नेपाल में हिट हुआ डोभाल का सबसे बड़ा दांव, सरकार ने अरबों के प्रोजेक्ट से चीनी कंपनी को खदेड़ा

नई दिल्ली। चीन को उसकी वन बेल्ट-वन रोड पॉलिसी पर पहले ही मुसीबत में डाल चुके  देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने एक बार फिर झटका दिया है।  इस  नई चाल से नेपाल में पांव-पसारने में जुटी चीन की सरकार के मंसूबे पर पानी फिर गया है। चीन की कोशिश थी कि आर्थिक संकट से जूझ रहे नेपाल को उसके प्रोजेक्ट में मदद कर अपने साथ मिलाया जा सके। मगर डोभाल की कूटनीति के आगे चीन की कूटनीति फेल हो गई। इसी के साथ सफल कूटनीति से डोभाल ने मोदी का भरोसे फिर से जीता है।  जता दिया कि अगर रिटायरमेंट के बाद भी उन्हें खोजकर मोदी ने सुरक्षा सलाहकार बनाया है तो इसके लिए उनमें  बेजोड़ काबिलियत है। ताजा मामला नेपाल के सबसे बड़े 2.5 बिलियन डॉलर के हाइड्रो प्रोजेक्ट से जुड़ा है। जहां डोभाल की कूटनीति रंग लाई और नेपाल की सरकार ने चीनी कंपनी को अपने यहां से खदेड़ दिया।

क्या है मामला

दरअसल 1200 मेगावॉट बिजली उत्पादन के लिए नेपाल  ने हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट शुरू किया है। कुल 50 किमी लंबाई में यह काठमांडू के पश्चिम स्थित नदी पर निर्माणाधीन है।  चीनी दबाव व और नेपाल के माओवाद समर्थकों के दबाव में  Gezhouba Group को नेपाल सरकार ने  Budhi Gandaki hydroelectric project,” बनाने का जिम्मा सौंपा। इसे दबाव कहें या फिर मिलीभगत प्रचंड सरकार ने चीन की कंपनी को अपने कार्यकाल के आखिरी दिन बिना किसी टेंडर के कंपनी को काम सौंप दिया।

भ्रष्टाचार के लगने लगे आरोप

चीनी कंपनी ने प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया। प्लांट बनने लगा। चूंकि जोड़जुगाड के दम पर प्रोजेक्ट हासिल किया था, इस नाते कंपनी ने मनमानी शुरू कर दी। भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे। उप प्रधानमंत्री कमल थापा ने मोर्चा खोल दिया। संसदीय समितियों ने जांच शुरू की। उधर नेपाल में बिजली उत्पादन के लिए प्रस्तावित इस सबसे बड़ी परियोजना पर भारत की निगाह पर पहले से टिकी रही। सूत्र बता रहे हैं कि डोभाल ने नेपाल के सत्ता प्रतिष्ठान से कई दफा संपर्क कर चीनी कंपनी को प्रोजेक्ट से बाहर करने के लिए राजी करने में सफल रहे।

भारतीय कंपनियों को होगा लाभ

चीनी कंपनी के बाहर होने से अब इस बड़े प्रोजेक्ट के निर्माण में भारतीय कंपनी GMR Group और सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड को हिस्सेदारी मिलेगी।  दोनों कंपनियों की 900-900 MW पॉवर प्लांट बनाने की क्षमता है।  दरअसल डोभाल ने नेपाल को आश्वस्त किया था कि वे अगर चीन की कंपनी को भ्रष्टाचार के आरोप में बाहर करेंगे तो भारतीय कंपनियां निर्माण में सहयोग करेंगी।  चीनी कंपनी का नेपाल के सबसे बड़े प्रोजेक्ट से हटना और भारतीय कंपनियों को काम मिलने को भारत की कूटनीतिक विजय मानी जा रही है।

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button