जानिए कैसे सोनिया के जाल में फंसी थी अटल सरकार
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‘तहलका’ मैगजीन और सोनिया गांधी के बीच साठगांठ की सच्चाई सामने आ गई है। यह बात खुल गई है कि मनमोहन सिंह को पहली बार प्रधानमंत्री बनाने के सिर्फ 4 महीने बाद सोनिया गांधी ने तब के वित्त मंत्री पी चिदंबरम को चिट्ठी लिखकर आदेश दिया था कि तहलका मैगजीन में की फंडिंग में धांधलियों की जांच को फौरन रफा-दफा करें। इसके लिए लिखी गई चिट्ठी पहली बार सार्वजनिक हुई है। चिट्ठी में लिखी तारीख से हफ्ते भर के अंदर वित्त मंत्रालय की एजेंसियों ने तहलका के खिलाफ जांच खत्म कर दी। यहां ये बात जानना जरूरी है कि तलहका वो मैगजीन थी जिसने वाजपेयी सरकार के खिलाफ कई स्टिंग ऑपरेशन किए और जब कांग्रेस 2004 में सत्ता में आई तो सोनिया गांधी ने इसी का एहसान चुकाते हुए उस पर लगे तमाम केस वापस करने का आदेश दे दिया। इस बात से यह भी साफ हो गया है कि 2004 से पहले वाजपेयी सरकार के खिलाफ किए गए फर्जी स्टिंग ऑपरेशनों के पीछे सोनिया गांधी का ही दिमाग था।
वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे जॉर्ज फर्नांडिस की करीबी सहयोगी और समता पार्टी की अध्यक्ष रहीं जया जेटली ने इस मामले के कई तथ्य सार्वजनिक किए हैं और इस विषय पर उनकी किताब भी जल्द ही आने वाली है। जया जेटली ने एक अंग्रेजी चैनल से बातचीत में माना है कि वाजपेयी सरकार के दौर में सरकार के खिलाफ तहलका ने जब स्टिंग ऑपरेशन किया था तो कांग्रेस के बड़े नेताओं को उसकी पहले से जानकारी थी। उन्होंने वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रियरंजन दासमुंशी की मिसाल दी है, जिन्होंने तलहका के प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले ही संसद में बोलना शुरू कर दिया था कि ‘अब ये सरकार गिरने वाली है।’ जया जेटली के मुताबिक दासमुंशी के हाथों में स्टिंग ऑपरेशन की एक-एक डिटेल थी। 2001 में तहलका ने ऑपरेशन वेस्ट एंड किया था, जिसमें उन्होंने बीजेपी के तब के अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण को एक रक्षा सौदे के एवज में 1 लाख रुपये रिश्वत लेते दिखाया गया। इसमें जया जेटली और कई सरकारी अफसरों को भी रिश्वत लेते दिखाया गया था। इस स्टिंग ऑपरेशन के बाद ममता बनर्जी ने वाजपेयी सरकार से समर्थन वापस ले लिया था और सरकार गिरते-गिरते बची थी। इस स्टिंग ऑपरेशन ने वाजपेयी सरकार की इमेज को सबसे गहरा धक्का पहुंचाया था, जिससे वो कभी उबर नहीं सकी।
अक्सर यह बात कही जाती रही है कि कांग्रेस के प्रायोजित कुछ अखबार और चैनल विरोधी दलों को बदनाम करने के लिए झूठी खबरें फैलाते हैं। बदले में कांग्रेस उनको न सिर्फ आर्थिक मदद करती है बल्कि किसी मुश्किल में फंसने पर बचाती भी है। यह पहली बार है जब कांग्रेस और मीडिया समूहों के बीच साठगांठ के सबूत सामने आए हैं। तहलका के लिए फंडिंग करने वाले फर्स्ट ग्लोबल नाम की वित्तीय संस्था के शंकर शर्मा और देविना मेहरा ने सोनिया को सिफारिशी चिट्ठी भेजी थी। इस चिट्ठी पर फौरन कार्रवाई करते हुए सोनिया गांधी ने उसे वित्त मंत्री को भेजा और वित्त मंत्री ने एक झटके में मामला खत्म कर दिया। सोनिया गांधी ने चिदंबरम को लिखी चिट्ठी में सरकारी एजेंसियों की कार्रवाई को ‘अन्यायपूर्ण और गलत’ करार दिया था। उन्होंने चिट्ठी में लिखा कि “तहलका के मामले को प्राथमिकता के आधार पर निपटाया जाए।” ये सारा खुलासा पिछले दिनों रिपब्लिक टीवी पर आप देख चुके हैं।
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