जब गुजरात उबल रहा था, तब केंद्र बिहार चुनाव का प्लान बना रहा था

gujrat1तहलका एक्सप्रेस प्रतिनिधि
अहमदाबाद। प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष के गृह राज्य में हिंसा रोकने की सक्रियता देर से दिखी। जिस समय अहमदाबाद आंदोलनकारियों से भर गया था, तब केंद्र बिहार चुनाव और दूसरों मुद्दों को लेकर व्यस्त था। हमारे पास पीएम मोदी, गृहमंत्री राजनाथ के मंगलवार के कार्यक्रमों के दस्तावेज हैं। इनसे पता चलता है कि लापरवाही बरती गई। जब गुजरात में भीड़ उमड़ रही थी तब राजनाथ ने सीएम आनंदीबेन से बात की। लेकिन हालात का जिक्रभर हुआ। इंटेलीजेंस इनपुट भी नजरअंदाज किए गए। रात को जब गुजरात हिंसा की चपेट में आ गया, तब केंद्र हरकत में आया। इसके बाद गृह सचिव से रिपोर्ट मांगी गई और सुरक्षा बलों को भेजने का फैसला किया गया।
सुबह 10:30 बजे
गृहमंत्री अपने घर पर पार्टी नेताओं व संघ के साथ बिहार चुनाव का प्लान बना रहे थे।
पीएम गृह मंत्री व चंद्रबाबू नायडू के साथ बैठक कर रहे थे। बाद में राजनाथ पीसी करते रहे।
दोपहर 1:00 बजे
हार्दिक पटेल 19 लाख लोगों को भगत सिंह बनने की सीख दे रहे थे। मोदी नेपाल के पीएम को फोन कर वहां के हालात संभालने को कह रहे थे।
दोपहर बाद 3:30 बजे
पाटीदार समाज के लोग रैली में राज्य सरकार को आक्रामक जवाब देने की योजना बना रहे थे।
अहमदाबाद के मैदान में लाखों लोग जमा हो रहे थे। पुलिस उन्हें रोकने में बेबस महसूस कर रही थी।
हालात संभालने के लिए पूरे गुजरात में 30 हजार से ज्यादा पुलिस और 6000 केंद्रीय सुरक्षा बल लगाए गए हैं। अहमदाबाद में तो सेना भी उतार दी गई है। बुधवार को जवानों ने शहर में फ्लैग मार्च किया।
– अहमदाबाद और सूरत समेत 11 शहरों में कर्फ्यू
– राज्य के 100 स्थानों पर हिंसा, 3500 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ
– 44 ट्रेनें कैंसिल हुईं, 15 ट्रेनों के रूट बदले गए, इंटरनेट अब भी बंद है
जो गृहमंत्री अपने घर की रक्षा नहीं कर सकता, वो गुजरात के लोगों को कैसे संभालेगा: हार्दिक
 पटेल आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल ने हिंसा के लिए गुजरात सरकार को दोषी ठहराया है। पुलिस कार्रवाई का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे साथ आतंकियों की तरह सलूक किया गया। पुलिस ने लाठियां नहीं बरसाई होतीं तो आंदोलन हिंसक नहीं होता। इसमें पाटीदारों की कोई भूमिका नहीं है। जीएमडीसी मैदान में पुलिस ने अचानक पहुंचकर महिलाओं और बच्चों पर दमन शुरू कर दिया। पुलिस की इस कार्रवाई की वजह से ही हिंसा भड़की। उनका कहना था कि गांधी, पटेल और नेहरू के रास्ते पर हम खूब चले। लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ। इस आंदोलन में राज्य के गृहमंत्री अपने आवास को नहीं बचा सके। वे प्रदेश के लोगों को कैसे बचाएंगे। उन्होंने दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। पटेल ने कहा, “ये हमारे अधिकारों की लड़ाई है। अगर हमें अधिकार नहीं दिया गया तो हम उसे छीन लेंगे।”
पुलिस कांस्टेबल समेत आठ लोगों की मौत
हिंसा के चलते दो दिन में आठ लोगों की मौत हो गई। सूरत में पुलिस कांस्टेबल की जबकि अहमदाबाद के गिरीश पटेल और उनके बेटे सिद्धार्थ पुलिस की गोली से मौत हुई। फायरिंग में बनासकांठा के तीन लोगों और मेहसाणा के दो लोगों की भी मौत हो गई। वहीं, हिंसा में नेताओं के घर और सरकारी दफ्तरों को निशाना बनाया। मंत्री रमणलाल वोरा, विधायक जमना पटेल और सांसदों के दफ्तर पर हमला किया।
वर्ल्ड मीडिया ने क्या कहा
 22 साल के फायरब्रांड नेता हार्दिक ने मोदी की सत्ता को चुनौती दी है। 5 लाख लोगों को जोड़ उसने अपनी ताकत दिखा दी। आंदोलन हिंसक होने से दिशाहीन हो सकता है। : टेलीग्राफ
13 साल बाद फिर मोदी का गुजरात जल रहा है। भारतीय राजनीति में इसके दूरगामी असर होंगे। ये आंदोलन आगामी बिहार चुनाव को भी प्रभावित करेगा।
: न्यूयॉर्क टाइम्स
मोदी के गुजरात में अराजकता फैल गई है। पटेल आर्थिक औऱ सामाजिक तौर पर बेहद पॉवरफुल है। ये पटेल आंदोलन मोदी के गुजरात मॉडल की नाकामयाबी है।
: हफिंगटन पोस्ट
सोशल मीडिया
– हार्दिक खुलेआम हथियारों का प्रदर्शन करते हैं। मोदी इन्हें नक्सली घोषित कर दिखाएं।
– मोदी को गुजरात का शेर कहा जाता है। लेकिन जब उनका जंगल जलने लगा तो दहाड़ क्यों नहीं सुनाई दी।
– मोदी ने गुजरात में जातिवाद की राजनीति का बीज बोया था। दुष्परिणाम इस आंदोलन से देखने को मिला। यही मोदी का गुजरात मॉडल है।
– इस उग्र आंदोलन में पब्लिक प्रॉपर्टी के नुकसान की भरपाई इसके आर्गेनाइजर से वसूलनी चाहिए। आंदोलन देशद्रोह है।
– हर छोटी मोटी घटना पर मोदी सबसे पहले ट्वीट करते हैं। लेकिन गुजरात में आग लगने के 12 घंटे बाद उनकी 2 मिनट छह सेकंड की प्रतिक्रिया आई।
 

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