तकरार की पूरी कहानी: जेडीयू ने कांग्रेस को सुनाया फैसला, या तो तेजस्वी इस्तीफा दें, नहीं तो होंगे बर्खास्त-सूत्र

नई दिल्ली।  सूत्रों के मुताबिक लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के बीच बात बंद हो गई है. सीबीआई के मुकदमे में आरोपी लालू के बेटे तेजस्वी को हर हाल में इस्तीफा तो देना ही होगा. लालू के इंकार के बाद अब कांग्रेस की ज़िम्मेदारी बन गई है कि तेजस्वी से इस्तीफा के लिए लालू को मना ले. सूत्रों के मुताबिक नीतीश ने कांग्रेस को अपना फैसला सुना दिया है. तेजस्वी या तो इस्तीफा दें या फिर बर्खास्त होंगे. इसके अलावा और कोई विकल्प नहीं है. अब कांग्रेस के दिग्गज नीतीश के इस फैसले से परेशान हो गए हैं. लालू ने कल शाम में कहा था कि उनकी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से कोई बात नहीं हुई है. ऐसे में कांग्रेस के नेता अब महागठबंधन को बचाने में लग गए हैं.

बिहार में महागठबंधन के बीच चल रही तकरार की वजह से सरकार पर संकट बरकरार है. पटना में कौशल विकास मिशन के कार्यक्रम में नीतीश कुमार पहुंचे, लेकिन तेजस्वी यादव नहीं आए. नीतीश के ठीक बगल वाली कुर्सी पर तेजस्वी के नेम प्लेट को ढंक दिया गया बाद में नेम प्लेट को हटा दिया गया है.  तो क्या अब महागठबंधन टूटने वाला है ?

तेजस्वी यादव के इस्तीफे और लालू से महागठबंधन के पत्रकारों के सवाल पर पटना में नीतीश कुमार हाथ जोड़कर आगे बढ़ गए. अब सभी यह सवाल पूछ रहे हैं कि क्या नीतीश कुमार अब लालू से दूरी बनाएंगे. बिहार महागठबंधन में तकरार बढ़ती जा रही है. इसकी बानगी उस वक्त देखने को मिली जब नीतीश कुमार के कार्यक्रम में शामिल होने तेजस्वी यादव नहीं पहुंचे. आज कौशल विकास मिशन के कार्यक्रम में नीतीश कुमार के साथ तेजस्वी को भी शामिल होना था.

मतलब अब स्पष्ट है कि महागठबंधन टूटने का काउंटडाउन शुरु हो चुका है. इसकी एक वजह नीतीश और लालू यादव की पार्टी की तरफ से की जा रही तल्ख बयानबाजी भी है. जिसमें तेजस्वी के बचाव में सीधे पिता लालू यादव उतरे तो नीतीश की छवि के लिए जेडीयू के बड़े नेता.

नीतीश के साथ तेजस्वी का मंच साझा ना करना इस बात को बताता है कि खटास की खाई अब बहुत चौड़ी हो चुकी है. यही वजह है कि नीतीश की पार्टी के नेता सीधे अब लालू को चुनौती दे रहे हैं. फिलहाल बीजेपी बिहार की इस सियासी उथल पुथल को दूर से देख रही है. और कोशिश कर रही है कि नीतीश ने जिस नैतिकता की दुहाई देकर तेजस्वी का इस्तीफा मांगा है, उसका इस्तेमाल किया जाए.

ये सारा विवाद इसलिए खड़ा हुआ है क्योंकि 7 जुलाई को लालू यादव के 12 ठिकानों पर सीबीआई ने छापेमारी की थी. लालू, राबड़ी, तेजस्वी समेत 8 लोगों पर धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश का केस दर्ज किया. मामला रेलवे के टेंडर घोटाले से जुड़ा हुआ है. चूंकि तेजस्वी यादव नीतीश सरकार में मंत्री हैं, और उनके खिलाफ भी FIR हुई है, इसलिए इस्तीफा मांगा जा रहा है.

अब निगाहें नीतीश कुमार के रुख पर टिकी हुई हैं. तेजस्वी यादव पर उनका फैसला ही बिहार के राजनीतिक भविष्य को तय करेगा.

 

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