पाक से लेकर आतंकी हमले तक, नावेद ने सुनाई पूरी कहानी

तहलका एक्सप्रेस प्रतिनिधि, नई दिल्ली। पिछले दिनों बीएसएफ के हत्थे चढ़े पाकिस्तानी आतंकी नावेद ने पूछताछ में बड़े खुलासे किए हैं। नावेद ने बताया कि बीएसएफ पर हमला करने से पहले वह अपने साथियों के साथ 45 दिनों तक जम्मू-कश्मीर में कई जगहों पर रहा और घूमा था।
कश्मीर में उसकी मदद करने वाले लोगों में न सिर्फ लश्कर के ऑपरेटिव्स शामिल थे, बल्कि अवंतीपुरा में चुसरू के स्थानीय निवासी, दुकानदार और व्यापारी भी उसकी मदद कर रहे थे। नावेद ने यह भी बताया कि पाकिस्तान से भारत में घुसपैठ करने में कामयाब होने के बाद वह ट्रक ड्राइवर और कुछ दुकानदारों के साथ रहा। नावेद से हुई शुरुआती पूछताछ में पता चला है कि नावेद 27 मई को अपने साथियों आतंकी नोमान, ओक्शा पख्तून और मोहम्मद भाई के साथ पाकिस्तान के हालन से भारत के लिए निकला था। इसके एक हफ्ते बाद दो जून को वह बॉर्डर पर पहुंच गया था। इन आतंकियों ने फिज्जा टॉप पर तार काटे और जीपीएस की मदद से करीब 18 किलोमीटर का सफर तय करके कश्मीर में दाखिल हो गए। यहां आशिक भट्ट उर्फ ओबैदा ने उन्हें रिसीव किया और उन्हें अवंतीपुरा भेजने का इंतजाम किया। यहां ये सभी स्थानीय लोगों के घरों में रहे।
इसके बाद, अगले 40 दिनों के दौरान रमजान रहा। इसके बाद, उनके साथ तीन नए आतंकी भी जुड़ गए जो हाल ही में घुसपैठ कर भारत पहुंचे थे। यहां इनकी मुलाकात लश्कर के कई काडर मिलते रहे। इसके बाद, 23 जुलाई को पांच आतंकियों नावेद, दुजना, शाहीन, गुलजार, शोकत लोन और अबु उक्शा को उनके घर से उठा लिया गया ट्रक में बैठा दिया गया। नावेद और दुजना को काकापुर पर उतार दिया गया, जबकि बाकी तीनों आतंकियों को पुलवामा ले जाया गया।
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक गाड़ी को इंटरसेप्ट किया, लेकिन आतंकी फरार होने में कामयाब हो गए। इस दौरान, नावेद और दुजना काकापुर पहुंच गए। यहां उनकी मुलाकात एक स्थानीय बेकरी मालिक और लश्कर के ओवरग्राउंड ऑपरेटिव से हुई। ऑपरेटिव ने आतंकियों के लिए एक गाड़ी का इंतजाम किया।
दुजना इस गाड़ी से श्रीनगर लौट गया और नावेद को आतंकी हमजा के हवाले कर दिया गया। हमजा ने नावेद को काकापुर के एक ऑपरेटिव के साथ खुदवानी में छोड़ दिया। इसके बाद, हमजा दोनों को रेदवानी के एक वेल्डिंग शॉप मालिक के पास ले गया। हमजा पुलवामा लौट गया। यहीं नावेद की मुलाकात लश्कर के हैंडलर कासिम से हुई और अगले 6 दिनों तक वह खुदवानी में ही रहा। इस दौरान आतंकी तल्हा, मोमिन उर्फ काचरू और मुजम्मिल भी यहां पहुंचे। छठे दिन कासिम ने नावेद को फिदायीन मिशन के बारे में बताया। इसके बाद, कासिम ट्रक का इंतजाम करने के लिए निकल गया। और नोमान के साथ लौटा। बताया गया कि उधमपुर हमले के मिशन नावेद के साथ नोमान होगा। कासिम ने नावेद और नोमान को मिशन के बारे में हर छोटी जानकारी दी। उसके बाद, दोनों जम्मू के लिए निकल गए। अगली सुबह 2.15 बजे दोनों ने टोल प्लाजा पार किया और रामबन पहुंच गए। यहां उन्होंने दो बैग और खाने का कुछ सामान खरीदा। दोनों ने तमतोर में रात गुजारी, खाना बनाया, बैग्स में अपने हथियार रखे। अगली सुबह वे जम्मू निकल गए। समरोली पर फिर उतरे, एक कश्मीरी होटल पर चाय पी और बीएसएफ काफिले पर हमला करने के लिए बढ़ गए।
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