‘प्रभु’ भरोसे अपनी रेल, किराया बढ़ रहा, लेकिन यात्रियों की सुरक्षा नहीं

लखनऊ/खतौली/ मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर में कलिंग-उत्कल एक्सप्रेस रेल हादसे के लिए पूरी तरह रेलवे जिम्मेदार है! 20 से ज्यादा लोगों की मौत और 70 घायलों के खून से रेलवे के हाथ रंगे हुए हैं. घटनास्थल पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक ट्रैक पर काम चल रहा था. घटनास्थल से ट्रैक मरम्मत से जुड़े औजार बरामद हुए हैं. पटरियां कटी हुई हैं और रेलवे ट्रेन हादसे में आतंकियों के हाथ ढूंढ़ रहा है. पिछले कुछ समय से उत्तर प्रदेश में नियमित अंतराल पर रेल हादसे हुए हैं. और हर हादसे में रेल मंत्रालय आतंकी साजिश का शक जताता रहा है. रेल मंत्रालय का रवैया चिंतित करने वाला है जो कई सवालों को जन्म देता है.

1. ट्रैक पर चल रहा था काम, हादसे के लिए रेलवे जिम्मेदार!

इंटेलिजेंस सूत्रों के मुताबिक मुजफ्फरनगर के खतौली में ट्रैक पर मरम्मत का काम चल रहा था. घटनास्थल से हथौड़े, रिंच और अन्य औजार मिले हैं. पटरियां कटी हुई हैं. फिर ट्रेन को उक्त ट्रैक पर जाने क्यों दिया गया? क्या रेलवे ने जानबूझकर इस हादसे को अंजाम दिया?

2. रेलवे में है कम्युनिकेशन गैप?

सवाल ये है कि अगर ट्रैक पर मरम्मत का काम चल रहा था तो सिग्नलमैन ने कलिंगा-उत्कल एक्सप्रेस को ट्रैक पर जाने के लिए ग्रीन सिग्नल क्यों दिया. क्या उसे पता नहीं था कि ट्रैक पर मरम्मत का काम चल रहा है. यूपी एटीएस डीएसपी अनूप सिंह ने भी इसकी पुष्टि की है कि घटना वाली जगह कुछ काम चल रहा था. पर ट्रेन को इस जगह धीरे होने के लिए कोई सिग्नल नहीं मिला.

अभी तक जांच में ऐसा ही सामने आया है. ATS का एक कांस्टेबल भी इसी ट्रेन में सफर कर रहा था. उसने भी कुछ जानकारी मुहैया कराई है. एटीएस आतंकी हाथ होने के एंगल की भी जांच कर रही है. अब सवाल यह है कि क्या नजदीकी स्टेशन मास्टर को इस बारे में जानकारी नहीं थी? घटना की जिम्मेदारी कौन लेगा? हर हादसे में आतंकी साजिश ढूंढ़ने वाला रेल मंत्रालय क्या इतनी जानकारी नहीं रख पाता कि किस ट्रैक पर कहां काम चल रहा है? हैरत की बात है कि रेलमंत्री सुरेश प्रभु रेलवे को अत्याधुनिक बनाने की डींगे हांकते रहते हैं.

3. हर हादसे के बाद एंगल ढूंढ़ता है रेलवे

 सुरेश प्रभु के रेल मंत्री बनने के बाद रेल मंत्रालय ने एक नई तरकीब सीखी है. और तरकीब ये है कि हर हादसे के बाद पल्ला झाड़ने के लिए नए-नए एंगल ढूंढ़ना. इसमें आतंकी साजिश बिल्कुल नया फॉर्मूला है. कथित तौर पर आतंकियों को जिम्मेदार बताकर रेलवे अपनी जिम्मेदारी से बच जाता है और जनता भी उसे बेगुनाह मान लेती है.

4. ट्रेन हादसों से नहीं ली सीख

पिछले तीन सालों में सुरेश प्रभु के रेलमंत्री रहते हुए तीन सालों में कम से कम 6 रेल हादसे हुए हैं. इनमें सैकड़ों लोगों की जान गई है. हजारों लोग घायल हुए हैं. लेकिन रेलवे ने कोई सबक नहीं लिया. रेलमंत्री हर बार सफर को सुरक्षित बनाने के दावे करते हैं. लेकिन फिर वही ढांक के तीन पात. कोई सुधार नहीं होता और एक नया हादसा हो जाता है.

5. किराया बढ़ रहा, लेकिन यात्रियों की सुरक्षा नहीं

सुरेश प्रभु ने 2014 में रेलमंत्री का पदभार संभालने के बाद रेल किराए में दिन दूनी और रात चौगुनी बढ़ोतरी की है. प्रभु ने इस बात की गारंटी ली थी कि रेलवे हादसों को रोका जाएगा और रेल सफर को सुरक्षित बनाया जाएगा. लेकिन तीन साल बाद भी नतीजा सिफर रहा है.

नियमित अंतराल पर रेल हादसे हो रहे हैं और उनको रोकने का कोई ठोस प्लान रेलवे के पास नहीं है. हादसे के बाद मरने वालों के परिजनों के लिए मुआवजे का ऐलान हो जाता है और अगले दिन से स्थिति सामान्य हो जाती है.

क्या रेलमंत्री ये बता पाएंगे कि कानपुर रेल हादसे के बाद मंत्रालय ने रेल दुर्घटना रोकने के लिए क्या किया? मुजफ्फरनगर रेल हादसे में मरने वालों की जिम्मेदारी कौन लेगा. 23 से ज्यादा मरने वालों और 40 से ज्यादा घायलों के लिए कौन जिम्मेदार है. सुरेश प्रभु ये कब समझेंगे कि रेल हादसे ट्वीट से नहीं रुकते.

 

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