चपरासी की नोकरी से लेकर अंडरवर्ल्ड तक इब्राहीम मुश्ताक कैसे बना टाइगर मेमन

तहलका एक्सप्रेस प्रतिनिधि, बेबाक राशिद सिद्दकी
मुंबई धमाकों के दोषी याकूब मेमन को भले ही फांसी दे दी गई हो लेकिन धमाकों का मुख्य साजिशकर्ता उसका बड़ा भाई टाइगर मेमन अभी भी आजाद घूम रहा है। सीबीआई द्वारा दायर चार्जशीट के मुताबिक टाइगर के निर्देशों पर अमल करते हुए याकूब ने धमाकों में इस्तेमाल गाड़ियों को खरीदा और पैसों का इंतजाम किया था। इन दोनों के अलावा अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और उसका छोटा भाई अनीस इब्राहिम भी धमाकों का मास्टरमाइंड माना जाता है। आज हम आपको टाइगर मेमन की पूरी कहानी बताने जा रहा है।
चपरासी की नौकरी करता था
24 नवंबर 1960 को जन्मे इब्राहीम मुश्ताक अब्दुल रजाक नादिम मेमन को अंडरवर्ल्ड की दुनिया में ‘टाइगर मेमन’ के नाम से जाना जाता है। अपने मां-बाप और पांच छोटे भाइयों संग उसका बचपन दक्षिण मुंबई के मोहम्मद अली रोड इलाके में बनी कड़ीया बिल्डिंग के एक कमरे के फ्लैट में बीता। मुश्ताक के पिता अब्दुल रजाक वेल्डिंग का काम करते थे। उसने मुंबई के स्माइल बेग मोहम्मद स्कूल से दसवीं तक की पढ़ाई पूरी की। घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के चलते मुश्ताक ने पढ़ाई बीच में ही छोड़ कर मुंबई के मेमन कोआपरेटिव बैंक में बतौर चपरासी काम शुरू किया। लेकिन वहां भी वह ज्यादा दिनों तक वह टिक नहीं सका। चाय लाने के विवाद के बाद उसने अपने बैंक मैनेजर की पिटाई कर दी, जिसके बाद उसे नौकरी से निकाल दिया गया।
ऐसे मिला ‘टाइगर’ का नाम
नौकरी छोड़ने के बाद मुश्ताक की मुलाकात स्मगलर मोहम्मद मुश्तफा दौसा से हुई। उसने उसे अपना ड्राइवर रख लिया। दौसा के साथ काम करते हुए मुश्ताक दुबई के स्मगलर याकूब भट्टी से मिला और उसने उसे अपना कैरियर रख लिया। अब मुश्ताक को दुबई से सोना स्मगलिंग करने का काम मिल गया था। इसी दौरान मुश्ताक पाकिस्तानी स्मगलर तौफीक जलियांवाला के संपर्क में आया और सिर्फ एक साल के भीतर मुश्ताक मुंबई का बड़ा गोल्ड स्मगलर बन गया।अपनी दिलेरी के लिए पूरी मुंबई में फेमस मुश्ताक को स्मगलिंग की दुनिया में ‘टाइगर’ के नाम से पुकारा जाने लगा।
क्यों रची धमाकों की साजिश
मुंबई में हुए एक दंगे के दौरान टाइगर मेमन द्वारा शुरू की गई तिजारत इंटरनेशनल कंपनी को आग के हवाले कर दिया गया। इसी बात से नाराज टाइगर ने मुंबई में बम धमाका करने की प्लानिंग शुरू की। इसे अंजाम देने के लिए टाइगर ने पाकिस्तानी स्मगलर तौफीक जलियांवाला, अनीस इब्राहीम, मुश्तफा दौसा, आईएसआई से जुड़े कुछ अधिकारी और अरब के कई रईस व्यापारियों संग दुबई में एक मीटिंग की। खुफिया सूत्रों की माने तो टाइगर को इस मीटिंग का निर्देश दाऊद इब्राहिम से मिला था।
हवाई जहाज को बम से उड़ाने की रची साजिश
मीटिंग में बाल ठाकरे और कई हिन्दू नेताओं की हत्या को लेकर प्लानिंग शुरू हुई लेकिन बाद में इसे पूरी मुंबई को बम धमाकों से दहलाने को साजिश पर अंतिम मोहर लगी। मुंबई में सिलसिलेवार धमाकों से पहले टाइगर मुंबई के सहर एअरपोर्ट पर खड़े हवाई जहाज को ग्रेनेड से उड़ाना चाहता था। हमले को अंजाम देने के लिए टाइगर ने एक टीम भी बनाई थी, इसी टीम के एक सदस्य और मुंबई धमाकों के एक अन्य आरोपी नासिर अब्दुल कदर केवल ने पकड़े जाने के बाद यह खुलासा किया था। नासिर के मुताबिक आईएसआई से मिले निर्देशों के बाद टाइगर ने अपनी प्लानिंग बदल दी और हवाईजहाज की जगह मुंबई के अलग-अलग स्थानों पर हमले की प्लानिंग को अंजाम देने का काम शुरू हुआ। इन सबके अलावा टाइगर का नाम तेल रिफाइनरी पर हमले की साजिश रचने को लेकर भी सामने आया था लेकिन इस बात के सबूत नहीं मिले।
पाकिस्तान से लाया धमाकों का सामान
मुंबई में सिलसिलेवार धमाकों को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान से पैसे और हथियार दिलाने की जिम्मेदारी तौफीक जलियांवाला को सौंपी गई और उसे बॉर्डर से मुंबई तक लाने के लिए और लोगों का इंतजाम करने की जिम्मेदारी टाइगर मेमन को दी गई। सीबीआई के मुताबिक टाइगर मेमन धमाकों में इस्तेमाल किए गए हैंड ग्रेनेट, डेटोनेटर और विस्फोटक पदार्थों बाहर से मुंबई में लाया था। इस घटना में शामिल अभियुक्तों को प्रशिक्षण देने में पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
पाकिस्तान और मुंबई में दी गई ट्रेनिंग
पुलिस के मुताबिक टाइगर मेमन ने फरवरी और मार्च 1993 के बीच कई लोगों को हथियार, बम और रॉकेट लांचर चलाने की ट्रेनिंग लेने के लिए पाकिस्तान भेजा था। इनमें फारुक मुहम्मद, शाहनवाज अब्दुल कादर कुरैशी, जाकिर हुसैन नूर मोहम्मद शेख, अब्दुल खान, अकरम अमानी मलिक सहित कई लोगों का नाम शामिल था, यह सभी धमाकों में अभियुक्त भी थे। सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक 1993 में टाइगर मेमन ने कई लोगों को सधेरी और बोरघट में भी ट्रेनिंग के लिए भेजा। 11 मार्च 1993 को टाइगर के घर पर ही वाहनों में आरडीएक्स लोड किया गया था जिन्हें अलग-अलग जगह पर पार्क किया गया और धमाकों को अंजाम दिया गया।
प्रेमिका से मिला सुराग
बेहद सावधानी से धमाकों को अंजाम तक पहुंचाने के बावजूद धमाके में इस्तेमाल एक गाड़ी की पड़ताल के बाद मेमन परिवार का नाम इस धमाके में आया। इस गाड़ी का रजिस्ट्रेशन टाइगर की भाभी के नाम से था। बस यही कड़ी थी जो मेमन परिवार को पुलिस के सामने ले आयी थी। रजिस्ट्रेशन पेपर्स के बल पर उनकी खोज हुई तो पता चला कि मेमन परिवार धमाकों वाले दिन सुबह ही दुबई चला गया था। इसके बाद मामले में जांच कर रही पुलिस को टाइगर की प्रेमिका सोमा लाला के बारे में जानकारी मिली। पुलिस ने सोमा को गिरफ्तार कर उससे टाइगर और उसके दोस्तों के बारे में जानकारी इकठ्ठा की। सूत्रों की माने तो याकूब को चार्टर्ड एकाउंटेंट बनाने और उसकी पढाई का पूरा खर्चा भी टाइगर ने उठाया था। इस पूरी साजिश को अंजाम देकर टाइगर देश छोड़कर फरार हो गया था। वह अब भी पुलिस की गिरफ्त से अभी बाहर है।
कहां है टाइगर मेमन
खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक टाइगर मेमन वर्तमान समय में कराची में आईएसआई की सरपरस्ती में रह रहा है। वह ज्यादातर समय दुबई और पाकिस्तान में बिताता है और वहां के लोग उसे एक व्यापारी के रूप में जानते हैं। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि टाइगर और दाऊद इब्राहिम दोनों साथ मिलकर काम कर रहे हैं या टाइगर ने अपना अलग गैंग बना लिया है। सूत्रों के मुताबिक टाइगर वर्तमान समय में रियल एस्टेट और मीट एक्सपोर्ट के बिजनेस को फैलाने के काम में जुटा हुआ है।टाइगर अंतरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संस्था इंटरपोल और सीबीआई दोनों की लिस्ट में मोस्टवांटेड है। वर्तमान समय में उसे ‘डी’ कंपनी का अहम् सदस्य माना जाता है।
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