चुनाव आयोग का खुलासा-इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) में छेड़ छाड़ की जाए तो वह स्वतः ही निष्क्रिय हो जाती है

लखनऊ। “इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) में छेड़ छाड़ की जाए तो वह स्वतः ही निष्क्रिय हो जाती है” चुनाव आयोग ने यह खुलासा किया है, EVM पर आरोप लगाने वाले  पार्टी नेताओ के बयानों पर दीये स्पस्टीकरण के रूप में।

चुनाव के दौरान तो किसी पार्टी ने EVM पर उंगली नही उठाई  पर चुनाव परिणाम आते ही पार्टीयो को जब करारी हार का  मुँह देखना पड़ा तो उन्होंने हार का पूरा ठीकरा EVM पर ही फोड़ दिया ।

बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती,समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और MCD चुनाव में हार के भय से व्याकुल आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल EVM पर आरोप लगाने वाले प्रमुख नेताओ में  है। EVM के रहते इन्हें अपना भविष्य समाप्त होता नजर आने लगा  है।

ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशित प्रचंड जीत से हताश और निराश मायावती ने जिन्हें उत्तर प्रदेश के मतदाताओं ने राज्य सभा तक जाने लायक भी नही छोड़ा,ने अपनी पार्टी की हार का मुख्य कारण EVM पर लगाते हुए कहा था कि EVM की सेटिंग इस प्रकार की गई है कि वोट किसी भी पार्टी को देने के लिये बटन दबाया जाये पर वोट भाजपा को ही मिलता है।

पार्टी हार से प्रताड़ित अखिलेश ने एक बार फिर बुआ का साथ देते हुए अपनी पार्टी की हार का जिम्मेदार,पारिवारिक कलह की जगह, EVM को ही बता दिया। आम आदमी पार्टी के मुखिया को  मीडिया में छा जाने का एक और अवसर मिला और वे भी इन लोगो के साथ जोर शोर से   EVM के विरुद्ध बोलने लगे।कुछ मीडिया वालों द्वारा केजरीवाल को तब्बजो देने पर केजरीवाल अपनी चुनौतियों को बढ़ाते ही चले गए क्योंकि उन्हें लगातार यह भय सता रहा है कि MCD चुनाव में उनका शायद इससे भी बुरा हाल होने वाला है।

चुनाव आयोग ने स्पस्ट किया है कि EVM में छेड़ छाड़ सम्भव ही नही है।यह मशीने गोपनीयता की दृष्टि से इतनी मजबूत बनाई जाती है कि स्वंम निर्माता भी यदि चाहे तो इसमें कोई गड़बड़ी नही कर सकता।EVM की विश्वनीयता पर उंगली उठाने वालों को चुनाव आयोग ने उनकी प्रत्येक बातो पर सिलसिलेवार उत्तर दिया है।

वर्ष 2006 में EVM-1 का निर्माण किया गया था जिसमे सभी तकनीकी फीचर्स थे और उसे हैक किया जाना संभव भी नही था।वर्ष 2012 में EVM-2 का निर्माण किया गया जिसमें “की कोड” की डायनामिक कोडिंग के साथ इसे UPGRADE किया गया ताकि बटन दबाते ही संदेश या वोट की सूचना बैलेट यूनिट से कंट्रोल यूनिट तक पहुंच जाए।

चुनाव आयोग ने यह भी स्पस्ट किया है कि EVM कंप्यूटर नियंत्रित नही है और न  ही किसी इंटरनेट या दूसरे इंटरनेट से जुड़ी है। EVM को किसी रिमोट से नियंन्त्रित या हैक नही किया जा सकता हैै। EVM में फ्रीकवेंन्सी रिसीवर या वायरलेस डाटा के लिए डिकोडर नही है।

EVM का निर्माण देश मे ही होता है और इसका सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग कोड देश मे ही लिखा जाता है, तब उसे EVM कोड में बदल कर विदेशी कम्पनियो को इस कारण भेजा जाता है क्योंकि देश मे अभी सेमी कंडक्टर माइक्रोचिप बनाने की सुविधा नही है।माइक्रोचिप की अलग अलह पहचान संख्या होती है जो मेमोरी में दर्ज होती है और उसपर निर्माता के डिजिटल हस्ताक्षर होत हैै। माइक्रोचिप बदलना संभव ही नही नामुमकिन भी है क्योंकि इसमें छेड़ छाड़ होते ही EVM निष्क्रिय हो जाती है।

जहाँ तक EVM की सुरक्षा का प्रश्न है इन्हें डबल लॉक सिस्टम के अंतर्गत कड़ी सुरक्षा में रखा जाता है। कोई अधिकारी भी लॉक रूम का ताला नही खोल सकता है। अधिकारियो  द्वारा केवल ताला ठीक से लगे होने की पुष्टि भर की जाती है।

चुनाव आयोग ने इस आरोप को भी खरिज़ किया है कि EVM निर्माता भी इसमें किसी प्रकार की सेटिंग कर सकता है। किसी निर्माता को यह नही पता होता है कि अमुक EVM किस चुनाव क्षेत्र में जाएगी और वहां कौन कौन उम्मीदवार किस किस क्रमांक पर चुनाव लड़ेंगे। अतः निर्माताओं के स्तर से गड़बड़ी करने का कोई युक्त युक्त कारण ही नही बनता है।⁠⁠⁠⁠

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button