पीलीभीत फर्जी एनकाउंटर: 47 पुलिस वाले दोषी करार

encलखनऊ। पीलीभीत में 25 साल पहले हुए फर्जी एनकाउंटर में सीबीआई की विशेष कोर्ट के जज न्यायमूर्ति लल्लू सिंह ने 47 पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया है। इन्हें 4 अप्रैल को सजा सुनाई जाएगी। शुक्रवार को फैसला सुनाते समय कोर्ट रूम में मौजूद 20 दोषी पुलिसकर्मियों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया, जबकि 27 के अनुपस्थित होने पर उनके खिलाफ गैर जमानती वॉरंट जारी किया गया।

यह है मामला: पीलीभीत में 12 जुलाई, 1991 को नानकमथा, पटना साहिब और दूसरे तीर्थस्थलों से यात्रियों का जत्था लौट रहा था। बस में 25 तीर्थ यात्री थे। आरोप है कि दोपहर लगभग 11:00 बजे जिले के कछालाघाट पुल के पास पुलिस ने बस रुकवाकर 12 यात्रियों को जबरन उतार लिया। इसके बाद तीन थानों की पुलिस टीमें 4-4 यात्रियों को अपने साथ ले गईं। अगले दिन तीन थाना क्षेत्रों विलसंडा, पूरनपुर और नोरिया के जंगलों में मुठभेड़ दिखाकर इन्हें मार गिराया गया।

पुलिस ने अपनी एफआईआर में इन्हें उग्रवादी बताते हुए इन पर अवैध असलहों से जानलेवा हमला करने का आरोप लगाया था। लेकिन मारे गए लोगों के परिवारवालों ने पुलिस पर फर्जी मुठभेड़ का आरोप लगाया तो मामले ने तूल पकड़ लिया। अडवोकेट आरएस लोढ़ी ने सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने 15 मई, 1992 को सीबीआई जांच के आदेश दिए। सीबीआई ने 12 जून, 1995 को विशेष कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में 57 पुलिसवालों को आरोपित किया था। लेकिन सुनवाई के दौरान 10 पुलिसवालों की मौत हो गई। कोर्ट ने इस साल 29 मार्च को सुनवाई पूरी कर ली।

बदल दी थी लिस्ट: सीबीआई के वकील सतीश चंद्र जायसवाल के मुताबिक, पुलिस ने एनकाउंटर को सही दिखाने के लिए बस यात्रियों की लिस्ट तक बदल दी थी। यही नहीं मुठभेड़ में शामिल पुलिस वालों की लोकेशन भी मुठभेड़ स्थल से इतर पाई गई। तत्कालीन एसएचओ विजेंद्र सिंह एनकाउंटर में शामिल दिखाए गए थे, जबकि उस समय उनका जिला अस्पताल में डायरिया का इलाज चल रहा था।

कोर्ट ने उठाए ये सवाल:
-एक जिले के तीन थाना क्षेत्रों में एकसाथ एनकाउंटर कैसे हो सकता है?
– मारे गए लोगों के शव अंतिम संस्कार के लिए घरवालों को क्यों नहीं दिए गए?
– अगर मुठभेड़ हुई तो मरने वालों के शरीर पर लाठी-डंडों से पीटने की चोटें कहां से आईं?
– मुठभेड़ में किसी पुलिस वाले को कोई खरोंच तक क्यों नहीं आई?
– पुलिस ने मुठभेड़स्थल से 12 बोर के असलहे बरामद दिखाए। अगर वे आतंकवादी थे तो 12 बोर के असलहे से पुलिस से कैसे भिड़े, जिसके पास एके-47 वगैरह थीं?

 

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