…तो इसलिए योगी सरकार ने नहीं खोली अखिलेश सरकार की पोल

श्वेत पत्र में पिछली सरकार की पोल खोलने की तैयारी की गई थी। सीएम ने सरकार के 100 दिन पूरे होने पर विभागों की उपलब्धियां गिनाने और पिछली अखिलेश यादव सरकार के पांच साल के काम पर श्वेतपत्र लाने की बात कही थी। शासन ने सभी विभागों को श्वेतपत्र तैयार करने के लिए विस्तृत दिशानिर्देश भी जारी किए थे।
विभागों को यह बताना है कि उनके विभाग को पांच साल में कितनी रकम मिली? उसका कितना हिस्सा खर्च किया? उसकी भौतिक प्रगति कितनी रही? यह भी बताना था कि योजनाओं का आउटकम क्या तय था और क्या प्राप्त हुआ? इससे सपा सरकार के तमाम दावों की असलियत सामने आनी तय थी।
श्वेतपत्र तैयार करने की डेडलाइन भी तय की गई थी और तय समय पर यह बनकर तैयार भी हो गया, लेकिन फिलहाल अभी जारी न करने पर सहमति बनी।
सपा को जवाब देने के लिए था
जानकार बताते हैं कि मुख्य विपक्षी दल सपा ने योगी सरकार के कामकाज पर महीने भर के अंदर ही तीखी बयानबाजी शुरू कर दी थी। यह श्वेतपत्र सपा के हमले की धार कुंद करने के लिए हथियार के रूप में होता, लेकिन राष्ट्रपति चुनाव ने सरकार को कदम पीछे खींचने पर मजबूर कर दिया। बताया जाता है कि राष्ट्रपति चुनाव में पार्टियों का व्हिप लागू नहीं होता है। दलों के सांसद और विधायक अंतरात्मा की आवाज पर वोट दे सकते हैं।
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव राजग प्रत्याशी रामनाथ कोविंद को अच्छा प्रत्याशी बता चुके हैं और उनसे अपने बेहतर संबंधों का हवाला दे चुके हैं। भाजपाई खेमे में यह संकेत लगातार मिल रहे हैं कि चुनाव में कई विपक्षी सदस्यों का भी समर्थन मिल सकता है। श्वेतपत्र जारी होने से ऐन चुनाव के मौके पर मुख्य विपक्षी दल से तल्खी बढऩे की संभावना नजर आ रही थी। लिहाजा, सरकार ने श्वेतपत्र जारी करने का विचार अभी टाल दिया।
देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट
हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :
कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:
हमें ईमेल करें : [email protected]