देश है। इसकी दुनिया के जीडीपी में हिस्सेदारी सिर्फ 0.5% है। ताजा संकट के कारण ग्रीस अपनी नेशनल इनकम का एक चौथाई हिस्सा खो चुका है। युवाओं की बेरोजगारी दर 50% और देश की कुल औसत बेरोजगारी दर 26% हो चुकी है। वह 76 अरब यूरो का टैक्स वसूल नहीं कर पाया है। 2015 के शुरुआती 6 महीनों के अंदर 8500 स्मॉल और मीडियम बिजनेस बंद हो चुके हैं। 2015 में ग्रीस का जीडीपी 2009 के मुकाबले 25% कम माना जा रहा है।
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