जुडिशरी के साथ कोई टकराव नहीं, NJAC पर फैसला माना जाएगाः अरुण जेटली

नई दिल्ली। NJAC पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को कहा कि उनका मतलब जुडिशरी और सरकार या न्यायपालिका और संसद के बीच किसी तरह के टकराव से नहीं था। इससे पहले जेटली ने राजनेताओं के खिलाफ संदेह की वजह से राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग को असंवैधानिक ठहराने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ‘गैर निर्वाचित लोगों की निरंकुशता’ कहा था।
टेलिविजन पर एक बहस के दौरान अरुण जेटली बोले, ‘सुप्रीम कोर्ट ने सही या गलत तरीके से फैसला किया है। उनके इस फैसले का पालन किया जाएगा। NJAC की बात अब खत्म और बीत गई है लेकिन जजों की नियुक्ति के लिए बेहतर व्यवस्था पर बहस जारी रहेगी। यह बहस आम लोगों के बीच, संसद में हो सकती है क्योंकि भारत को एक स्वतंत्र और भरोसेमंद न्यायपालिका की जरूरत है।’

पूर्व चीफ जस्टिस आर. एम. लोढ़ा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि इस तरह की आलोचना अरुण जेटली की तरफ से आएगी। उन्होंने कहा, ‘इस तरह का बयान इमर्जेंसी के दिनों में आया होता तो समझा जा सकता था। मुझे उम्मीद है कि कोई ऐसी जुडिशरी नहीं चाहेगा जहां किसी राजनेता को जानने वाले व्यक्ति को जज बना दिया जाए।’
हालांकि पूर्व CJI लोढ़ा ने माना कि कॉलेजियम सिस्टम में अपनी कमियां हैं। लोढ़ा की दलील को जेटली ने नकारते हुए याद दिलाया कि जुडिशरी में किस तरह से नियुक्तियां की जाती हैं। जेटली ने बताया कि अटल बिहारी वाजयेपी के दौर में हाई कोर्ट में एक जज की नियुक्ति की सिफारिश को दो बार खारिज किए जाने के बाद भी कॉलेजियम अड़ गई थी। बाद में कॉलेजियम ने उस जज की नियुक्ति को स्थाई न करने का फैसला किया।
आखिर में अरुण जेटली ने कहा कि जुडिशरी संवैधानिक प्रावधानों की इस तरह स व्याख्या नहीं कर सकती कि न्यायिक नियुक्तियां जिमखाना क्लब की मेंबरशिप की तरह हो जाएं जहां मौजूदा मेंबर ही तय करेंगे कि भविष्य में कौन इसका सदस्य बनेगा ।
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