पीएम मोदी द्वारा पीओके को भारत का हिस्सा बताना सही रणनीति: सुरक्षा विशेषज्ञ

modi13नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कश्मीर में जारी अशांति पर सभी दलों की बैठक में साफ संदेश दिया कि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) भारत का ही हिस्सा हैं। इसके अलावा उन्होंने पीओके और बलूचिस्तान में लोगों पर की जा रही ज्यादतियों को लेकर भी पाकिस्तान पर निशाना साधा।

अब तक पाकिस्तान ही कश्मीर में जारी अशांति को लेकर भारत पर आक्रामक रुख अपनाता था। भारतीय पीएम की ओर से पीओके पर दिया बयान पाक की इस रणनीति का जवाब माना जा रहा है। भारत के इस रुख पर सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह सही नीति है।

मोदी ने शुक्रवार को सर्वदलीय बैठक में कहा था कि बलूचिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में वहां के सुरक्षाबलों द्वारा लोगों पर किए जा रहे अत्याचारों को दुनिया के सामने लाने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा था कि कश्मीर में तनाव की वजह पाकिस्तान की सरपरस्ती में सीमा पार पनपता आतंकवाद है। मोदी ने कहा था, ‘पाकिस्तान भूल गया है कि वह अपने ही लोगों पर बम बरसा रहा है। अब पाकिस्तान दुनिया को बताए कि वह अने कब्जे वाले कश्मीर और बलूचिस्तान के लोगों पर क्यों अत्याचार कर रहा है।’ सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए भारत और आक्रामक रुख अपना सकता है।

इस मामले पर सुरक्षा विशेषज्ञ अजय साहनी ने कहा है, ‘पीओके पर मोदी का बयान अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय चर्चा दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। पीओके पर भारत का पक्ष कभी भी दुनिया के सामने सही तरीके से सामने नहीं आया। यह महत्वपूर्ण है कि पीएम ने इस मामले पर बात रखी।’

एक और सुरक्षा विशेषज्ञ आलोक बंसल ने कहा है, ‘सभी राजनीतिक पार्टियां दुनिया को यह संदेश देने को एकसाथ आई हैं कि जब भी कश्मीर की बात होती है तो भारत एक हो जाता है। यह काफी महत्वपूर्ण कदम है। भारत ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि पीओके भारत का ही हिस्सा है।’

पीओके ही नहीं अब पाकिस्तान के बलूचिस्तान में एक बलूच महिला नेता और मानवाधिकार कार्यकर्ता नीला कादरी ने कहा है कि भारत को इस इलाके में चल रहे आजादी के संघर्ष में मदद करनी चाहिए। इस नेता ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तान यहां नरसंहार कर रहा है। कादरी का तर्क है कि भारत को अपने रणनीतिक हितों और ‘भारत विरोधी चीन-पाक गठजोड़ का जवाब’ देने के लिए ऐसा करना चाहिए।

भारत आईं महिला नेता ने कहा जिस तरह भारत ने 1971 में पूर्वी पाकिस्तान को आजाद कर बांग्लादेश बनने में मदद की थी, वह उसी तरह की मदद के भरोसे आई हैं। उन्होंने कहा कि बलूचिस्तान आजाद हो गया तो भारत को भी फायदा होगा। उन्होंने भारत के पीएम नरेंद्र मोदी से ‘आजादी के इस आंदोलन’ में शामिल होने की अपील भी की है।

पाकिस्तान पहले ही भारत पर आरोप लगाता रहा है कि भारत उसके बलूचिस्तान प्रांत में परेशानी और अशांति पैदा करता रहता है। यह इलाका गैस, सोने और कॉपर से भरपूर है। कादरी का दावा है कि पाकिस्तान ने 10 सालों में दो लाख बलूचों की हत्या कर दी है।

अमेरिकी संगठन ने दिया मोदी की बात का साथ
अमेरिका के एक संगठन ने कहा है कि अगर पाक जम्मू-कश्मीर के इस हिस्से से अपना कब्जा हटा लेता है तो इससे कश्मीर की समस्या को सुलझाने में मदद मिलेगी। वॉशिंगटन डीसी की गिलगित-बाल्टिस्तान नैशनल कांग्रेस के निदेशक सेंज सेरिंग ने कहा, ‘भारतीय प्रधानमंत्री मोदी की गिलगित-बाल्टिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघनों को रेखांकित करने की नीति एक सकारात्मक कदम है।’ सेरिंग ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अपने प्रस्तावों के जरिए पाकिस्तान को गिलगित-बाल्टिस्तान में एक घुसपैठिया घोषित किया है। उन्होंने कहा, ‘भारत समेत पाकिस्तान के अन्य पड़ोसियों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान को यह याद दिलाना चाहिए कि वह गिलगित-बाल्टिस्तान में एक कब्जाधारी है और उस क्षेत्र से पाकिस्तान के हटने के बाद ही कश्मीर और गिलगित-बालटिस्तान के विवाद को जल्दी सुलझाने में मदद मिलेगी।’ सेरिंग ने कहा, ‘चूंकि गिलगित-बाल्टिस्तान एक विवादित क्षेत्र है, इसलिए इस विवाद को सुलझाने का रास्ता खोजने के लिए वहां के लोगों के पास संयुक्त राष्ट्र के कार्यालय के प्रतिनिधियों, श्रीनगर में कश्मीर सरकार और दिल्ली में भारत की केंद्र सरकार के साथ सीधी वार्ता करने का अधिकार होना चाहिए।’

 

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