टाटा पावर उनके आवास को ‘गलत जानकारी देने’ के लिए नोटिस भेजने की तैयारी में

तहलका एक्सप्रेस ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी बंगले में बिजली देने वाली कंपनी टाटा पावर उनके आवास को ‘गलत जानकारी देने’ के लिए नोटिस भेजने की तैयारी में है। कंपनी के सूत्रों कहना है कि केजरीवाल के बंगले के लिए डोमेस्टिक कैटिगरी के दो मीटर मांगे गए थे, जबकि एक मीटर को कमर्शल कामों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
केजरीवाल के सरकारी आवास- 6, फ्लैग स्टाफ रोड, सिविल लाइन्स में लगे बिजली के दो मीटरों का जून महीने का बिल करीब 1.35 लाख रुपये आया है। मगर यह बिल अभी और बढ़ सकता है, क्योंकि बिजली सप्लाई करने वाली कंपनी सेंकडरी मीटर के पिछले सभी बिल कमर्शल रेट के हिसाब से वसूल सकती है। दरअसल टाटा पावर ‘गलत जानकारी देने’ के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री के आवास को नोटिस भेजने जा रही है। सूत्रों का कहना है कि ऑफिस से जुड़े काम के लिए इस्तेमाल किया जा रहा सेकंडरी मीटर कमर्शल होना चाहिए और उसका बिल भी उसी हिसाब से भरा जाना चाहिए। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री के घर पर लगे दोनों मीटर डोमेस्टिक कैटिगरी के हैं। एक उनके घर के लिए है, जो 34kW लोड का है और दूसरे का लोड 70kW है। दूसरा मीटर ऑफिस के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है । आधिकारिक बैठकों और जनता दरबार के लिए इसी मीटर से बिजली इस्तेमाल होती है। सूत्रों ने बताया, ‘मुख्यमंत्री के यहां शिफ्ट होने से पहले दोनों मीटरों का लोड 70kW था, मगर बाद में पीडब्ल्यूडी ने इसे बढ़ाकर 104kW करने की अर्जी थी। ऐप्लिकेशन में कहा गया था कि दोनों मीटर डोमेस्टिक कैटिगरी कनेक्सन के होने चाहिए। ‘ मुख्यमंत्री के आवास ताजा बिलों की बात करें तो एक मीटर में 2,510 यूनिट्स इस्तेमाल हुए हैं। इसका बिल 22,689 रुपये बना है और इसे 8 जून तक भरा जाना था। दूसरे मीटर में 11,637 यूनिट्स बिजली इस्तेमाल हुई है और बिल बना है 1,13,598 रुपये। यह बिल 18 जून को तैयार हुआ है। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री के आवास पर 30 एसी लगे हैं। यह साफ नहीं हो पाया है कि इनमें से कितने उनके प्राइवेट क्वॉर्टर में हैं। कहा जा रहा है कि 35kW के डोमेस्टिक लोड में 12 से 15 एसी इस्तेमाल किए जा सकते हैं। मगर डिस्कॉम का कहना है कि ऑफिस के काम के लिए इस्तेमाल होने वाला मीटर कमर्शल होना चाहिए। सूत्र ने बताया, ‘लोड बढ़ाने के लिए दी गई ऐप्लिकेशन में साफ कहा गया है कि दोनों मीटर डोमेस्टिक पावर के होने चाहिए, मगर सेकंडरी मीटर ऑफिस के काम के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। ऑफिस में पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक होती है और जनता दरबार लगता है। ये कमर्शल कैटिगरी में आने वाले काम हैं, ऐसे में हमें अप्रैल से लेकर अब तक रिवाइज्ड बिल भेजने होंगे।’ सरकारी प्रवक्ता ने कहा है, ‘हमने पहले भी कहा है कि मुख्यमंत्री के प्राइवेट रेजिडेंस का बिल कम है और सेकंडरी मीटर ऑफिसर पार्टी मीटिंग, जनता संवाद जैसे ऑफिस के कामों के लिए है। सेकंडरी मीटर के बिलों को डोमेस्टिक बिल कहना तथ्यात्मक रूप से गलत है। अगर सेकंडरी मीटर का कनेक्शन डोमेस्टिक है तो हम प्रशासन से कहेंगे कि इसे कमर्शल में बदला जाए।’ मजेदार बात यह है कि पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र तोमर ने भी उत्तरी दिल्ली में अपने आवास पर दो डोमेस्टिक कनेक्शन मांगे थे। इसमें उन्होंने कहा था कि एक उनके घर के लिए होगा और दूसरा पार्टी से जुड़े कामों के लिए। टाटा पावर ने उन्हें डोमेस्टिक कनेक्शन देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि उन्हें सेकंडरी कनेक्शन कमर्शल ही मिलेगा। पावर सेक्टर के एक अधिकारी ने बताया, ‘केजरीवाल के डोमेस्टिक मीटर कनेक्शन को कमर्शल में बदलने पर बिल भी डबल हो जाएगा, क्योंकिं डोमेस्टिक के मुकाबले कमर्शल रेट बहुत ज्यादा हैं।’
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