बंदरगाह डील में केरल सरकार की चूक से अडानी ग्रुप को 30 हजार करोड़ का लाभ : CAG

नई दिल्ली।  केरल सरकार विझिनजम समुद्री बंदरगाह परियोजना अडानी ग्रुप के साथ मिलकर पीपीपी मॉडल के तहत बना रही है लेकिन केरल विधानसभा में सीएजी रिपोर्ट के बाद इस परियोजना पर विवाद हो गया है। सीएजी रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने अडानी ग्रुप के साथ पीपीपी मॉडल के मानकों के खिलाफ इस परियोजना का करार किया है, जिसे अडानी ग्रुप को बड़ा लाभ होने संभावना है।

एक रिपोर्ट के अनुसार सीएजी का कहना है कि गौतम अडानी की प्रमुख कंपनी अडानी पोर्ट्स एंड प्राइवेट लिमिटेड को केरल में विझीनजम इंटरनेशनल बंदरगाह परियोजना से 30 हजार करोड़ ला अनुचित लाभ मिलेगा, जबकि केरल सरकार इस परियोजना के लिए आवश्यक कुल निवेश का 67% हिस्सा उठाएगी। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि विहिंगम में 7525 करोड़ की लगत वाली इस बहुद्देशीय बंदरगाह परियोजना को लागू करने के लिए समझौतों पर दस्तखत करने में राज्य सरकार ने कुछ चूक की।

सरकार के अनुसार, पीपीपी (सार्वजनिक-निजी भागीदारी) परियोजनाओं का इस्तेमाल वहां होता है जहाँ निजी क्षेत्र द्वारा परियोजना का निर्माण, डिजाइन, फाइनैंस खुद करना होता है। जिसके बाद यह सुविधा प्राधिकरण या सार्वजनिक क्षेत्र को हस्तांतरित की जाती है। पीपीपी परियोजनाओं के लिए मानक रियायत अवधि 30 वर्ष है।

इस मामले में यह अवधी 40 साल की गई थी जो पूरी तरह मानकों करे खिलाफ है। इसके अनुसार अडानी ग्रुप क 10 साल अतिरिक्त राजस्व प्राप्त करने की अनुमति मिलेगी। सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार इस परियोजना के शुरू होने से 40 साल बाद आदान ग्रुप का अतिरिक्त राजस्व 29,217 करोड़ हो जायेगा। जबकि पीपीपी मॉडल परियोजनाओं में मानक रियायत अवधि 30 वर्ष है।

 

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