पेट्रोल-डीजल के नाम पर यूपी की जनता से डेढ़ सौ फीसद की लूट

राजेश श्रीवास्तव

तीन साल पहले जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार केंद्र में बनी थी तो लोगों को लगा था कि अच्छे दिन आएंगे। अच्छे दिन तो आये नहीं हां अलबत्ता समस्याओं का अंबार जरूर खड़ा हो गया। अभी सरकार के कई कड़े फैसलों को जनता ने देश हित में स्वीकार भी कर लिया और तमाम मुसीबतों को अपने सिर माथ्ो नसीब मानकर ओढè लिया लेकिन जब बीते छह माह पूर्व उप्र में योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो एक बार फिर उप्र की जनता को उम्मीद जगी कि शायद अब उप्र का कुछ भला होगा। लेकिन इस सरकार से भी कोई उम्मीद मिलती नहीं दिख रही है।

पेट्रोल-डीजल के नाम पर उप्र की जनता से जो दाम वसूले जा रहे हैं उसको लूट की संज्ञा देना ही सही होगा क्योंकि उप्र की जनता से लगभग डेढ़ सौ फीसद दाम टैक्स के नाम पर वसूले जा रहे हैं। मालुम हो कि सरकार ने पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा हैे ताकि राज्य सरकारें अपने मनमुताबिक अपने प्रदेश की जनता से दाम वसूल सकें। पिछले साठ सालों में तेल की कीमतों में इतना अधिक इजाफा कभी नहीं हुआ। वह भी तब जब पेट्रो पदार्थों के दामों में बढ़ोत्तरी के बजाय घटोत्तरी हुई है। ऐसी स्थिति में भी कई तरह के टैक्स के नाम पर पेट्रोल-डीजल के दामों के नामों पर वसूली हो रही है। दुर्भाग्य यह है कि सरकार ने पेट्रोल-डीजल के दामों को हर दिन अलग-अलग तय करने का आदेश दे रखा है। इसलिए जनता भी दुविधा में रहती है कि आज पेट्रोल-डीजल का क्या दाम है।

वैसे इसका कोई खास असर नहीं होने वाला है क्योंकि अगर वह जान भी जायेगी या फिर इनके दामों में कितनी भी बढ़ोत्तरी क्यों न कर दी जाए, पर जनता इसको खरीदने के लिए विवश है। अकेले उप्र की ही बात नहीं पूरे दुनिया में पेट्रोल के दाम भारत में सबसे ज्यादा हैं। अफगानिस्तार में 41.15 रुपये, पाकिस्तान में 42.54 रुपये, श्रीलंका में 53.72 रुपये, नेपाल में 61.35 रुपये, भूटान में 62.2० रुपये, चीन में 64.42 रुपये, बांगलादेश में 69.46 रुपये है। जबकि भारत में न्यूनतम 7०.43 रुपये से ऊपर ही चलता है। इसलिए केवल उप्र की जनता ही नहीं पूरे भारत की जनता पेट्रोल-डीजल के नाम पर लुट रही है।

यह ऐसी महंगाई कि इससे और भी वर्ग प्रभावित हो रहे हैं। महंगाई चरम पर हो रही है। डीजल की महंगाई के चलते माल वाहक भाड़ा, गाड़ी का किराया, सब्जियों व फलों के दामों में भी खासी बढ़ोत्तरी हुई है। जिसके चलते अन्य पदार्थ भी महंगे हुए हैं। इन सबके बाद दिलचस्प यह है कि केंद्रीय पर्यटन राज्यमंत्री अल्फोंस ने एक ऐसा बयान दे दिया है जिसने आम आदमी के घाव पर नमक छिड़कने का काम किया है। उन्होंने कहा कि कार और बाइक चलाने वाले ही पेट्रोल खरीदते हैं, पेट्रोल खरीदने वाले भूखे तो नहीं मर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने यह फ़ैसला सोच समझकर लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग टैक्स दे सकते हैं, उन्हें टैक्स देना चाहिए। मालुम हो कि देशभर में पेट्रोल की कीमतें तीन साल के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई है। कहीं- कहीं तो ये 81 रुपये प्रति लीटर को भी पार कर गई है।

ध्यान देने वाली बात है कि पेट्रोल की कीमतों में तेज़ी का एक बड़ा कारण केंद्र सरकार का एक्साइज़ ड्यूटी बढ़ाना है। साथ ही राज्यों द्बारा पेट्रो पदार्थों पर ज़्यादा वैट वसूलने से भी कीमतें बेतहाशा बढ़ी हैं। पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों में कमी के समय केंद्र सरकार ने लागातार एक्साइज़ ड्यूटी बढ़ाई थी और इसमें अब तक कमी नहीं आई है। पेट्रोल और डीजल की कीमतें साल 2०14 के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें तीन साल पहले के मुकाबले आधी रह गई हैं, बावजूद इसके देश में पेट्रोल, डीजल की कीमत लगातार बढ़ती जा रही है। मुंबई में तो पेट्रोल के दाम करीब 8० रुपये प्रति लीटर पहुंच गया। सरकार का इस दिशा में कोई प्रयास नहीं दिख रहा है।

 

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