प्रॉपर्टी बाज़ार को ‘जोर का झटका धीरे से’, ED 50 लाख से अधिक की रजिस्ट्री की जांच करेगा

लखनऊ। मोदी सरकार के आने के बाद से  नोटबंदी और आयकर विभाग की सख्ती के बाद ठंडे पड़े प्रॉपर्टी बाजार को अब  एक और जोर का झटका धीरे से लगा है। प्रॉपर्टी पर सर्जिकल स्ट्राइक के क्रम में भाजपा सरकार का यह पहला कदम माना जा रहा है।

अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) 50 लाख से अधिक की रजिस्ट्रियों की स्क्रीनिंग किया करेगा। प्रवर्तन निदेशालय  ने सभी निबंधन कार्यालयों को पत्र भेजकर रजिस्ट्रियों का ब्योरा भेजने के लिए  कहा है।

प्रवर्तन निदेशालय  ने उत्तर प्रदेश के सभी निबंधन अधिकारियों को इस बाबत पत्र लिखा है कि जमीन या भूखंड जिसकी अनुमानित कीमत 50 लाख से अधिक हो उसका संपूर्ण विवरण प्रवर्तन  निदेशालय को तत्काल उपलब्ध कराया जाये।

प्रवर्तन निदेशालय के इस कदम से प्रॉपर्टी कारोबार पर फर्क पड़ना तय माना जा रहा है। बड़ी प्रॉपर्टी खरीदने वाले पहले से ही इनकम टैक्स के रडार पर हैं ऐसे में प्रवर्तन निदेशालय की भी नजर में आना आगे उनके लिये आगे और भी बड़ी मुश्किलें खड़ी कर सकता है। निबंधन विभाग के अधिकारी भी मान रहे हैं कि इस आदेश के हो जाने के बाद भूमि और भवन की  रजिस्ट्रीयो पर इसका बड़ा फर्क पड़ेगा।

नोटबंदी के बाद जमीन की बड़ी खरीद-फरोख्त करने वालों पर इनकम टैक्स से लेकर प्रवर्तन निदेशालय तक की नजर है। दरअसल जांच एजेंसियां इस मार्फत उन तक पहुंचना चाहती हैं जो नोटबंदी के बाद भी बड़े पैमाने पर निवेश कर रहे हैं।  नोटबंदी से पहले बड़े पैमाने पर ब्लैक मनी प्रॉपर्टी बाजार में खपाई गई। कई रियल एस्टेट कंपनियों और निजी बिल्डरों का जाल राजधानी में हर तरफ फैला हुआ है। इनमें से कई प्रॉपर्टी डीलर पहले से ही रडार पर हैं।

राजधानी में निबंधन विभाग के आंकड़े बता रहे हैं कि जनवरी के बाद से अब तक रजिस्ट्रियों की दर में 35 प्रतिशत तक की कमी आई है। इनकम टैक्स और अब प्रवर्तन निदेशालय की सख्ती के चलते इसमें और गिरावट आ सकती है। राजधानी में प्रत्येक माह जहां 10 हजार से अधिक रजिस्ट्रियां होती थी वहीं अब यह संख्या सात हजार से भी कम पर आ गई है। डीआइजी निबंधन  का कहना है कि बीते कुछ माह में रजिस्ट्रियों में कमी आई है।

 

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