फिर जल रहा है नेपाल; इंडो नेपाल सीमा बंद

लखनऊ/गोरखपुर। यूपी और बिहार से सटे नेपाल के कई इलाकों में हिंसा भड़की हुई है. नेपाल की इस हिंसा का सीधा असर भारत पर पड़ा है. बिहार की सीमा से सटे नेपाल के इलाकों में भारत के लोगों के जाने पर रोक लगा दी गई है. यूपी के सिद्धार्थ नगर , लखीमपुर के साथ साथ नेपाल के बीरगंज, गौर, मलंगवा, जनकपुर जैसे बिहार से सटे इलाकों में स्थिति काफी तनावपूर्ण है. भारत-नेपाल सीमा पर एसएसबी को अलर्ट किया गया है. एसएसबी के जवान अलर्ट पर हैं . यूपी के सीमावर्ती जिलों में पुलिस कप्तानो को हाई एलर्ट पर रखा गया है.
बीते सोमवार को नेपाल के टीकापुर में हुई हिंसा में 20 पुलिस वालों जिसमे एसएसपी, इंस्पेक्टर शामिल हैं, सहित 50 से ज्यादा लोगों के मारे गए थे.हिंसा में 100 से ज्यादा जख्मी हैं. हिंसा ग्रस्त गौर(रौतहट) और मलंगवा (सर्लाही) को सेना के हवाले कर दिया गया है. नेपाल के ये दोनों जिले बिहार के सीतामढ़ी जिले से सटा हुआ है. गौर के पास भारत का बैरगनिया और मलंगवा के पास भारत का सोनबरसा शहर है.
मधेशी राज्य की मांग को लेकर नेपाल के जिन इलाके में बवाल मचा हुआ है उस इलाके में हजारों भारतीय रोज कारोबार के सिलसिले में आते जाते हैं. हजारों लोगों की बिहार के दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, सुपौल, सीतामढ़ी, मोतिहारी, बेतिया में रिश्तेदारी है. सीतामढ़ी के पास ही जनकपुर और जलेश्वर भी है. 2011 की जनगणना के मुताबिक नेपाल में 51 फीसदी आबादी मधेशियों की है. इसमें नेपाल के मूल और भारत से गए दोनों शामिल है. यहां की बोली मैथिली, भोजपुरी, बज्जिका और नेपाली है. बिहार में चुनावी माहौल है उसके बीच नेपाल में इस तरह का माहौल यहां के राजनीतिक और सामाजिक समीकरणों को प्रभावित कर सकता है.
क्या है इस विवाद की वजह
नेपाल में इस हिंसा के पीछे दो वजह है. पहली वजह भारत की सीमा से सटे हिंदी भाषी इलाकों के लोगों के अधिकार में कटौती और दूसरी वजह से अलग थारू राज्य की मांग. नेपाल में भारत की सीमा से सटे इलाके में बसे लोगों को मधेशी कहा जाता है. भारत की सीमा और पहाड़ के बीच के इलाके मध्य देश में रहने वाले मधेशी काहे जाते हैं. खेती और व्यवसाय में यह बहुत समृद्ध हैं.
एक हफ्ते से ज्यादा वक्त से इलाके में मधेशी आंदोलन चल रहा है. 2 करोड़ से ज्यादा की आबादी वाले नेपाल में कुल पांच राज्य हैं और 75 जिले . आंदोलनकारियों की मांग है कि थरूहट और मधेशी को अलग राज्य बनाया जाए. आंदोलन वाले इलाकों में 22 जिले हैं. नेपाल में इन दिनों नया संविधान बनाया जा रहा है. मधेशी नेताओं का आरोप है कि एक करोड़ से ज्यादा की आबादी वाले उनके इलाके को नजरअंदाज किया जा रहा है. नए संविधान में अलग मधेशी राज्य को मान्यता नहीं देने का प्रस्ताव रखा गया है. नेपाल के नए संविधान में भारतीय युवतियां और उनसे जन्मे बच्चों को दोयम दर्जे की नागरिकता का प्रस्ताव रखा गया है. इस इलाके में एक लाख से ज्यादा की आबादी पर एक सांसद हैं जबकि पहाड़ी इलाकों में 4-5 हजार पर एक सांसद की सीट. आंदोलनकारी इसी भेदभाव का विरोध कर रहे हैं. नए संविधान के मसौदे में सात राज्य करने का प्रस्ताव तो है लेकिन उसमें मधेशी और थरूहट नहीं है.
संविधान के नए मसौदे में मधेशी बहुल जिलों को अलग अलग राज्यों में मिलाया जा रहा है. मधेशी समुदाय इसी भेदभाव का विरोध कर रहा है. मधेशिय़ों की अपनी अलग राज्य की मांग है. मधेशी आंदोलन का नेतृत्व कर रहे लोगों ने अलग राज्य का एलान करने के साथ ही अपनी अलग सेना बनाने का एलान किया है.
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