तो इस दिवाली से हमारे जवानों के लिए नहीं, राष्ट्र के लिए अपना ‘योगदान’ दें। शुभ दिवाली और जय हिंद!

बीएसएफ के अफसर ने पूछा-क्या हम जवानों की शहादत के हकदार हैं?

gurnam-singh-3भारतीय सेना और बॉर्डर सिक्यॉरिटी फोर्स के जवान रोजाना जान की बाजी लगाकर पाकिस्तानी आर्मी और आतंकवादियों से लोहा लेते हैं। पिछले दिनों एक खबर आई कि किस तरह एक मां ने अपने सैनिक बेटे की शहादत पर इसलिए रोने से इनकार कर दिया क्योंकि उन्होंने अपने बेटे से ऐसा वादा किया था। यह खबर पढ़कर जैसलमेर में बीएसएफ के डीआईजी अमित लोढ़ा स्तब्ध हैं। वह पूछते हैं कि क्या देश के नागरिकों को सचमुच पता है कि एक जवान अपने देश के लिए क्या करता है?

डीआईजी लोढ़ा फिल्म ऐक्टर अक्षय कुमार की भी तारीफ करते हैं, जिन्होंने बीएसएफ के शहीद जवान गुरनाम सिंह के परिवार से बात की। दिल को छू लेने वाले अपने इस लेख में वह भावुक होकर उन लोगों की बात करते हैं, जो मोर्चे पर हर पल बिना किसी शिकायत दुश्मनों से लोहा लेते रहते हैं।

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‘दुखी मत हो बेटा, गर्व करो कि गुरनाम ने देश के लिए अपनी जान दी है।’ मैंने शहीद गुरनाम सिंह की मां के मुंह से यह बात सुनी तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए। बीएसएफ में कॉन्स्टेबल गुरनाम आंतकवादियों से लड़ते हुए शहीद हुए थे। इतने मजबूत कलेजे वाली मां ! 26 साल के गुरनाम सिंह ट्रक ड्राइवर कुलबीर सिंह के बेटे थे। उड़ी हमले के बाद तुरंत बाद जम्मू सेक्टर में घुसपैठ की कोशिशों को वह नाकाम करने में लगे हुए थे। हमले के अगले दिन जब वह उसी पोस्ट पर फिर तैनात हुए तो दुश्मन ने उन्हें खास तौर पर टारगेट किया। वह दो दिन तक अस्पताल में जिंदगी के लिए संघर्ष करते रहे, पर आखिरकार दम तोड़ दिया। सेना, बीएसएफ और अन्य सेनाओं में ऐसे हजारों गुरनाम हैं जो देश के लिए जान देने के तैयार रहते हैं।

  मैं कई बार सोचता हूं कि आखिर हमारे जवान किसके लिए अपनी जिंदगी कुर्बान करते हैं? एक नागरिक के तौर पर क्या हम बीएसएफ और आर्मी के जवानों के सर्वोच्च बलिदान के लायक हैं? या उन हजारों पुलिसवालों के त्याग के हकदार हैं जो अपनी ड्यूटी करते हुए जान दे देते हैं, फिर भी आलोचना का शिकार होते हैं?

एक नागरिक के तौर पर क्या हम अपना टैक्स ठीक से भरते हैं? क्या हम कानून का सम्मान करते हैं? या फिर बेशर्मी के साथ नियम तोड़ते रहते हैं और ऐसा करके अच्छा महसूस करते हैं? धन और शक्ति के लिए देवियों के पूजा करने के अलावा, क्या हम महिलाओं की इज्जत करते हैं? बाद में कैंडल मार्च निकालने के बजाय हम सड़क पर मरती किसी निर्भया को अस्पताल क्यों नहीं पहुंचाते? आखिर क्यों देश के प्रधानमंत्री को हमें सिखाना पड़ता है कि हमें देश को स्वच्छ बनाना है? ऐसे में बॉर्डर पर तैनात बीएसएफ का जवान सोचता होगा कि दिवाली पर अपने परिवार से दूर रहकर मैं जिन लोगों की रक्षा के लिए यहां तैनात हूं, क्या ये लोग मेरे बलिदान के लायक हैं भी?

मेरा कठिन परिस्थितियों में काम करना, शून्य से नीचे तापमान में डटे रहना, केरोसीन लैंप जलाना, दिवाली पर आतिशबाजी न करके असली बमों का इस्तेमाल करना। क्या मेरे देश के नागरिकों को वाकई इससे कोई मतलब है? मुझे पता है कि कुछ लोग अब भी यही सोच रहे होंगे कि जवान सिर्फ अपना काम करते हैं और ऐसा करते हुए जान दे देना उनका कर्तव्य है। हालांकि, एक सैनिक के दिमाग में क्या चलता रहता है, आप तभी समझ सकते हैं जब आप खुद वर्दी पहनें।

हालांकि, हमारे खूबसूरत देश में कुछ ऐसे जागरुक नागरिक भी हैं जो उम्मीद की किरण जगाते हैं। ऐक्टर अक्षय कुमार उनमें से एक हैं। मलयेशिया से फोन पर उन्होंने कहा, ‘अमित जी, प्लीज गुरनाम के परिवार से मेरी बात करवा दीजिए। मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि इस दुख की घड़ी में पूरा देश उनके साथ है।’

अक्षय हमेशा देश को आगे ले जाने की बात करते हैं। वह हमेशा जवानों के कल्याण के लिए नई आइडियाज लेकर आते हैं। पब्लिसिटी से दूर, वह अपने तरीके से जवानों और किसानों के कल्याण में अपना योगदान देते रहते हैं। अगर वह कुल्लू में शूट कर रहे होते हैं तो वह आईटीबीपी के जवानों के साथ वॉलिबॉल खेलने जरूर जाते हैं। पिछले साल उन्होंने जैसलमेर के झुलसा देने वाले मरुस्थल में बीएसएफ जवानों के साथ पूरा दिन बिताया था। उनकी मौजदूगी से जवानों में जोश भर जाता है। वह चुपचाप जवानों के परिवारवालों की मदद करते हैं। जब गुरनाम शहीद हुए, उस वक्त वह शूटिंग कर रहे थे। मैं उनकी आवाज में दर्द को महसूस कर सकता था, साथ ही बीएसएफ, सेना और पुलिस के प्रति उनके सम्मान के भाव को भी।

गुरनाम की मां जसवंत कौर और बहन कुलजीत से बात करके उन्हें लगा कि जैसे उन्होंने खुद अपने परिवार से बात की है। मैंने उनकी उदारता के लिए जब उन्हें शुक्रिया कहा तो जवाब में उन्होंने कहा, ‘मैंने कुछ नहीं किया है। मेरे पास इतना पैसा है, किस लिए? असली हीरो ये लोग हैं।’

यह मैं अक्षय की पब्लिसिटी के लिए नहीं लिख रहा हूं, पर अक्षय जैसे मशहूर शख्स जब हमारे जवानों का हौसला बढ़ाने के लिए आगे आते हैं तो बाकी भारतीयों को भी कुछ करने की प्रेरणा मिलती है। और हां, जब आप जैसे लोग हमारे जवानों के लिए सचमुच कुछ महसूस करते हैं तो हमें पता होता है कि हमारे देशवासी हमारे साथ हैं, हमेशा के लिए। आपके जैसे लाखों लोग हैं जो हमारे देश को महान बनाते हैं।

तो इस दिवाली से हमारे जवानों के लिए नहीं, राष्ट्र के लिए अपना ‘योगदान’ दें। शुभ दिवाली और जय हिंद!

 

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