चीन की एंट्री से फिर गरमाएगा भारत-पाकिस्तान के सिंधु नदी पर डैम का विवाद?

इस्लामाबाद। पाकिस्तान सरकार की गिलगिट बाल्टिस्तान इलाके में सिंधु नदी पर डैम बनाने की एक परियोजना को लेकर फिर तनाव खड़ा हो सकता है। पाक सरकार ने दियामेर-बाशा डैम बनाने में अब चीन की तरफ भी मदद की आशा भरी निगाहों से देखा है। पाकिस्तान को उम्मीद है कि काफी समय से लंबित इस प्रॉजेक्ट को चीन की तरफ से फंड मिलेगा। इस डैम को लेकर भारत की आपत्तियां हैं । यही वजह है कि कोई भी अंतरराष्ट्रीय एजेंसी इसे फंडिंग करने के लिए तैयार नहीं है।

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के योजना मंत्री अहसन इकबाल ने एक इंटरव्यू के दौरान इसकी पुष्टि की है। दरअसल पाकिस्तान को यह उम्मीद चीन के नई ‘वन बेल्ट वन रोड’ नीति के बाद से जगी है। चीन इसके तहत आधुनिक सिल्क रोड बनाना चाहता है जो एशिया को यूरोप और अफ्रीका से जोड़ते हुए व्यापार के लिए नई राह खोलेगा।

12 से 14 बिलियन डॉलर के दियामेर-बाशा डैम प्रॉजेक्ट से 4500 मेगावॉट बिजली के उत्पादन का अनुमान है। इसके अलावा यह पाकिस्तान में सिंचाई की समस्या को दूर करने के लिए भी अहम है। भारत को सिंधु नदी बेसिन के इस प्रॉजेक्ट पर गहरी आपत्ति है। भारत की आपत्तियों का ही नतीजा है कि वर्ल्ड बैंक समेत कोई भी अंतरराष्ट्रीय एजेंसी इस प्रॉजेक्ट को फंड देने के लिए तैयार नहीं है।

चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) में पाक का नेतृत्व करने वाले अहसन इकबाल ने बताया कि इसके लिए एक चीनी कंपनी का भी चुनाव हो गया है। कंपनी अपने स्थानीय पार्टनर के साथ मिलकर 10 सालों में डैम का निर्माण पूरा करेगी। पाकिस्तान तो इतना उत्साहित है कि उसने घोषणा भी कर दी है कि अगले वित्तीय वर्ष यानी जुलाई से ही इसका निर्माण शुरू हो जाएगा।

भारत शुरुआत से ही सिंधु नदी घाटी में ऐसे किसी भी निर्माण का विरोध करता रहा है। भारत ने CPEC पर भी अपना विरोध जताया है। 57 बिलियन डॉलर का यह कॉरिडोर भारत-पाक के बीच विवादित इलाकों से गुजरने वाला है। यही वजह है कि भारत इसे किसी कीमत पर स्वीकार करने को तैयार नहीं है।

 

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