… तो आजम खान से ऊब गए हैं मुलायम सिंह यादव?

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की सत्ताधारी समाजवादी पार्टी क्या आखिरकार अपने सीनियर नेता और मंत्री आजम खान से ऊब गई है? हालांकि पार्टी ने अभी तक वैसा कोई फैसला नहीं सुनाया है लेकिन पब्लिक में एक संदेश गया है कि पार्टी ने उन्हें अपने बयान पर संयम रखने की सलाह दी है और चिंता जतायी है। खान अक्सर पार्टी के लिए शर्मिंदगी की स्थिति पैदा करते हैं। हाल में आजम ने कहा था कि वह देश में मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र संघ जाएंगे।
आजम खान ने ऐसा बयान 28 सितंबर को दादरी में हिंसक भीड़ द्वारा अपने हाथ में कानून लेने के बाद दिया था। इस वारदात में दादरी के बिसाहड़ा गांव में गोमांस खाने और रखने के संदेह में एक 55 साल के मुस्लिम शख्स की लोगों ने पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। हालांकि शुरुआत में समाजवादी पार्टी आजम खान की टिप्पणी पर खामोश रही थी। बाद में समाजवादी पार्टी के सीनियर नेता आजम के बयान से दूरी बनाने लगे।
उन्होनें कहा, ‘यह उनका निजी मत है। उनके मत से पार्टी और सरकार सहमत नहीं है।’ पार्टी के भीतरी सूत्रों का कहना है कि आजम खान के बयान से लोग नाराज हैं। इनके बयान की मुस्लिम तबकों में भी आलोचना हुई। 2014 के आम चुनाव के दौरान आजम खान ने कुछ आपत्तिजनक भाषण दिए थे। चुनावी नतीजों में बीजेपी ने प्रदेश में समाजवादी पार्टी को करारी शिकस्त दी थी।
आजम खान के आपत्तिजनक बयान समाजवादी पार्टी को अब भी याद हैं। पार्टी 2017 के विधानसभा चुनाव में कोई भी जोखिम नहीं उठाना चाहती है। पार्टी के भीतर से एक और संकेत मिल रहा है। मुलायम सिंह और अमर सिंह की करीबी बढ़ रही है। अमर सिंह को आमज खान के कारण ही पार्टी से 2010 में निलंबित कर दिया गया था।
अमर सिंह पार्टी के भीतर आजम खान के कट्टर प्रतिद्वंद्वी रहे हैं। पार्टी से निर्वासन के बाद अमर सिंह ने आजम खान पर तीखे हमले भी बोले थे। आजम खान ने भी अमर सिंह को पार्टी से निकाले जाने के बाद उन्हें ‘दलाल’ कहा था। गुरुवार को मुलायम सिंह ने न केवल अमर सिंह के साथ मंच साझा किया बल्कि खुलेआम उन्होंने अपना प्रेम भी जाहिर किया।
अमर सिंह को हाथ पकड़े मुलायम सिंह मंच पर लाए थे और स्टेज पर बैठे प्रदेश के सीएम अखिलेश यादव ने अपने ‘अमर अंकल’ के लिए कुर्सी खाली की थी। यह नजारा पार्टी से बाहर होने के लंबे समय बाद दिखा था। इसमें मुलायम सिंह चाहकर भी पूर्व राज्यसभा सांसद से अपने मधुर संबंधो को छुपा नहीं पाए थे। यह अफवाह भी उड़ी थी कि आजम खान ने अखिलेश यादव को धमकी दी है कि यदि उन्हें यूएन में याचिका दाखिल करने की अनुमति सरकार नहीं देती है तो वह सरकार से इस्तीफा दे देंगे। हालांकि मुख्यमंत्री ऑफिस ने इस बात को खारिज किया है।
अखिलेश सरकार में आजम खान के जिम्मे शहरी विकास, संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय है। वह सरकार में नंबर दो की हैसियत रखते हैं। आजम समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। पार्टी के भीतर हमेशा से उनका कद बड़ा रहा है।
हालांकि आजम खान समाजवादी पार्टी में कटु और विवादित बयान देने के लिए बदनाम हैं। लोकसभा चुनावी कैंपेन में आजम खान ने नरेंद्र मोदी को गद्दार कहा था। खान ने दावा किया था कि भारत ने 1999 में करगिल युद्ध इंडियन आर्मी में बहादुर मुस्लिमों के वजह से जीता था। उन्हें समाजवादी पार्टी ने बाहर का रास्ता भी दिखाया था। तब पार्टी में अमर सिंह का रसूख बहुत बड़ा था। कई मौकों पर वह कैबिनेट मीटिंग की बैठक में नहीं आए हैं। खान पार्टी के भीतर नखरे वाले नेता के रूप में जाने जाते हैं। क्या मुलायम सिंह ने इस नखरे को खत्म करने का मन बना लिया है?
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