डॉक्टरों की हड़ताल: कोर्ट फैसला देने से पहले ‘मेरा’ पक्ष सुने

मुंबई। सरकारी जेजे अस्पताल के डीन ने बॉम्बे हाई कोर्ट से कहा है कि उनके विरुद्ध जो आरोप लगे हैं उनकी जांच के लिए जांच समिति बनाने का फैसला देने से पहले कोर्ट उनका पक्ष भी सुने। गौरतलब है कि पिछले सप्ताह ही महाराष्ट्र के 4500 डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल वापस ली थी। जेजे अस्पताल के डीन डा. टीपी ल्हाने के इस फैसले के विरुद्ध महाराष्ट्र असोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स ने हड़ताल कर दी थी कि रेजिडेंट डॉक्टरों को थिअटरों में ऑपरेशन करने की इजाजत नहीं होगी। इस फैसले से नाराज होकर डॉक्टरों ने डा. ल्हाने के ट्रांसफर की मांग तक कर डाली थी।
यह कोर्ट इस समय ऐक्टिविस्ट अफक मांडाविया की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें डॉक्टरों की हड़ताल को यह कहकर चुनौती दी गई थी कि इस हड़ताल के कारण लाखों मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है और उनमें से कई मरीजों की मौत तक हो गई है। जब कोर्ट में इस मुद्दे पर सुनवाई शुरू हुई तो जस्टिस अभय ओक के समक्ष वकील जगताप शेखर ने कहा कि वे कोर्ट में अपने मुवक्किल ल्हाने की ओर से पेश हो रहे हैं और चाहते हैं कि कोर्ट अपना कोई फैसला देने से पहले उनके मुवक्किल का पक्ष भी सुने। कोर्ट ने उनकी बात मानते हुए अब इस पर मंगलवार को सुनवाई रखी है।
पिछले सप्ताह सुनवाई के दौरान कोर्ट के कहने पर जिस शिकायत समिति का गठन हुआ था उसमें पूर्व मुख्य न्यायाधीश मोहित शाह या न्यायाधीश (रिटायर्ड) डीके देशमुख के नाम पर सहमति हुई थी। लेकिन सोमवार को कोर्ट में डॉक्टरों की असोसिएशन ने इन नामों पर आपत्ति व्यक्त की। इस पर कोर्ट ने असोसिएशन को फटकार लगाते हुए कहा कि फिर पिछले सप्ताह आपने इन नामों पर क्यों सहमति दी थी। पिछले सप्ताह 9 अप्रैल को ही कोर्ट ने असोसिएशन से जनहित में अपनी हड़ताल वापस लेने को कहा था। कोर्ट ने डॉक्टरों से यह भी पूछा कि किसी जांच समिति के पास जाए बिना आप कैसे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए थे?
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