‘पाक को ठेंगा’, भारत का साथ देगा जापान

Chabahar• चाबहार पोर्ट बनाने में भारत के साथ भागीदारी करना चाहता है जापान
• इस महीने पीएम मोदी की जापान यात्रा के दौरान हो सकता है दस्तखत
• ईरान के चाबहार पोर्ट से अफगानिस्तान, मध्य एशिया पहुंचेगा भारत
• पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट में चीन की मौजूदगी का काउंटर करेगा भारत

www.tahalkaexpress.com नई दिल्ली। पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए अफगानिस्तान और दक्षिण एशिया तक पहुंचने की भारत की महत्वाकांक्षी चाबहार परियोजना को विकसित करने में जापान भी साथ देने जा रहा है। खबरें आ रही हैं कि जापान रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह को विकसित करने में अपनी भागीदारी पर विचार कर रहा है। पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत स्थित ग्वादर बंदरगाह में चीन की उपस्थिति को काउंटर करने के नजरिए से ईरान का चाबहार पोर्ट भारत के लिए अहम माना जा रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी महीने ईरान जाने वाले हैं और उम्मीद है कि दोनों देश चाबहार पोर्ट के लिए कमर्शल कॉन्ट्रैक्ट के साथ-साथ इस प्रॉजेक्ट के लिए भारत को 150 मिलियन डॉलर (करीब 10 अरब रुपये) दिए जाने की रूपरेखा पर दस्तख्त कर सकते हैं। ईरान के दक्षिण-पूर्वी भाग में स्थित इस बंदरगाह भारत के लिए ना केवल अफगानिस्तान बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के गेटवे का काम करेगा। इतना ही नहीं, भारत इसके जरिए पाकिस्तान को भी पूरी तरह दरकिनार कर सकेगा।

हालांकि, राजनयिक सूत्रो ने कहा कि फिलहाल कुछ स्पष्ट फैसला नहीं हुआ है, लेकिन तोक्यो कई बार चाबहार में अपनी दिलचस्पी का इजहार कर चुका है। ईरान में जापान के राजदूत पिछले साल ईरान से अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हटने से पहले ओमान की खाड़ी स्थित चाबहार पोर्ट के दौरे पर गए थे और तब उन्होंने इस प्रॉजेक्ट को वैश्विक व्यापार केंद्र बनाने की योजना पर बात की थी।

कहा जा रहा है कि भारत के साथ प्रॉजेक्ट डिवेलपमेंट पर नजर रखने के साथ-साथ जापान की इच्छा चाबहार में एक इंडस्ट्रियल कॉम्प्लेक्स बनाने की भी है। उम्मीद है कि 38 सालों बाद जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे भी इस साल अगस्त में ईरान की यात्रा पर जाएंगे। तब ईरान के कुछ बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश की भी घोषणा हो सकती है।

रणनीतिक मामलों के जानकार ब्रह्म चेलानी के मुताबिक, ‘चाबहार पोर्ट और इंडस्ट्रियल कॉम्प्लेक्स बनाने में भारत-जापान की भागीदारी ईरान, भारत और जापान, तीनों देशों के लिए विन-विन वाली स्थिति होगी। उन्होंने कहा, ‘चाबहार में एक प्रमुख शिपिंग हब के रूप में उभरने की क्षमता ग्वादर के मुकाबले कहीं ज्यादा है। चाबहार पर भारत-जापान पार्टनरशिप ग्वादर में चीन के बढ़ते हस्तक्षेप को काउंटर करने के नजरिए से रणनीतिक महत्व रखती है।’

 

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