नवाज शरीफ की कश्मीर वाली चिट्ठी पर भारत ने कहा, पाकिस्तान जितने चाहे उतने खत UN को लिखे

modi_nawazनई दिल्ली। भारत ने पाकिस्तान पर अपना दबाव बनाए रखा हुआ है। नई दिल्ली ने गुरुवार को कश्मीर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को खींचने की इस्लामाबाद की कोशिश को खारिज कर दिया। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भी बलूचिस्तान पर भारत के कॉमेंट्स को यह कहते हुए वाजिब ठहराया कि महज बयान देना दखलंदाजी नहीं कहा जा सकता है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘पाकिस्तान जितने चाहे उतने खत संयुक्त राष्ट्र को लिख सकता है। इससे यह जमीनी हकीकत नहीं बदल जाएगी कि जम्मू और कश्मीर भारत का अविभाज्य अंग है। जमीनी हकीकत यह भी है कि जम्मू और कश्मीर का एक हिस्सा पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है।’

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने 47 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा प्रॉजेक्ट पर भारत का पक्ष रखा। इस्लामाबाद और पेइचिंग के रिश्तों में CPEC प्रॉजेक्ट बेहद अहम है। विकास स्वरूप ने कहा, ‘चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा भारत के उस हिस्से से गुजरता है जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है। इसलिए हमारा चिंतित होना लाजिम है।’

पाकिस्तान की बिगड़ती माली हालत की सूरत में CPEC प्रॉजेक्ट उम्मीद की एक किरण है। हालांकि अशांत बलूचिस्तान सूबे में इसे लेकर विरोध हो रहा है और पाकिस्तान उसे ताकत के जोर पर दबाने की पूरी कोशिश में लगा हुआ है। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से बलूचिस्तान, गिलगित और पाक अधिकृत कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन का मसला उठाया था।

बलूचिस्तान के जिक्र से पाकिस्तान के सत्ता प्रतिष्ठान को बड़ा झटका लगा है और वह मोदी की टिप्पणी को अपने घरेलू मामलों में दखलंदाजी करार दे रहा है। हालांकि इन आरोपों से भारत ने इनकार किया है। विकास स्वरूप ने कहा, ‘अगर कहीं मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है तो हम इस पर चिंता जाहिर करेंगे। असली दखलंदाजी तो सीमा पार से होने वाला आतंकवाद है।’

 

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