नवाबों की नगरी में फंसने से बचे ‘राजा बाबू’, सरकारी जमीन बेच रहे थे जालसाज

तहलका एक्सप्रेस ब्यूरो, लखनऊ। बड़े मियां छोटे मियां, एक और एक ग्यारह, हसीना मान जाएगी जैसी फिल्मों में गोविंदा चोरी, जालसाजी और हेराफेरी के खास अंदाज से दर्शकों को खूब गुदगुदा चुके हैं। लेकिन नवाबों की नगर में वह खुद जालसाजों के जाल में फंस गए थे। ऐन वक्त पर उन्हें इसका अहसास हुआ और उन्होंने जमीन के सौदे से किनारा कर लिया। उन्हें लखनऊ के मोहनलाल गंज में जो प्लॉट बेची जा रही थी वह विवादित है। सरकारी घोषित की जा चुकी जमीन को अवैध तरीके से कई बार बेचा जा चुका है।
लखनऊ जिला लेखपाल संघ के अध्यक्ष शुशील कुमार शुक्ला के मुताबिक डेहवा गांव की यह जमीन एक दशक पहले एक एनआरआई नोमान अहमद सिद्दीकी ने खरीदी थी। म्यूटेशन के दौरान लेखपाल की रिपोर्ट के आधार पर रजिस्ट्री 2008 में निरस्त कर दी गई। लेकिन कागजों में हेरफेर कर दूसरे एसडीएम ने पुराना आदेश निरस्त कर दिया और जमीन नोमान सिद्दीकी के नाम कर दिया। नोमान ने मौके का फायदा उठाकर जमीन तेलीबाग निवासी सत्येंद्र शुक्ला के नाम पर बेच दी। इसके बाद इस जमीन को विवेक प्रताप सिंह ने खरीद ली। अब इसमें से 15 हजार वर्गफुट जमीन गोविंदा को बेचने की कोशिश की। इस जमीन के म्यूटेशन में जिस तरह से जालसाजी हुई है वह आगे चलकर गोविंदा के लिए मुसीबत बन सकती थी। जिला लेखपाल संघ के अध्यक्ष शुशील कुमार के मुताबिक जब एसडीएम ने जमीन की रजिस्ट्री निरस्त कर इसे राज्य सरकार की संपत्ति घोषित कर दी थी तो उस फैसले को एक समकक्ष अधिकारी कैसे बदल सकता हैं? अपने समकक्ष के निर्णय बदलने के पीछे एसडीएम की मंशा क्या थी यह जांच से ही सामने आएगा। शुशील कुमार सिंह के मुताबिक नोमान अहमद सिद्दीकी ने रजिस्ट्री के कागज पता सऊदी का दिया था। फोटो भी सऊदी के पारंपरिक भेषभूषा वाला लगाया है। जांच हो तो एसडीएम शुभ्रांत शुक्ला के आदेश के अनुसार जमीन राज्य सरकार की होगी।
लेखपाल ने नियमों का हवाला देते हुए बताया कि कोई भी एनआरआई भारत में जमीन नहीं खरीद सकता है। इसके आधार पर एसडीएम शुभ्रांत शुक्ला ने वह रजिस्ट्री निरस्त करके जमीन राज्य सरकार के नाम कर दी थी। इसके अलावा तात्कालीन लेखपाल रहे शुशील कुमार शुक्ल का कहना है कि रजिस्ट्री में दर्ज हाल पता के आधार पर एनआरआई भारत में रजिस्ट्री नहीं करवा सकता। यदि जांच की जाए तो इसमें कई बड़ी अधिकरी भी फंस सकते हैं। इस बाबत मोहनलाल गंज के तहसीलदार राम भरत यादव ने कहा कि इस मामले की मुझे जानकारी नहीं है। यह काफी पुराना मामला है। राजस्व अभिलेखों से एनआरआई का नाम हटाया जा चुका है। जांच के बाद ही पूरा मामला पता चल पाएगा। इस तरह की जालसाजी की बात सामने आने के बाद जब नमःज्योति इंफ्रास्ट्रक्चर के मालिक से बात करने की कोशिश की तो उनका मोबाइल बंद मिला। पिछले महीने 21 जुलाई को गोविंदा जमीन खरीदने के लिए लखनऊ आए थे। उन्होंने मोहनलाल गंज में के रानीखेड़ा के डिहवा में जमीन देखी थी। प्रॉपर्टी डीलर के मुताबिक गोविंदा ने एडवांस पैसे भी दे दिए थे। लेकिन उस समय रजिस्ट्री नहीं हुई थी।
बॉलीवुड स्टार गोविंदा लखनऊ में एक एक्टिंग स्कूल भी खोलना चाहते हैं। इसके लिए इन्होंने देवा रोड पर आरवी दूबे एनक्लेव में जमीन भी देखी थी। यहां वह एक लाख स्क्वायर फीट जमीन खरीदने की प्रक्रिया में हैं।
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