पीएम मोदी ने पंचायतों से गांवों के विकास के लिए सक्रिय भूमिका निभाने को कहा

The Prime Minister, Shri Narendra Modi addressing at the Panchayati Raj Sammelan marking Panchayati Raj Day and concluding session of Gram Uday se Bharat Uday programme, in Jamshedpur, Jharkhand on April 24, 2016.
www.tahalkaexpress.com जमशेदपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत बनाने की कड़ी वकालत करते हुए रविवार को ग्राम पंचायतों से अपार संसाधनों एवं सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर विकास संबंधी गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए कहा।

उन्होंने ग्रामीण इलाकों में खासकर किसानों, महिलाओं और शिशुओं की देखभाल के साथ प्रगति पर जोर देते हुए कहा कि वह अपने पांच साल के कार्यकाल के बाद एक विरासत छोड़ना चाहते हैं जिसकी आने वाले सालों में असाधारण उपलब्धि के लिहाज से बात की जाएगी।

मोदी ने आदिवासी बहुल झारखंड में यहां दस दिन के ‘ग्राम उदय से भारत उदय’ अभियान से जुड़े कार्यक्रम में कहा, ‘हमें पंचायतों को मजबूत करने की जरूरत है। ग्रामसभाएं संसद के जितनी ही महत्वपूर्ण हैं।’ उन्होंने ग्राम पंचायतों और केंद्र सरकार के बीच सहयोग की जरूरत को रेखांकित करते हुए कहा, ‘हमें सपनों को पूरा करने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर काम करना होगा।’

प्रधानमंत्री ने गांवों की प्रगति पर जोर देते हुए ग्राम प्रधानों को विकास गतिविधियों में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए कहा। उन्होंने ग्राम प्रधानों से बुनियादी ढांचे के विकास, खुले में शौच का अंत सुनिश्चित करने के लिए शौचालयों के निर्माण, जन्म के समय शिशु की मौत को रोकने के लिए उचित स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने और बच्चे स्कूल ना छोड़े, उसके लिए बेहतर शिक्षा का प्रावधान करने में अग्रणी भूमिका निभाने को कहा।

मोदी ने कहा, ‘पहले धन की कमी होती थी। अब पर्याप्त धनराशि है-धन की कमी नहीं है। योजनाओं की कमी नहीं है। लेकिन जमीनी स्तर पर काम करने वालों में समर्पण की जरूरत है।’ उन्होंने कहा, ‘जागरूक रहें, सतर्क बने रहें। आगे आकर नेतृत्व करें। फिर अधिकारी भी अपना काम करेंगे।’ इस संदर्भ में प्रधानमंत्री ने महिला पंचायत प्रतिनिधियों की भूमिका पर खासकर जोर दिया जो 30 लाख प्रतिनिधियों का करीब 40 प्रतिशत हिस्सा हैं।

उन्होंनें पंचायतों की महिला प्रतिनिधियों से कहा, ‘सुनिश्चित करें कि हमारी माताओं और बहनों के खुले में शौच की समस्या का अंत हो। शौचालयों का निर्माण सुनिश्चित करें। इसे लेकर प्रण लें। इससे बड़ी शर्म की बात नहीं हो सकती है कि हमारी माताओं और बहनों को खुले में शौच करना पड़ता है।’ प्रधानमंत्री ने महिला प्रतिनिधियों से सामाजिक जीवन में बदलाव लाने में अग्रणी भूमिका निभाने की मांग करते हुए कहा कि वे ध्यान दें कि धन का सही इस्तेमाल हो रहा है या नहीं।

उन्होंने कहा कि महिला प्रतिनिधियों से बाल पोषण और गर्भावस्था संबंधी मुद्दों जैसे पहलुओं पर भी ध्यान देने की अपील की।

मोदी ने साथ ही सलाह दी कि हर गांव हर साल एक काम हाथ में ले जैसे कि सभी किसानों के लिए बीमा सुनिश्चित करना, जल संरक्षण करना, डिजिटलीकरण सुनिश्चित करना और बच्चों पर उचित ध्यान सुनिश्चित करना।

शहरों और गांवों में उपलब्ध सुविधाओं में भारी असमानता का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, ‘हमें यह खाई भरनी होगी, अगर शहरों में बिजली उपलब्ध है, तो क्या यह गांवों में उपलब्ध नहीं होनी चाहिए? अगर शहरों में अच्छी सड़कें हैं, तो क्या गांवों में भी अच्छी सड़कें नहीं होनी चाहिए?.. आजादी के इतने वर्षों के बाद भी, शहरों और गांवों के बीच अंतर बढ़ा ही है।’

उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने इस साल के बजट में गांवों के विकास के लिए पर्याप्त कोष उपलब्ध कराया है।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘देश ने मुझमें पांच साल के लिए भरोसा जताया है। मैं विरासत छोड़ना चाहता हूं। लोग बाद में बातें करें कि मैंने गांवों के लिए यह किया। मैं कुछ ऐसा करूंगा जो वास्तव में (प्रगति के लिए) आधारशिला होगी।’ ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए उनकी सरकार द्वारा शुरू कार्यक्रमों के बारे में बात करते हुए उन्होंने पिछले साल 15 अगस्त को उनके द्वारा एक हजार दिन में बचे हुए 18 हजार गांवों के विद्युतीकरण की योजना की घोषणा का जिक्र किया।

इस संबंध में उन्होंने ग्राम पंचायतों से यह देखने के लिए सतर्क रहने को कहा कि इस परियोजना पर काम उचित ढंग से किया जा रहा है या नहीं।

मोदी ने गांव प्रधानों को बताया, ‘कई बार यह कहा जाता है कि बिजली उस गांव तक पहुंच गई। लेकिन मीडिया की खबरों में आता है कि गांव में केवल खंभे पहुंचे हैं। मैं गांववालों से सतर्क रहने के लिए कहना चाहता हूं ताकि मुझे कोई गलत सूचना नहीं दी जाए। अगर आप सतर्क रहेंगे, यह मेरी चिंताओं को कम करेगा।’

उन्होंने पूछा, ‘क्या आप मेरी चिंताओं को साझा नहीं करेंगे?’ इसके बाद उन्होंने लकड़ी के चूल्हे के प्रयोग से खाना बनाने की परंपरा का जिक्र किया और कहा कि इस प्रक्रिया से एक महिला को एक दिन में 400 सिगरेट के बराबर धुआं सांस के साथ अंदर लेना पड़ना है।

 

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