चीन के लिए गले की हड्डी बन गया डोकलाम!

पेइचिंग। ब्रिक्स देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में भाग लेने पहुंचे भारतीय NSA अजीत डोभाल और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच डोकलाम मुद्दे को लेकर हुई बातचीत बेनतीजा रही। डोकलाम को लेकर पिछले 2 महीने से भारत और चीन के बीच गतिरोध बना हुआ है। सूत्रों के मुताबिक, डोभाल के साथ हुई बातचीत में भी इस विवाद को खत्म करने का कोई हल नहीं निकल सका है। डोकलाम में जारी विवाद चीन के राजनैतिक नेतृत्व के लिए भी गले की हड्डी बनता जा रहा है। ईस्ट और साउथ चाइना सी में तमाम अंतरराष्ट्रीय दबाव को खारिज कर अपनी मनमर्जी चलाने वाले चीन का दबाव भारत पर बेअसर रहा है। भारत डोकलाम से एक इंच भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। ऐसे में चीन की सरकार पर डोकलाम को लेकर आंतरिक दबाव बढ़ता जा रहा है। इसी साल के अंत तक चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी का एक अहम सम्मेलन भी होने वाला है। पार्टी में एक धड़ा ऐसा है, जो सैन्य संघर्ष के रास्ते डोकलाम मसले का हल निकालने की मांग कर रहा है। इस सबके कारण यहां लीडरशिप पर काफी दबाव बढ़ गया है।

चीन के रुख में आई है हल्की तब्दीली, लेकिन जारी है गतिरोध
1 अगस्त को पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के 90 साल पूरे हो रहे हैं। चीन मांग कर रहा था कि भारत इस तारीख से पहले डोकलाम से बाहर निकल जाए। चीनी विश्लेषकों का मानना है कि पेइचिंग के रुख में आया यह बदलाव कायम रहने की संभावना है। डोभाल के साथ हुई बातचीत इसी नर्मी का संकेत है। चिनफिंग और डोभाल की बैठक में इस मुद्दे का कोई हल भले ही न निकला हो, लेकिन लगातार चल रही तनातनी के बाद आई यह थोड़ी सी शांति शायद दोनों पक्षों के नेताओं के लिए आपसी सहमति से कोई रास्ता निकालने में मददगार साबित हो। नाम गुप्त रखे जाने की शर्त पर एक चीनी विश्लेषक ने बताया, ‘दोनों पक्षों की ओर से दिखाई जा रही आक्रामकता में कमी आने के कारण शायद दोनों देशों को इस मामले का समाधान तलाशने में मदद मिले। यह कोई आसान काम नहीं है। दोनों ही तरफ भड़काऊ बयान देने वाले लोग हैं।’

साउथ-ईस्ट चाइना सी में जोर चलाने वाला चीन डोकलाम में पड़ा नर्म
पूर्वी चीन सागर क्षेत्र में जिन द्वीपों को लेकर पेइचिंग का जापान के साथ विवाद है, उनपर उसने एयर फ्लाइट कंट्रोल जोन लागू कर दिया है। साथ ही, अमेरिका द्वारा विरोध किए जाने के बाद भी चीन ने साउथ चाइना सी के विवादित हिस्सों में कृत्रिम द्वीपों का निर्माण कराया। इस पूरे मामले में चीन के ऊपर जबर्दस्त अंतरराष्ट्रीय दबाव है, लेकिन इसके बावजूद वह अपने आक्रामक रुख पर कायम है। ऐसे में भारत चीन के दबाव के आगे न झुकते हुए डोकलाम से एक इंच भी पीछे नहीं खिसकने को लेकर अड़ा हुआ है। चीन की सरकार की मुश्किल यह है कि ईस्ट और साउथ चाइना सी में तमाम विरोधों को नजरंदाज करते हुए वह अपने दावे पर अड़ा हुआ है, लेकिन डोकलाम पर भारत उसे हावी नहीं होने दे रहा है।

चीनी सरकार को घरेलू राजनीति में परेशान कर सकता है डोकलाम विवाद
डोकलाम का विवाद बहुत तेजी से चीनी नेताओं के लिए घरेलू मोर्चे पर एक गंभीर समस्या का रूप लेता जा रहा है। सरकार को कम्युनिस्ट पार्टी के अंदर मौजूद युद्ध समर्थकों से भी निपटना है। सूत्रों के मुताबिक, यह धड़ा भारतीय सैनिकों को ‘जबरन’ डोकलाम से निकाले जाने की मांग कर रहा है। चीन के राष्ट्रपति चिनफिंग के लिए यह काफी अहम वक्त है। आने वाले दिनों में कम्युनिस्ट पार्टी की एक महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है, जहां पर सरकार और पार्टी के अहम पदों के लिए लोगों का चुनाव किया जाएगा। दूसरी तरफ उत्तर कोरिया से लगी अपनी सीमा पर भी चीन के सामने जोखिम की स्थिति है। प्योंगयांग की ओर से किसी अप्रत्याशित और खतरनाक कार्रवाई की आशंका के मद्देनजर चीन ने यहां अपनी सैन्य मौजूदगी को काफी बढ़ा दिया है।

 

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