पाक, श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश को कर्ज के जाल में फंसा रहा है चीन
नई दिल्ली। चीन का मेगा ग्लोबल कनेक्टिविटी प्रॉजेक्ट- वन बेल्ट वन रोड (OBOR) दक्षिण एशिया के देशों के लिए बड़ी आर्थिक मुश्किलें पैदा कर सकता है। इस प्रॉजेक्ट के जरिए चीन को जमीन और समुद्र के जरिए दक्षिण पूर्व एशिया और मध्य एशिया से होकर यूरोप से जोड़ने की योजना है। इस प्रॉजेक्ट के तहत श्रीलंका में प्रोजेक्ट्स पर चीन के कर्जदाता ज्यादा ब्याज वसूल रहे हैं। उधर चीन पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर पर 50 अरब डॉलर के खर्च से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं।
14-15 मई को होने वाली इंटरनैशनल मीटिंग में इस प्रॉजेक्ट को औपचारिक तौर पर मंजूरी मिल सकती है। इस मीटिंग में 28 देशों के नेता हिस्सा लेंगे जिनमें श्रीलंका के प्रधानमंत्री भी शामिल होंगे। श्रीलंका अपने देश में चीन की फंडिंग वाले प्रॉजेक्ट्स की अनुमति देने से पहले ही भारी कर्ज में है। श्रीलंका में बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स के लिए चीन के कर्जदाता ऊंचे ब्याज रेट वसूल ले रहे हैं और इससे श्रीलंका को बड़ा वित्तीय नुकसान हो रहा है। ये सभी प्रोजेक्ट अब OBOR का हिस्सा होंगे।
पाकिस्तान की स्थिति भी बेहतर नहीं है क्योंकि चीन-पाकिस्तान-इकनॉमिक कॉरिडोर के लिए खर्च हो रही 50 अरब डॉलर से अधिक की रकम के कारण पहले से खस्ताहाल पाकिस्तान की इकनॉमी के लिए मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। इन प्रोजेक्ट्स के लिए दिए गए कर्ज को इक्विटी में बदला जा रहा है जिससे चीनी कंपनियों को इनका मालिकाना हक मिल जाएगा। इससे श्रीलंका और पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ने के साथ ही भारत के लिए भी सुरक्षा से जुड़े खतरे पैदा हो सकते हैं क्योंकि इन प्रोजेक्ट्स के जरिए उसके पड़ोसी देशों में चीन की मौजूदगी बढ़ जाएगी। हालांकि, बांग्लादेश और नेपाल इससे सीख ले सकते हैं। इन देशों में भी चीन ने बड़ा इनवेस्टमेंट करने का वादा किया है। बांग्लादेश OBOR मीटिंग में शामिल नहीं हो रहा है, जबकि नेपाल ने इस मीटिंग में राष्ट्रपति की जगह उपप्रधानमंत्री को भेजने का फैसला किया है।
श्रीलंका का चीन के साथ आर्थिक सहयोग बढ़ने को लेकर एक्सपर्ट्स ने चिंता जताई है। चीन ने 1971 से 2012 के बीच श्रीलंका को 5 अरब डॉलर से अधिक रकम उपलब्ध कराई है और इसमें से अधिकांश का इस्तेमाल इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में हुआ है। चीन अब श्रीलंका के हंबनटोटा में एक डीप-वॉटर पोर्ट और कुछ अन्य बड़े प्रॉजेक्ट्स में भी बड़ा इनवेस्टमेंट कर रहा है। श्रीलंका ने कई सालों तक गृह युद्ध का सामना किया है और अब उसे ट्रेड और फॉरेन इनवेस्टमेंट बढ़ाने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने की जरूरत है। वर्ल्ड बैंक का अनुमान है कि श्रीलंका का GDP 2016 में 3.9 पर्सेंट से बढ़कर 2017 में लगभग 5 पर्सेंट पर पहुंच सकता है।
चीन ने श्रीलंका में इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए भारी कर्ज दिया है। श्रीलंका का अनुमानित कर्ज 64.9 अरब डॉलर का है और इसमें से 8 अरब डॉलर चीन ने दिया है। श्रीलंका अपनी धीमी इकनॉमिक ग्रोथ के कारण चीन को अभी कर्ज चुकाने में नाकाम है। इससे संकट से निपटने के लिए श्रीलंका सरकार ने अपने डेट को इक्विटी में तब्दील करने पर सहमति दी है। इससे इन प्रॉजेक्ट्स पर आखिरकार चीन को मालिकाना हक मिल सकता है।
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