नीतीश के बाद अब एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार और सपा के पूर्व अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को लाना चाहती है अपने साथ

लखनऊ। नीतीश कुमार ने महागठबंधन को तोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। लेकिन मोदी-शाह एकबार फिर से ऐसी रणनीति बना रहे कि विपक्षी एकता को बड़ा झटका लगने वाला है। बिहार के सीएम नीतीश कुमार को अपने पाले में करने के बाद भाजपा की नजरें अब इन दो दिग्गज नेताओं को अपने पाले में करना चाहते हैं।

वर्ष 2019 में राजग विरोधी नींव को मजबूत करने की दिशा में नए सिरे से पहल कर सकते हैं। भाजपा अब एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार और सपा के पूर्व अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव निशाने पर लेकर विपक्षी एकता  में सेंध लगाना चाहती है। पार्टी के एक वरिष्ठ मंत्री के मुताबिक विपक्षी एकता की नींव मजबूत करने का जिम्मा नीतीश कुमार के कंधों पर है।

माना जा रहा है कि ऐसे में नीतीश और जदयू को राजग के साथ लाना भाजपा के लिए बड़ी कामयाबी होगी। कांग्रेस के रुखे बर्ताव के कारण शरद पवार इस दिशा में काम नहीं कर पा रहे हैं। जबकि बसपा प्रमुख मायावती और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी के बारे में अनुमान लगाना बेहद मुश्किल है।

सपा में जारी घमासान का भी फायदा भाजपा को मिलेगा। इसके अलावा नवीन पटनायक सहित कई अन्य विपक्षी नेताओं की राजनीति की धुरी कांग्रेस विरोधी रही है। उक्त मंत्री ने कहा कि यही सब वजह हैं जिनका फायदा भाजपा उठाकर विपक्षी एकता को खत्म करना चाहती है। मंत्रिमंडल विस्तार और नए राज्यपालों की नियुक्ति के जरिये प्रधानमंत्री मोदी इस दिशा में जल्द ही कठोर फैसला लेने वाले हैं।

चुनाव से ठीक पहले शंकर सिंह वाघेला ने इस्तीफा देकर गुजरात में कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। कांग्रेस की कोशिश गैर-राजग विपक्षी दलों के क्षत्रपों के सहारे वापसी करने की थी। भाजपा अब कांग्रेस की इसी रणनीति को विफल करने में जुट गई है।

भाजपा की रणनीति दलित और पिछड़ी जातियों में मजबूत पकड़ बनाने की है। भाजपा यूपी में गैर यादव पिछड़ी जातियों को पहले ही अपने पाले में कर चुकी है। जबकि जदयू का साथ मिलने से अब यही स्थिति बिहार में बनने की उम्मीद कर रही है। भाजपा ने दलित वर्ग से राष्ट्रपति चुना और पिछड़ा वर्ग को संवैधानिक दर्जा देकर पार्टी बनिया-ब्राह्मणों की पार्टी वाली छवि को खत्म करने की लगातार कोशिश में है।

 

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