परि’वॉर’ में आर-पार की लड़ाई: जानें, किसके तरकश में क्या?

क्या टूट जाएगी समाजवादी पार्टी? सोमवार की बैठक पर सबकी निगाह

family-mulayamलखनऊ। समाजवादी पार्टी की टूट को रोक पाना अब मुश्किल लगता है। मुलायम सिंह यादव सोमवार को इस पर अपनी चुप्पी तोड़ेंगे, उसी दिन उन्होंने एसपी की अहम बैठक भी बुला रखी है। सबकी निगाह अब इसी बैठक पर है, क्योंकि समाजवादी पार्टी के भविष्य को लेकर उठ रहे तमाम सवालों, तमाम अगर-मगर का जवाब इस मीटिंग में मिल सकता है। मुलायम के लिए अब पार्टी को एकजुट कर पाना न सिर्फ सबसे बड़ी चुनौती है, बल्कि उनके राजनीतिक जीवन की संभवतछ सबसे कड़ी परीक्षा भी है।

कुछ टीवी रिपोर्ट्स के मुताबिक समाजवादी पार्टी टूट चुकी है, बस औपचारिक ऐलान होना बाकी है। कुछ अपुष्ट रिपोर्ट्स में तो यहां तक भी दावा किए जा रहे हैं कि टीम अखिलेश ने न सिर्फ नई पार्टी का नाम तय कर लिया है, बल्कि नई पार्टी का चुनाव चिन्ह भी चुन लिया है। जब तक औपचारिक तौर पर कोई ऐलान नहीं हो जाता, तब तक इस तरह की अटकलें लगती ही रहेंगी। इन कयासबाजियों के बीच आइए देखते हैं कि किसके पास क्या विकल्प है-

क्या कर सकते हैं अखिलेश?
अखिलेश यादव खुद पिता मुलायम के खिलाफ दिखने से अब तक बच रहे हैं। रविवार को पार्टी विधायकों के साथ हुई बैठक में उन्होंने कहा कि पार्टी को नेताजी ने खड़ा किया है और वह उन्हें सीएम बनवाने को तैयार है। लेकिन जिस तरह मुलायम ने अखिलेश को लेकर सख्त नाराजगी का इजहार किया है, उसे देखकर नहीं लगता कि अब बाप-बेटे का राजनीतिक साथ लंबा चल सकेगा। ऐसे में अखिलेश के सामने विकल्प है कि वह अपनी नई पार्टी बना लें या फिर किसी दूसरी पार्टी में शामिल हो जाएं।
शिवपाल के पास क्या हैं विकल्प

शिवपाल कह चुके हैं कि यूपी विधानसभा का चुनाव मुलायम सिंह यादव के नाम पर ही लड़ा जाएगा। दूसरी तरफ, रामगोपाल यादव को पार्टी से निकाले जाने का ऐलान करने के लिए मुलायम ने शिवपाल को ही भेजा। जाहिर है मुलायम का अपने भाई शिवपाल पर न सिर्फ भरोसा बना हुआ है, बल्कि मजबूत ही हुआ है। ऐसे में शिवपाल हर हाल में अपने भाई मुलायम के ही साथ रहने वाले हैं। वैसे भी उन्होंने अपने विकल्पों को सीमित कर रखा है। अगर नाटकीय तरीके से वह खुद एसपी से बाहर हुए तो समर्थकों के साथ अपनी पार्टी बना सकते हैं।
निष्कासन के बाद क्या करेंगे रामगोपाल?

रामगोपाल यादव को 6 साल के लिए पार्टी से निकाल दिया गया है। ऐसे में समाजवादी पार्टी में उनकी भूमिका तो खत्म ही हो चुकी है। उन्होंने भी साफ किया है कि वह पार्टी में रहें या न रहें, हमेशा अखिलेश के साथ रहेंगे। रामगोपाल शुरू से अखिलेश के साथ रहे हैं। अगर अखिलेश नई पार्टी बनाते हैं तो रामगोपाल उसमें ‘चाणक्य’ की भूमिका में दिख सकते है।
किधर रहेंगे आजम खान?

आजम खान की गिनती मुलायम के भरोसेमंद लोगों में होती रही है, लेकिन मुलायम परिवार के इस झगड़े में आजम मुलायम के बजाय उनके बेटे अखिलेश के साथ खड़े हैं। वैसे भी अमर सिंह जिधर रहेंगे उधर आजम तो नहीं ही रह सकते।
क्या सुलह के लिए अमर की होगी कुर्बानी?

समाजवादी पार्टी में सुलह के सारे रास्ते करीब-करीब बंद हो चुके हैं। हालांकि कुछ अटकलों के मुताबिक कलह को शांत करने के लिए अमर सिंह की ‘कुर्बानी’ दी जा सकती है। अखिलेश ने जिस तरह अमर सिंह को ‘खलनायक’ ठहराया है उसे देखते हुए हो सकता है कि अमर खुद ही पार्टी से अलग हो जाए ताकि मुलायम परिवार का झगड़ा शांत हो। लेकिन बात इतनी आगे जा चुकी है कि अब शायद किसी भी ‘कुर्बानी’ से न बने।

 

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