नोटबंदी के बाद बैंक की कतार में फूट-फूटकर रो पड़े थे नंद लाल, अब सरकार के साथ

नई दिल्ली। नोटबंदी के दौरान बैंकों और एटीएम्स के आगे लंबी लाइनें आम हो गई थीं। कई लोगों को बहुत कष्ट हुआ। खासकर बुजुर्गों को। इन्हीं में एक हैं नंद लाल। गुरुग्राम स्थित स्टैट बैंक ऑफ इंडिया के ब्रांच में चार घंटे खड़ा रहने के बाद भी जब 80 वर्ष के इस रिटायर्ड आर्मी मैन को पैसे नहीं मिले तो ये फूट-फूट कर रो पड़े। तब नंद लाल की तस्वीरें वायरल हो गईं जिनमें ये बेहद असहाय दिख रहे थे।

नोटबंदी के आलोचकों ने नंद लाल को पोस्टर बॉय बना डाला। इनका हवाला देते हुए सरकार के खिलाफ हमले और तेज हो गए। आलोचकों ने कहा कि सरकार का यह दावा गलत है कि नोटबंदी से सिर्फ भ्रष्ट अमीर निशाने पर आए हैं। नोटबंदी की घोषणा के एक साल पूरा होने के मौके पर इकनॉमिक टाइम्स ने नंद लाल से मुलाकात की और उनसे जानना चाहा कि नोटबंदी को लेकर अब उनकी राय क्या है।

जब फूट-फूटकर रोने लगे थे नंद लाल।

नंद लाल पुराने गुरुग्राम स्थित भीम नगर इलाके में 8×10 के किराए के रूम में रह रहे हैं। इस छोटे से रूम में उनके सामानों से भरा एक ट्रंक, एक छोटा सा बिस्तर, प्लास्टिक की एक कुर्सी, एक बाल्टी, एक ऐस्ट्रे, पानी की कुछ बोतलें और भगवान शिव और गणेश की एक-एक तस्वीर है। विभाजन के वक्त वह पाकिस्तान के डेरा गाजी खान से भारत आए थे। उन्हें 1991 में आर्मी से रिटायरमेंट मिली थी। उनकी एक गोद ली हुई बेटी है जिसका ब्याह हो चुका है। वह कभी-कभार मिलने के लिए आती है। नंद लाल को देश की सेवा करने का गर्व है। वह कम सुनते हैं। इस वजह से उनसे किसी सवाल का जवाब पाने के लिए एक ही सवाल बार-बार बोलना पड़ता है।

किराये के छोटे से कमरे में नंद लाल।

ईटी ने उनसे पूछा- पिछले साल नोटबंदी के बाद कैश लेने में उनको किस मुश्किल से गुजरना पड़ा था? इस सवाल पर नंद लाल बताते हैं कि वह बैंक में घंटों खड़े रहे, फिर भी उन्हें जरूरत की रकम नहीं मिली। उन्होंने बताया कि उन्हें किराया और मेड को मासिक वेतन देने के लिए पैसे की जरूरत थी।

वह फफक-फफकर रो क्यों पड़े थे? इस सवाल के जवाब में वह कहते हैं कि जब वह बैंक के बाहर कतार में खड़े थे तो किसी ने उन्हें धक्का दे दिया। इस क्रम में एक महिला ने उनके पैर कुचल दिए। उन्होंने कहा, ‘इसके सिवा मुझे कुछ खास समस्या नहीं हुई।’ लाल ने कहा, ‘शुरू-शुरू में उन्हें पैसे निकालने में मुश्किल हुई, लेकिन बाद में सब सही हो गया।’ अब उनका कहना है, ‘अब मैं अपनी मेड को बैंक भेज देता हूं और वह मेरी ओर से पैसे निकालकर मुझे थमा देती है।’

लाल कहते हैं कि अब वह नोटबंदी से खुश हैं। लेकिन, सवाल यही है कि क्या नोटबंदी सही फैसला था? इस पर लाल का कहना है कि वह सरकार के हर फैसले का समर्थन करेंगे क्योंकि वह एक सर्विसमैन हैं। एक सच्चे राष्ट्रवादी नंद लाल ने कहा कि वह 20 सालों तक देश की आर्मी के लिए काम किया और वह सरकार के हर फैसले का पालन करेंगे। उन्होंने कहा, ‘सरकार जो भी करती है, वह देश की भलाई के लिए होता है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं एक सैनिक हूं और मैं सरकार के हर फैसले के साथ हूं।’

 

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