जो अपने ‘बाप’ के नहीं हुए, वो ‘बापू’ के क्या होंगे?

आदरणीय राहुल गांधी जी,
एक ‘गांधी’ की हत्यारे की विचारधारा से नफरत और दूसरे ‘गांधी’ की हत्यारों की विचारधारा से मुहब्बत…? राहुल जी आप सोच रहे होंगे कि ये दूसरे ‘गांधी’ कौन हैं तो ये दूसरे ‘गांधी’ है आपके पूजनीय पिताजी स्वर्गीय राजीव गांधी… जाहिर है हर बेटे की तरह आप भी अपने पिता को दिलो-जान से चाहते होंगे लेकिन मैं आपको बता दूं कि मैं भी आपके पिता का बहुत सम्मान करता हूं… इसीलिए मेरा भी खून खौला था जब 21 मई 1991 की उस काली रात को उनकी नृशंस हत्या कर दी गई थी।

अब आते हैं मुद्दे पर… महात्मा गांधी की हत्या करने वाले गोडसे को तो आपने आतंकवादी कह दिया… उसकी विचारधारा का समर्थन करने वाली प्रज्ञा को भी आपने आतंकवादी कह दिया… आपके इस ट्विटरी बयान से मैं भी सहमत हो जाता अगर आपके श्रीमुख से कभी अपने पिता यानि मेरे इस पत्र के दूसरे ‘गांधी’ श्री राजीव गांधी के हत्यारों की विचारधारा को भी आप आतंकवाद करार देते… लेकिन नहीं, आप क्यों कहेंगे ??? आपने तो अपने पिता राजीव गांधी की हत्यारों की विचारधारा के साथ मिलकर पूरे 9 साल तक देश में शासन किया है।
अब आप हैरान-परेशान न हों इसलिए सीधे मुद्दे पर आता हूं… डीएमके के पितृपुरूष करुणानिधि को तो आप जानते ही होंगे… जो 2004 से लेकर 2013 तक आपकी यूपीए सरकार के सबसे बड़े सहयोगी थे, जैसे कि आज शिवसेना है… ये वहीं करुणानिधि हैं जिनकी मृत्यु पर आपकी माताजी सोनिया गांधी ने उन्हे पितातुल्य बताया था।

अब राहुल जी यहीं से शुरु होता है विरोधाभास… जो मुझे अंदर तक विचलित कर देता है… आपकी माताजी सोनिया करुणानिधि को पितातुल्य बताती हैं और आपके पिता की हत्या पर गठित हुई जैन आयोग की रिपोर्ट इस और इशारा करती है कि आपके पिता राजीव गांधी की हत्या में करुणानिधि और उनकी पार्टी की भूमिका संदिग्ध थी।
अब जैन आयोग ही क्यों… राहुल जी, राजीव गांधी की हत्या की जांच से जुड़े कई अधिकारियों ने करुणानिधि और डीएमके के बारे में कई बड़े खुलासे किए हैं… इन्ही में से एक हैं के. रागोथमन… जिन्होने अपनी किताब Conspiracy to kill Rajiv Gandhi – From CBI files में लिखा है कि – “21 मई 1991 यानि जिस दिन राजीव गांधी की हत्या हुई उसी दिन डीएमके नेता करूणानिधि की रैली भी श्रीपेरमबदूर में ही होने वाली थी… पुलिस को सूचना दी गई थी कि करुणानिधि श्रीपेरमबदूर शहर के टॉवर क्लॉक में रैली करने वाले हैं और राजीव गांधी भी उसी दिन रैली करेंगे… दोनों के कार्यकर्ताओं के बीच आपस में विवाद ना हों इसलिए पूरे बंदोबस्त किए जाएं… 21 मई 1991 को राजीव तो रैली के लिए श्रीपेरमबदूर पहुंच गए लेकिन ऐन वक्त पर करूणानिधि ने अपनी रैली रद्द कर दी।”

अब राहुल जी जैसा आपने संसद में महात्मा गांधी हत्याकांड में वीर सावरकर का नाम सिर्फ शक के आधार पर ले लिया था तो उम्मीद है शक के आधार पर आप राजीव गांधी मर्डर केस में डीएमके और करुणानिधि की भूमिका पर भी विचार करेंगे।
राहुल जी अब मेरा कन्फ्यूजन बढ़ता ही जा रहा है… एक किताब है मेरे पास… जिसका नाम है “राजीव गांधी की हत्या : एक अन्वेषण” जिसे लिखा है सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर और राजीव गांधी हत्याकांड के मुख्य जांच अधिकारी डी. आर. कार्तिकेयन ने… इस किताब में भी कार्तिकेयन ने डीएमके की भूमिका पर कई सवाल उठाए हैं… लेकिन इस किताब का सबसे दिलचस्प वो हिस्सा है जिसमें वो बताते हैं कि कैसे वो समय समय पर आपकी माताजी सोनिया गांधी को जांच के बारे में बताने के लिए 10 जनपथ जाते रहते थे और एक ऐसे ही दिन उन्हे बड़ा दुख हुआ जब सोनिया जी ने जांच की धीमी गति के साथ-साथ इस बात पर भी गुस्सा जताया कि राजीव गांधी के असली कातिलों को क्यों नहीं तलाशा जा रहा है ?

मैं समझ सकता हूं… उस दौर में आपकी माताजी का गुस्सा राजीव गांधी के हत्यारों के प्रति कितना रहा होगा… क्योंकि इसी गुस्से की वजह से प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल की सरकार गिर गई थी… राहुल जी व्यस्त होने की वजह से आप थोड़ा कम पढ़ लिख पाते होंगे इसीलिए आपको मैं ये जानकारी देना चाहता हूं कि राजीव गांधी की हत्या की जांच के लिए बनी जैन आयोग की रिपोर्ट (जिसमें डीएमके और करुणानिधि पर कई सवाल उठाए गए थे) 1997 में सामने आई थी तब केंद्र में गुजराल की सरकार थी, जिसमें करुणानिधि की डीएमके भी शामिल थी और आपकी पार्टी कांग्रेस उसे बाहर से समर्थन दे रही थी… अब हुआ ये कि सोनिया जी की दवाब में आपकी कांग्रेस ने प्रधानमंत्री गुजराल से कहा कि वो डीएमके के मंत्रियों को सरकार से बाहर करें नहीं तो वो समर्थन वापस ले लेंगे… गुजराल ने मना किया तो आपकी कांग्रेस ने उनकी सरकार गिरा दी और देश में नये चुनाव का ऐलान हो गया…

सोचिए राहुल जी, जिस जैन आयोग की रिपोर्ट पर कांग्रेस ने 1997 में गुजराल की सरकार गिराई वो रिपोर्ट आप 2004 में भूल गए… आपने पूरे 9 साल तक मिलकर करुणानिधि की डीएमके के साथ मिलकर सरकार चलाई… और इस साल 2019 का चुनाव भी मिलकर लड़ा… और यहां तक कि जब 2018 में करुणानिधि का दुखद निधन हुआ तो आपकी माताजी ने उन्हे श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि “Karunanidhi was like a father figure to me”… सर बहुत कनफ्यूज़न हो रहा है… मुझे समझ नहीं आ रहा कि ये कैसे “पिता” थे जिन्होंने अपनी ही बेटी की मांग का सिंदूर उजाड़ने वाली “तमिल राष्ट्रवादी” विचारधारा का साथ दिया था ?

राहुल जी आपने 2014 में भिवंडी में कहा था कि RSS ने महात्मा गांधी को मारा… संसद में आपने सावरकर का नाम लिया… आज आपसे अपील करता हूं कि जितनी नफरत आप महात्मा गांधी के हत्यारे इन “भगवा आतंकवादियों” से करते हैं उतनी ही नफरत अपने पिता और मेरे प्रिय प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कातिलों से करके दिखाइए… क्योंकि एक ‘गांधी’ की हत्यारे की विचारधारा से नफरत और दूसरे ‘गांधी’ की हत्यारों की विचारधारा से मुहब्बत… माफी चाहूंगा इसे विशुद्ध दोगलापन कहा जाता है… याद रखिएगा… जो अपने ‘बाप’ का नहीं हुआ वो ‘बापू’ का क्या होगा ?

(वरिष्ठ पत्रकार प्रखर श्रीवास्तव के फेसबुक वॉल से)

 

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