ड्रोन्स और पैराग्लाइडर्स के जरिए हमले की साजिश रच रहा पाकिस्तान

mumbai-police-dronतहलका एक्सप्रेस
नई दिल्ली। भारतीय इंटेलिजेंस एजेंसियों को शक है कि पाकिस्तानी आतंकी संगठन अनमैन्ड एरियल व्हीकल्स (UAVs), ड्रोन्स और पैराग्लाइडर्स के जरिए हमले की साजिश रच रहे हैं। इस वजह से केंद्र सरकार ने देश में ड्रोन्स उड़ाने को लेकर एक बेहद कड़ी पॉलिसी तैयार की है। इस पॉलिसी में यूएवी के अलावा पैराग्लाइडर्स, हॉट एयर बलून्स, रिमोट से उड़ने वाली डिवाइस और हल्के एयरक्राफ्ट को भी शामिल किया गया है। जल्द ही इस पॉलिसी को लागू किया जा सकता है।

30 अगस्त को पाकिस्तान के बलूचिस्तान के जेवानी में एक हथियारबंद शख्स ने एक छोटे एयरपोर्ट को निशाना बनाया था। इस घटना से भारतीय एजेंसियां भी अलर्ट हो गई हैं। इसकी वजह यह है कि भारत में 325 से ज्यादा कम इस्तेमाल होने वाले या न होने वाले एयरस्ट्रिप मौजूद हैं। एजेंसियों को शक है कि इनका इस्तेमाल हल्के ग्लाइडर्स और ड्रोन्स को लॉन्च करने में हो सकता है।
आतंकियों के मंसूबों का पता चला
>26/11 हमलों के हैंडलर अबू जिंदाल, आईएम आतंकी सईद इस्माइल अफाक लंका और खालिस्तानी आतंकी जगतार सिंह तारा से पूछताछ के बाद पैराग्लाइडर्स और यूएवी के जरिए हमलों को अंजाम दिए जाने को लेकर भारतीय एजेंसियों का शक और मजबूत हुआ है।
>जिंदाल ने बताया था कि आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा कुछ कैडर्स को हवाई हमले की ट्रेनिंग देता है। इंटेलिजेंस की रिपोर्ट में भी पता चला है कि पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई लश्कर के आतंकियों को पैराशूट से कूदने की ट्रेनिंग देने में शामिल रहा है। यह भी पता चला है कि लश्कर पैराग्लाइडिंग से जुड़े इक्विपमेंट्स चीन और यूएई से खरीदने की कोशिश कर रहा है।
>बेंगलुरु में जनवरी में गिरफ्तार किए गए अफाक से पता चला कि उसने नवंबर 2013 में गोवा में पांच दिन की पैराग्लाइडिंग ट्रेनिंग ली थी। इसके दो महीने बाद उसने अमेरिका से दो सेकंड हैंड पैराग्लाइडर्स खरीदे थे। इसके अलावा, इससे जुड़े कुछ इक्विपमेंट्स बेंगलुरु से भी खरीदे गए।
>इसी साल जनवरी में पकड़े गए जगतार सिंह तारा ने बताया कि आईएसआई पाकिस्तान में रहने वाले सिख आतंकियों को स्पेन से पैरा ग्लाइडिंग इक्विपमेंट खरीदने में मदद कर रही थी। इनकी मदद से पाकिस्तान भारत में हथियार और गोला-बारूद गिराने वाला था। बाद में इससे आतंकी हरियाणा के सिरसा में डेरा सच्चा सौदा पर हमला करने वाले थे। आतंकियों की यह योजना कामयाब नहीं हो सकी, क्योंकि ग्लाइडर के कुछ पार्ट्स खराब थे।
>एजेंसियों को जांच के बाद पता चला कि स्पेन में मोटर से चलने वाली ग्लाइडर को 10 लाख पाकिस्तानी रुपए में खरीदा जाना था। इस पैराग्लाइडर से दो लोग आराम से उड़ सकते थे और 70 किमी की दूरी तय कर सकते थे।
 

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