….. तो मोदी मुलायम को बना सकते हैं बिहार का राज्यपाल, खतरे में लालू-मुलायम की रिश्तेदारी
लखनऊ। समाजवादी पार्टी में अखिलेश यादव ने जब से राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभाला है, पापा मुलायम सिंह यादव और चाचा शिवपाल यादव भड़के बैठे हैं। अखिलेश के लाख मनाने के बाद भी दोनों किसी भी कीमत पर अखिलेश को सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष मानने को तैयार नहीं हैं। नाराजगी का आलम ये है कि राष्ट्रपति चुनाव में अखिलेश यादव द्वारा मीरा कुमार को समर्थन की घोषणा के बाद भी मुलायम और शिवपाल ने एनडीए के उम्मीदवार राम नाथ कोविंद के पक्ष में वोटिंग की और खुलकर इसका ऐलान भी किया। शिवपाल सिंह यादव ने साफ कहा कि मुलायम सिंह यादव के कहने पर उन्होंने रामनाथ कोविंद को वोट दिया है। माना ये भी जा रहा है कि शिवपाल के साथ ही समाजवादी पार्टी के कई और विधायकों और सांसदों ने कोविंद के समर्थन में क्रास वोटिंग की है। इस बीच दिल्ली में नेताजी मुलायम सिंह यादव और नरेन्द्र मोदी के बीच हुई कानाफूसी के बाद खबरों का बाजार एक बार फिर गर्म हो गया है। जानकार मान रहे हैं कि सपा से शिवपाल की गद्दारी का बीजेपी अब मुलायम सिंह यादव को बड़ा इनाम दे सकती है। बीजेपी मुलायम सिंह यादव को बिहार का राज्यपाल बनाकर राम नाथ कोविंद के समर्थन का रिटर्न गिफ्ट देने जा रही है। मतलब साफ है कि बीजेपी मुलायम के इस अहसान को चुकाने का मन बना रही है।
आपको बता दें कि बिहार के राज्यपाल का पद रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने के बाद से खाली है। फिलहाल पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी बिहार की अतिरिक्त जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। अगर मुलायम को बिहार के राज्यपाल पद की जिम्मेदारी मिलती है तो मतलब साफ है कि मुलायम का बाकी का जीवन पटना में गंगा के किनारे कटने वाला है। बेटे द्वारा साइड लाइन किए जाने के बाद मुलायम के लिए बीजेपी का ये गिफ्ट किसी वरदान से कम नहीं होगा। सूत्रों की अगर मानें तो मुलायम को राज्यपाल बनाने का फैसला लेने के लिए पीएम मोदी पार्टी के कई बड़ नेताओं और करीबी सलाहकारों के साथ कई दौर की मैराथन बैठकें कर चुके हैं। हालांकि जानकारी ये भी है कि बिहार के राज्यपाल पद के लिए मुलायम सिंह यादव का नाम खुद लालकृष्ण आडवाणी ने ने आगे बढ़ाया है। बैठक में आडवाणी ने कहा मुलायम इस पद के काबिल हैं और उनका जीवन भी अब शांति और सुकून से भरा होना चाहिए। बीजेपी को मुलायम के कर्ज को हर कीमत पर चुकाना चाहिए।
जानकारों की अगर मानें तो मुलायम सिंह यादव को बिहार का राज्यपाल बनाने की एक वजह और भी हो सकती है। और वह वजह बिहार के सिंहायन को कंट्रोल में करना है। बीजेपी मुलायम को राज्यपाल बनाकर आरजेडी और कांग्रेस को बिहार सरकार से अलग-थलग करना चाहती है। मतलब साफ है कि भारत को कांग्रेस मुक्त करने की ओर बीजेपी का ये एक सोचा समझा कदम हो सकता है। लालू ने मुलायम को भी आगाह किया है कि वे बीजेपी के शिकंजे में न फसें। जानकारी के मुताबिक लालू ने अपने दामाद से मुलायम को समझाने की बात कही थी। लेकिन दामाद ने इससे साफ इनकार कर दिया। दामाद ने कहा कि अखिलेश ने जब से मुलायम को किनारे किया है। तब से वे हमारी कोई बात नहीं सुनते।
बीजेपी का सोचना ये भी है कि मुलायम को राज्यपाल बनाकर वह लालू-मुलायम की रिश्तेदारी में भी दरार डालने में कामयाब रहेगी। आपको बता दें कि मुलायम और लालू दोनों रिश्ते में समधी हैं। बीजेपी के इस कदम की आहट लालू यादव को भी मिल चुकी है। इसीलिए उन्होंने मायावती के पक्ष में बयानबाजी शुरू कर दी है। लालू ने तो बसपा सुप्रीमो Mayawati को राज्यसभा भिजवाने तक का भरोसा दिलवा दिया है। सूत्रों के मुताबिक लालू ने मायावती के पास ये संदेश भिजवा दिया है कि अगर वे आरजेडी ज्वाइन कर लें तो वे अपने कोटे से उन्हें राज्यसभा भेज देगी।
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