न्यायालय के फैसलो से खुल रही सरकार की असलियत, भाजपा का आरोप

vijay bahadur pathakतहलका एक्सप्रेस

लखनऊ। हाईकोर्ट द्वारा लगातार सरकार द्वारा की गयी नियुक्तियों को ख़ारिज करने वाले फैसले आने के बाद  भारतीय जनता पार्टी ने अखिलेश सरकार की कार्यशैली पर प्रश्न खड़े करते हुए कहा कि पक्षपात और मनमानी वाले रवैये के चलते फिर से एक आयोग की नियुक्ति न्यायालय केे कठघरे में है।

भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि जिस प्रकार भर्ती बोर्डो के अध्यक्षो और सदस्यों की नियुक्यिों को न्यायालय में न सिर्फ चुनौती मिल रही, वरन् न्यायालय द्वारा बर्खास्तगी के निर्देश दिये जा रहे है, उससे स्पष्ट है कि अखिलेश सरकार ने आयोगों में चयन का आधार मानकों की बजाय व्यक्तिगत निष्ठा रखा और इसी व्यक्तिगत निष्ठा के आधार पर राज्य में बेरोजगारों के साथ न्याय करने का दावा करने में जुटी है, नतीजन राज्य में बेरोजगारों की भर्ती करने वाले आयोगों से लेकर बेरोजगार तक निराश हो रहे है। राज्य में लाखों पद रिक्त है, पर अखिलेश सरकार इन आयोगो के लिए एक अदद योग्य अध्यक्ष, सदस्य नहीं खोज पा रही है, जो मानको पर खुद भी खरे उतरे ओर बेरोजगारों की फौज को मानकों पर खरा उतारते हुए रोजगार उपलब्ध करा सके।

सोमवार को पार्टी मुख्यालय पर प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने अखिलेश सरकार पर बेरोजगारों के साथ छल करने का आरोप लगाते हुए कहा कि बेरोजगारी भत्ता देने का वादा कर सत्ता में आयी अखिलेश सरकार बेरोजगारी भत्ता दे नहीं पा रही है। राज्य मेें रिक्त पदो पर बेरोजगारों की नियुक्ति हो इस दिशा में सहायक बनने के बजाय अवरोध का काम कर रही है। जिन आयोगों संस्थाओं के भरोसे बेरोजगारों को रोजगार मिलना है, वे खुद के चयन में योग्यता को लेकर सवालों के घेरे में है। पहले आयोगों के सदस्य, फिर उच्च शिक्षा सेवा आयोग, और अब माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग के अध्यक्ष की बर्खास्तगी इस कारण से की गई क्योंकि उनके चयन में मानकों का पालन नहीं हुआ, पूरी सरकार कठघरे में खड़ी है।

उन्होंने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की कार्यशैली को लेकर सवाल खड़े करते हुए कहा कि सुचिता की दुहायी देते नेता अपनी पक्षपातपूर्ण निति के कारण विवादों के घेरे में है। उन्होंने कहा कि आखिर इन आयोगों के अध्यक्षों और सदस्यों की नियुक्ति में मानकों की अनदेखी क्यों की गयी ? क्या मुख्यमंत्री स्वयं इन नियुक्तियों से भिज्ञ नहीं थे, थे तो ऐसा क्यों किया, जब न्यायालय में मामलो को चुनौती मिली तो सरकार ने खुद ही समीक्षा क्यों नहीं की, अब आखिर एक-एक करके जब आयोगो की नियुक्ति पर सवाल खड़े हुए उनकी बर्खास्तगी तक के निर्देश न्यायालय को करने पड़ रहे हो, तो इसमें किसे दोषी माना जाय ?
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि अपनी हर नाकामी के लिए दूसरों पर ठिकरा फोड़ते मुख्यमंत्री और उनके मंत्री परिषद के लोग अब क्या इसके लिए भी विपक्ष पर, मीडिया को जिम्मेदार ठहरा काम चलायेगे।
 

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