त्योहारों-पंचायत चुनावों से पहले यूपी को सांप्रदायिक हिंसा में झोंकने की साजिश!


केंद्रीय खुफिया एजेंसी ने बीते 26, 27 और 29 जून को लगातार तीन रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी है। इनमें कहा गया है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कासगंज, रामपुर, सहारनपुर और मुजफ्फरनगर और पूर्वी यूपी के गोरखपुर, वाराणसी, फैजाबाद, मऊ, गाजीपुर जैसे जिले अति संवेदनशील हैं और सांप्रदायिक हिंसा के मुहाने पर बैठे हैं और इन जिलों में कभी भी हालात बेकाबू सकते हैं। खुफिया एजेंसियों को शक है अवांछनीय तत्व ईद और रमजान के मौके पर माहौल खराब करने की साजिश को पंचायत चुनावों तक जारी रखने की कोशिश करेंगे। केंद्र को भेजी रिपोर्ट में में खुफिया एजेंसियों ने हाल ही में हुए सांप्रदायिक घटनाओं का जिक्र किया है। इसमें कहा गया है कि बीती 26 जून को कासगंज जिले के सहावर पुलिस थाने के तहत आने वाले मोहल्ला भीम सहावर में एक मामूली मुद्दे को लेकर दो समुदायों के बीच झड़प हुई थी। 27 जून को सहारनपुर जिले के रामपुर मनीहारन क्षेत्र में एक लड़की को दूसरे समुदाय के युवकों द्वारा छेड़ने को लेकर दो समुदायों के लोगों के बीच पथराव हुआ था। इस घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और सात अन्य घायल हो गए थे। इस मामले में चिंता व्यक्त करते हुए गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने भी कहा कि यह सभी मामले चिंता का कारण हैं और कोई विकराल रूप धारण करने से पहले ही इस पर रोक लगानी जरूरी है। एजेंसियों के मुताबिक, हाल-फिलहाल में देखने से तो यह मामला शांत हो गया दिखता है, लेकिन अंदर ही अंदर यह विवाद अभी भी सुलग रहा है। पिछले कुछ महीनों से सूबे में सांप्रदायिक हिंसा को भड़काने की लगातार कोशिश हो रही है। लोकसभा चुनावों के पहले वोटों के ध्रुवीकरण के मकसद से भड़की हिंसा ने पश्चिमी यूपी में सियासी माहौल को गरमा दिया था और आने वाले पंचायत और फिर विधानसभा चुनावों से पहले दंगों की फसल तैयार करने के लिए अभी से नफरत की बीज बोए जाने लगे हैं। इसमें राजनेताओं के बयान खाद और पानी का काम कर रहे हैं। नफरत फैलाने के मामले में सोशल मीडिया के टूल्स सबसे कारगर माध्यम बन रहे हैं। रिपोर्ट में एजेंसी ने रामपुर और सहारनपुर जिलों में पनप रहे सांप्रदायिक उन्माद का भी जिक्र किया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ही मुजफ्फरनगर के भुम्मा गांव में एक संप्रदाय के व्यक्ति द्वारा दूसरे संप्रदाय के व्यक्ति की हत्या किए जाने के बाद उत्पन्न हुए विवाद में दोनों समुदायों के लोगों ने एक दूसरे पर जमकर पत्थरबाजी की थी। हालात को काबू में लाने के लिए यहां पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा था। इस दौरान उपद्रवियों ने पुलिस के एक वाहन को नुकसान पहुंचाया था। आशंका जाहिर की जा रही है कि सांप्रदायिक हिंसा फैलाने के लिए यूपी में भारी मात्रा में अवैध असलहे भी चोरी छिपे लाए जा रहे हैं। एजेंसियां यूपी और पंजाब पुलिस द्वारा संयुक्त छापेमारी में बागपत से फर्जी लाइसेंस के आधार पर लिए गए 40 हथियारों का जखीरा बरामद किए जाने को भी इसी साजिश का हिस्सा मान रही हैं। खुफिया एजेंसियों ने बीते कुछ महीनों के दौरान यूपी में बाहर से अवैध हथियारों की सप्लाई और इनको लाने वाले करियर पकड़े जाने के मामलों को भी गंभीरता से लिया है।
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