दिल्ली में जुट रहे हैं अफ्रीकी देश, आतंकवाद और संयुक्त राष्ट्र में सुधार टॉप अजेंडा

africa-Summitतहलका एक्सप्रेस

नई दिल्ली। भारत-अफ्रीकी फोरम समिट की तीसरी कॉन्फ्रेंस में अफ्रीकी देशों के साथ विकास, व्यापार, निवेश, सुरक्षा और डिफेंस सेक्टरों में भारत की साझीदारी के बारे में जानकारी पेश की जाएगी। दुनिया की टॉप 10 में से 6 विकासशील अर्थव्यवस्थाएं अफ्रीकी महाद्वीप में ही हैं। सोमवार से शुरू होने वाला यह सम्मेलन 29 अक्टूबर तक चलेगा और इसमें 40 अफ्रीकी देशों के राष्ट्राध्यक्ष हिस्सा लेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर, 2015 में अपने अमेरिका दौरे के दौरान संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता हासिल करने के लिए जो मुहिम शुरू की थी, उसकी बानगी इस सम्मेलन में भी देखने को मिलेगी।

भारत-अफ्रीकी समिट की शुरुआत 2008 में हुई थी और इसके बाद से भारत क्षमता निर्माण, कौशल विकास, तकनीक के आदान-प्रदान, हेल्थकेयर सुविधाओं, सैन्य और कृषि क्षेत्रों से जुड़ी ट्रेनिंग आदि में अपेक्षाकृत ज्यादा युवाओं वाले देशों के साथ मिलकर काम क रही है। पिछले एक दशक में भारत ने अफ्रीका के 40 देशों में 7 अरब डॉलर के 140 प्रॉजेक्ट्स के लिए लाइन ऑफ क्रेडिट (एलओसी) मुहैया कराया है। यह पिछले 10 साल में भारत की तरफ से मुहैया कराए गए कुल लाइंस ऑफ क्रेडिट का तकरीबन दो-तिहाई है।

आधिकारिक सूत्रों ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया कि समिट में विकास से जुड़े कई प्रॉजेक्ट्स के लिए अतिरिक्त एलओसी का ऐलान किया जा सकता है। यह 1983 के बाद भारत में होने वाली सबसे बड़ी समिट है। जहां जापान, चीन और यूरोपीय यूनियन अफ्रीका के साथ नियमित तौर पर समिट करते हैं, वहीं भारत ने इस मामले में लेट से एंट्री की है। अफ्रीकी देशों के साथ समिट के मामले में जापान सबसे आगे है और उनसे इसकी शुरुआत 1993 से ही कर दी थी।

पहला भारत-अफ्रीका फोरम समिट 2008 में 4 से 8 अप्रैल के दौरान हुई थी। इसमें भारत के साथ 14 अफ्रीकी देशों ने हिस्सा लिया था। इसके बाद मई 2011 में दूसरी बार समिट अदीस अबाबा में हुई। इसमें 15 अफ्रीकी देशों ने हिस्सा लिया। दोनों मौकों पर मनमोहन सिंह भारत के प्रधानमंत्री थे।

इस महीने के आखिर में होने वाले इस सम्मेलन में पहली बार नरेंद्र मोदी बतौर प्रधानमंत्री शिरकत करेंगे, जिसमें 54 में से 53 अफ्रीकी देशों को न्योता दिया गया है, जिनमें से 40 से अधिक देशों ने समिट में भाग लेने की पुष्टि कर दी है। भारत का मकसद इन देशों के साथ लंबे समय के लिए साझेदारी करना है। इसे मोदी सरकार का अब तक का सबसे बड़ा कूटनीतिक मिशन कहा जा सकता है, जिसका आयोजन पिछले साल दिसंबर में होना था, लेकिन इबोला बीमारी के फैलने से इसे टालना पड़ा।

समिति में शिरकत करने वाले सभी नेताओं के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय बातचीत भी होने की उम्मीद है। यह शिखर सम्मेलन अफ्रीका द्वारा 2063 के एजेंडा को अपनाए जाने और संयुक्त राष्ट्र के 2030 के टिकाऊ विकास लक्ष्यों को ध्यान के मद्देनजर भी हो रहा है। अधिकारियों का कहना था कि भारत लंबे वक्त से अफ्रीकी विकास में साझेदार रहा है और इसके तहत अफ्रीकी युवाओं की क्षमता बेहतर करने का काम भी शामिल है। 2008-2011 के दौरान अफ्रीकी नागरिकों को 1500 इंडियन टेक्निकल ऐंड इकनॉमिक कोऑपरेशन प्रोग्राम स्कॉलरशिप दिए गए।

 

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