फैसले से पहले राजनेता की तरह थी भाव-भंगिमा, फैसला आते ही लालू दिखे असहाय

रांची। लालू प्रसाद यादव फिर से सलाखों के पीछे पहुंच गए हैं. चारा घोटाले के देवघर ट्रेजरी मामले में लालू दोषी साबित हुए हैं. सजा का ऐलान 3 जनवरी को होगा. दरअसल, काल का चक्र ऐसा घूमा कि चारा घोटाले के चक्कर में लालू एक बार फिर काल कोठरी पहुंच गए हैं. रांची में सीबीआई कोर्ट ने RJD सुप्रीमो को देवघर ट्रेजरी से 90 लाख की निकासी के मामले में गुनहगार माना है और सजा के ऐलान के लिए 3 जनवरी की तारीख तय की है.

लालू के साथ कोर्ट में मौजूद थे तेजस्वी

कोर्ट में फैसले आने तक लालू यादव के साथ बेटे तेजस्वी भी मौजूद थे. बिना कोई प्रतिक्रिया दिए दोनों बाप बेटे चुपचाप कोर्ट रूम में दाखिल हुए. लालू चुपचाप बैठे भगवान को याद करने की मुद्दा में दिखाई दिए. अदालत ने 22 आरोपियों में से सबसे पहले उन 6 लोगों के नाम लिए जिन्हें बरी किया जाना था. उनमें कांग्रेस के नेता और बिहार के सीएम रहे जगन्नाथ मिश्र का भी नाम था. लालू को भी बरी होने की उम्मीद बंधी लेकिन जल्द ही उनके चेहरे का रंग बदल गया. ये साफ हो गया कि वो उस फेहरिस्त में हैं जिनमें 16 गुनहगारों के नाम हैं.

लालू की उम्मीदों को झटका

लालू को उम्मीद थी कि टूजी घोटाले में जिस तरह ए राजा और कनिमोझी बच गईं शायद आज वैसा ही कुछ हो जाएगा. लेकिन लालू गलत थे. कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहरा दिया. सीबीआई कोर्ट में लालू आए तो भाव-भंगिमा एक राजनेता की तरह थी. अंदाज में जंग जीतने का आत्मविश्वास था. समर्थकों को ये संदेश देने की कोशिश थी कि जो कुछ हो रहा है वो सिर्फ एक साजिश है.

लेकिन फैसले से पहले और फैसले के बाद में जमीन-आसमान का फर्क होता है. ‘आजतक’ सुनवाई के दौरान कोर्ट रूम में मौजूद था. आजतक संवाददाता धर्मवीर सिन्हा ने कोर्ट रूम के एक-एक वाकये को अपनी आंखों से देखा. अपने विरोधियों के लिए हमेशा लोहे का चना साबित होते रहे लालू आज असहाय और असहज दिख रहे थे. कोर्टरूम में लालू की बेचारगी उन सियासतदानों के लिए सबक है जो सत्ता की मलाई खाने में इतने मशगूल हो जाते हैं कि जनता के बुनियादी मुद्दे तक याद नहीं रह जाते.

फैसला सुनते ही लालू यादव हुए मौन

फैसले के बाद से मुखर लालू यादव ने मौन की मुद्रा धारण कर ली है. लालू अब उम्मीद करेंगे कि किसी तरह सजा की मियाद तीन साल से कम रहे क्योंकि तीन साल से ज्यादा की सजा का मतलब होगा जमानत के रास्ते बंद हो जाना. तीन जनवरी तक लालू की बेचैनी सातवें आसमान पर होगी और उनके पूरे कुनबे की धड़कनें बढ़ी रहेंगी.

गौरतलब है कि कोर्ट ने लालू यादव को गुनहगार माना और बिरसा मुंडा जेल भेज दिया गया. पुलिसवालों से घिरे RJD अध्यक्ष अदालत से बाहर आए. अदालत के बाहर मौजूद पत्रकारों के हुजूम को लालू की प्रतिक्रिया का इंतजार था. लेकिन उन्होंने ना तो कुछ कहा और ना ही मीडिया से बात की.

ट्विटर पर लालू का बीजेपी पर प्रहार

लालू ने फैसले पर मीडिया से बात नहीं की. लेकिन ट्विटर पर प्रतिक्रिया जरूर दी. लिखा ‘झूठे जुमले बुनने वालों सच अपनी ज़िद पर खड़ा है. धर्मयुद्ध में लालू अकेला नहीं पूरा बिहार साथ खड़ा है’. बहरहाल, फैसले के बाद कोर्ट से लालू को सीधा रांची के बिरसा मुंडा जेल ले जाया गया. लेकिन पार्टी ने फैसला किया है कि वो सीबीआई अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएगी.

क्या है चारा घोटाला?

1994 में पहली बार चारा घोटाले का खुलासा हुआ. कई कोषागारों से पैसे की अवैध निकासी हुई. 1996 में पशुपालन विभाग के कई दफ्तरों पर छापेमारी हुई और जनवरी 1996 में चारा घोटाले में पहला केस दर्ज हुआ. एक दो करोड़ से शुरू हुआ घोटाला 900 करोड़ पहुंचा. मार्च 1996 में पटना हाईकोर्ट ने घोटाले की जांच के आदेश दिए. 10 बड़े नेता और 8 बड़े अधिकारियों पर मामला दर्ज हुआ.

1996 में ही चाईबासा ट्रेजरी मामले में लालू पर मामला दर्ज हुआ. चारा घोटाले में लालू यादव पर देवघर ट्रेजरी समेत कुल 6 मामले दर्ज हैं. जुलाई 1997 में लालू यादव ने कोर्ट में आत्मसमर्पण किया और कोर्ट ने लालू को न्यायिक हिरासत में भेज दिया. साल 2000 में लालू पर आरोप तय हुए. साल 2002 में रांची की विशेष अदालत में सुनवाई शुरू हुई और अक्टूबर 2013 में लालू यादव को दोषी करार दिया गया और उन्हें 5 साल की सजा सुनाई गई. अबतक जेल में लालू यादव 375 दिन की सजा काट चुके हैं.

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button