चीन ने तैयार किया बांग्‍लादेश की बर्बादी का प्‍लान

ढाका। पिछले वर्ष अक्‍टूबर में चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग अपनी बांग्‍लादेश की यात्रा पर गए थे। यहां पर चीन ने बांग्‍लादेश की सूरत बदलने के मकसद से बड़े पैमाने पर कई इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर प्रोजेक्‍ट्स के लिए कर्ज दिया। लेकिन इसी दौरे पर चीन ने बांग्‍लादेश की बर्बादी का एक ऐसा प्‍लान तैयार कर डाला था, जिसके बारे में उसने कभी नहीं सोचा होगा।

चीन ने बांग्‍लादेश को ऑफर दिया है कि वह सॉफ्ट लोन को कमर्शियल क्रेडिट में बदल दे। सॉफ्ट लोन को क्रेडिट में बदलने पर बांग्‍लादेश को कर्ज के लिए बहुत ही ऊंची ब्‍याज दरें अदा करनी होंगी। पिछले वर्ष अक्‍टूबर में चीनी राष्‍ट्रपति जिनपिंग, ढाका पहुंचे थे और यहां पर बांग्‍लादेश ने चीन के साथ करीब ढाई दर्जन प्रोजेक्‍ट्स के लिए 25 बिलियन डॉलर की डील साइन की थीं।

लोन को बदलने का प्रस्‍ताव ढाका में चीनी काउंसलर में बतौर आर्थिक और वाणिज्यिक काउंसलर तैनात ली गुआनगुंजुन की ओर से यह प्रस्‍ताव हाल ही में ज्‍वॉइन्‍ट इकोनॉमिक काउंसिल के दौरान दिया गया। वहीं बांग्‍लादेश की ओर से इस प्रस्‍ताव का विरोध हो रहा है। चीन का कहना है कि इस बात का वादा नहीं किया गया था कि सभी प्रोजेक्‍ट्स जिन पर राष्‍ट्रपति के दौरे पर साइन हुआ था, उन्‍हें जी2जी यानी गर्वनमेंट टू गवर्नमेंट के आधार पर लागू किया जाएगा। इसलिए चीन की ओर से सॉफ्ट लोन को कमर्शियल बेसिस पर बदलने का प्रस्‍ताव दिया गया।

34 प्रोजेक्‍ट्स के लिए 25 बिलियन डॉलर उनका कहना था कि साधारणतौर पर इस तरह के समझौते राष्‍ट्राध्‍यक्षों की मौजूदगी में साइन होते हैं इसलिए इन्‍हें सॉफ्ट लोन के तौर पर देखा जाता है। ढाका में चीनी राजनयिक का मानना है कि बांग्‍लादेश प्रोजेक्‍ट के लिए कुछ फंड दे सकता है। गुआनगुंजुन का कहना है कि वह इकोनॉमिक रिलेशंस डिवी‍जन या ईआरडी को इस बात की जानकारी भेज देंगे कि 34 प्रोजेक्‍ट्स के लिए 25 बिलियन डॉलर में से कितने प्रोजेक्‍ट्स के लिए सॉफ्ट लोन के तौर पर देखा जाएगा और बांग्‍लादेश की सरकार को कितनी रकम अदा करनी होगी।

लोन के तैयार नहीं बांग्‍लादेश वहीं ईआरडी के एडीशनल सेक्रटरी शाह मोहम्‍मद अमीनुल हक का कहना है कि जी2जी समझौते के तहत किसी भी तरह के फंड का वादा करने का मतलब ही है कि वह सॉफ्ट लोन है। उन्‍होंने कहा कि यह बात उन्‍होंने पहले ही चीनी प्रतिनिधिमंडल को बता दी थी कि बांग्‍लादेश किसी भी तरह के कमर्शियल लोन के लिए तैयार नहीं हैं। क्‍योंकि सभी समझौतों को जी2जी के आधार पर साइन किया गया इसलिए ही इसे सॉफ्ट लोन के तौर पर ट्रीट करना चाहिए। उनका कहना था कि जब बांग्‍लादेश ने अपनी स्थिति साफ कर दी थी तो चीन का रुख नरम हो गया था।

ओबीओआर को भी न वन बेल्‍ट वन रोड प्रोजेक्‍ट के जरिए चीन बाकि के एशियाई देशों, अफ्रीका और यूरोप से जुड़ेगा। इस प्रोजेक्‍ट के लिए लोन पैटर्न को बदलने की चीन के पहल का बांग्‍लादेश ने विरोध किया है क्‍योंकि इससे बांग्‍लादेश को अधिक ब्‍याज का भुगतान करना होगा और इसकी हालत भी श्रीलंका की तरह हो जाएगी और यह कर्ज के दलदल में फंस सकता है। श्रीलंका डूबा है कर्ज में चीन की फंडिंग वाले प्रॉजेक्ट्स के कारण श्रीलंका कर्ज के भारी बोझ का सामना कर रहा है। श्रीलंका का कुल कर्ज 60 अरब डॉलर से अधिक का है और उसे इसमें से 10 प्रतिशत से अधिक चीन को चुकाना है। चीन सरकार का अनुमान है कि उसका इनवेस्टमेंट लगभग चार लाख करोड़ डॉलर का होगा। इसके अलावा ओबीओरआर के कारण पर्यावरण से जुड़े और सामाजिक जोखिम भी पैदा हो सकते हैं।

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button