पनामा लीक मामले में अभी भी दुनियाभर के 140 नेताओं पर खतरे का बादल

नई दिल्ली। तो पनामा खुलासे की भेंट एक और प्रधानमंत्री चढ़ गया। पाकिस्तान की उच्च अदालत ने पीएम नवाज शरीफ को इस मामले दोषी करार दिया है। पनामा लीक मामले में अभी भी दुनियाभर के 140 नेताओं पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। जिनमें 72 पूर्व और वर्तमान सत्ताधारी हैं। पनामा लीक की पहली बलि आइसलैंड के प्रधानमंत्री सिगमुंडर डेविड चढ़े थे। उसके बाद, स्पेन के उद्योग मंत्री खोसे मैनुअल सोरिया नप गये। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर भी पनामा मामले में खतरा मंडरा रहा है।

उसी तरह ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन अपने पिता के खाते की वजह से उलझ गये। चीन के राष्ट्रपति शी, सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद, पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ इस काजल की कोठरी से बेदाग निकल पाते हैं, कहना मुश्किल है। पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिस तरह लपेटे गये हैं, उसका पूरा शक सीआइए पर गया है।

क्या है पनामा लीक

पनामा लीक 3 अप्रैल, 2016 को दुनिया के 76 देशों में धमाके के साथ प्रकाशित-प्रसारित हुआ. मगर, सच यह है कि उसके एक साल पहले से जर्मन सरकार इससे जुड़े घोटालों की जांच में लगी हुई थी।

जर्मन अखबार, ‘ज्यूडडाॅयच त्साइटूंग’ के अनुसार, ‘अकेले डायचे बैंक ने 400 से अधिक ‘आॅफ शोर कंपनियां’ स्थापित करने में ‘मोसाक फोन्सेका’ को मदद की थी।’ पनामा में पैदा रमन फोन्सेका को लाॅ फर्म स्थापित करने में जर्मन मूल के युरगेन मोसाक का साथ मिला था।

यूरगेन मोसाक का जन्म बावेरिया प्रांत के फ्यूर्थ में हुआ था, और उसके पिता हिटलर की खुफिया ‘वाफेन-एसएस’ में जासूस रह चुके थे. पनामा में युरगेन मोसाक के पिता को बसाने की वजह क्यूबा और दक्षिण अमेरिकी देशों की आर्थिक-राजनीतिक गतिविधियों की सूचनाएं सीआइए को देना था।

पनामा प्रकरण को लीड देनेवाले जर्मन अखबार ‘ज्यूडडाॅयच त्साइटूंग’ ने दो लाख 14 हजार आॅफ शोर कंपनियों का भंडाफोड़ ‘आइसीआइजे’ से जुड़े 109 मीडिया संगठनों की साझेदारी से किया था।

 

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