देश को चाहिए 397 HC जज, सुप्रीम कोर्ट-सरकार के बीच फंसी नियुक्ति?

नई दिल्ली। जजों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बीच हुई खींचतान ऐसे वक्त पर शुरू हुई है, जब देश के 24 हाई कोर्ट्स में करीब 397 जजों के पद खाली पड़े हैं। हालत यह है कि आठ हाई कोर्ट में तो ऐक्टिंग चीफ जस्टिस बैठे हैं। अभी यह साफ नहीं है कि इन रिक्तियों की पूर्ति पुराने कलीजियम सिस्टम के तहत होगी या जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है इस सिस्टम में सुधार करने के बाद नियुक्तियां की जाएंगी।
सबसे बुरी हालत यूपी के इलाहाबाद हाई कोर्ट की है। यहां 160 जजों की जरूरत है, जबकि अब तक सिर्फ 75 जज ही पूरी कोर्ट का काम देख रहे हैं। यानी, यहां अभी 85 जजों की नियुक्तियां की जानी हैं जो कि सिटिंग जजों की संख्या से भी ज्यादा है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसमें कितना वक्त लग सकता है।
कुछ ऐसा ही हाल कर्नाटक और राजस्थान हाई कोर्ट का भी है। यहां भी जजों की करीब आधी सीटें खाली हैं। इनके अलावा, सात हाई कोर्ट ऐसे हैं जहां खाली पदों की संख्या 40 फीसदी से भी ज्यादा है। इसमें गुजरात, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश शामिल हैं। बॉम्बे हाई कोर्ट में 33 पद खाली हैं, पंजाब-हरियाणा में भी इतने ही जजों की जरूरत है और मद्रास हाई कोर्ट को 23 जजों की जरूरत है।
दिलचस्प बात यह है कि ये देश के सबसे बड़े हाई कोर्ट्स में गिने जाते हैं। जाहिर है, इन अहम अदालतों में जजों की कमी मामलों के निपटारों पर बेहद बुरा असर डाल रही है। आपको जानकर हैरानी होगी कि देश की सिर्फ तीन अदालतें हैं, जहां फुल स्ट्रेंथ है। ये हैं सिक्किम, मेघालय और त्रिपुरा। हालांकि, यहां पर जजों की जरूरत ही 3-4 है।
साइट खंगालने पर यह भी पता चला है कि बॉम्बे, आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, पटना, पंजाब ऐंड हरियाणा, राजस्थान और गुवाहाटी हाई कोर्ट्स में ऐक्टिंग चीफ जस्टिस के जरिए काम चलाया जा रहा है।
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