बीएचयू में क्या हुआ, जानिए इस लड़की की जुबानी

लखनऊ। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में एक दिन पहले हुई हिंसा का सच अब सामने आने लगा है। यह बात साफ हो गई है कि छेड़खानी के खिलाफ छात्राओं के आंदोलन को एक साजिश के तहत हिंसा की आग में झोंक दिया गया। इसके पीछे साफ तौर पर कैंपस में सक्रिय नक्सली वामपंथी गिरोह शामिल हैं। इन्हें समाजवादी पार्टी, कांग्रेसी और आम आदमी पार्टी की तरफ से खुला सपोर्ट मिल रहा है। मीडिया भी इस सोची-समझी साजिश का हिस्सा रहा। क्योंकि उन्होंने इस पूरे आंदोलन का दूसरा पहलू कभी सामने नहीं आने दिया। बीएचयू में कानून की पढ़ाई कर रही एकता सिंह नाम की छात्रा ने सोशल मीडिया के जरिए सच को सबके सामने लाने की हिम्मत दिखाई। उन्होंने एक के बाद एक फेसबुक पर कई पोस्ट के जरिए सारी सच्चाई देश के आगे रख दी। इसके लिए उन्हें भी धमकियों और गालियों का शिकार बनना पड़ा।

एकता ने ही आंदोलन की शुरुआत की

हॉस्टल के बाहर एक छात्रा से छेड़खानी का मामला सामने आने के बाद एकता ने ही लड़कियों को एकजुट करके विरोध में आवाज बुलंद करने का फैसला किया था। 21 और 22 तारीख की रात 2 बजे उन्होंने फेसबुक के जरिए पहली आवाज उठाई। एकता ने लिखा- साथियों, आज बीएचयू की एक लड़की के साथ महामना की बगिया में बदसलूकी हुई। कल मैं, आप या फिर कोई भी हो सकता है। मार्च में शामिल होकर हमारी आवाज़ और बुलंद कीजिये और छेड़छाड़ के खिलाफ हल्ला बोलिये। नतीजा यह हुआ कि सुबह छह बजे तक लड़कियों का हुजूम विरोध में तैयार हो गया। विरोध प्रदर्शन शुरू होते ही विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने उनसे पहुंचकर बात की और तय हुआ कि इस केस में एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। साथ ही कैंपस में लड़कियों के गुजरने वाली जगहों पर सुरक्षा और चौकस की जाएगी। लेकिन तब तक वामपंथी, कांग्रेसी संगठनों ने मोर्चा संभाल लिया।

आंदोलन में गुंडों के घुसने का विरोध

एकता ने फेसबुक पर 22 सितंबर की रात में लिखा है कि “बीएचयू में जो भी आंदोलन हो रहा है वो सिर्फ और सिर्फ यहां की आम छात्राओं का है। यहां कुछ अराजक तत्व जो अपने राजनीतिक हित साधने के लिए बीएचयू गेट पर Unsafe BHU लटकाए और महामना की मूर्ति पर कालिख पोतने और लाल झंडा फहराने की कोशिश किए, उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई होनी चाहिए। वो लाल सलामी वाले या तो खुद भाग जाएं या भगा दिए जाएंगे। यह आंदोलन हमारा है किसी भी पॉलिटिकल पार्टी का नहीं। हम सब उनकी कड़ी निंदा करते हैं अपनी घटिया राजनीति बंद कीजिए।” एकता ने आगे लिखा है कि “जब परसों रात त्रिवेणी कॉम्प्लेक्स की लड़कियों ने आंदोलन तय किया तभी कुछ राजनीतिक दलों का प्लान भी सुनियोजित तरीक़े से बन गया। अब यह छात्राओं की मांग कम और उनका पोलिटिकल प्रोपेगेंडा ज्यादा हो गया है।”

आंदोलन के नाम पर गाली-गलौज!

एकता सिंह ने 23 सितंबर को सुबह 10 बजे के करीब फेसबुक पर लिखा है कि “अगर हमारी कोई जेनुइन मांग है तो क्या उसे रखने का तरीका भी सही नहीं होना चाहिए? गांधी ने इतने सत्याग्रह किए पर क्या कभी अंग्रेजों को माँ-बहन की गाली दी? आप वाइस चांसलर आवास के सामने ऑटो और बाइक से उपद्रवियों की तरह चक्कर लगाते हुए ‘वाइस चांसलर भड़वा, वाइस चांसलर भड़वा’ चिल्लाते हैं, लंका गेट पर यह लड़के वाइस चांसलर को माँ-बहन की गाली देते हैं और कहते हैं कि ‘आवे द ओकर चौराहे पर इज्जत उतार लेब।’ जब मैं इस तरीक़े के समर्थन और आंदोलन का विरोध करती हूँ तो आप मुझसे पूछते हैं कि क्या वाइस चांसलर तुम्हारे बाप हैं? क्या जो व्यक्ति आपका बाप नहीं आप उसकी मां-बहन को गाली दोगे? क्या इसी तरीक़े से सत्य की लड़ाई लड़ी जाती है? और मैं इन सबका विरोध करतीं हूँ तो आप लड़कियो को भड़काते हैं कि उसकी मत सुनो वो मैनेज हो गई हैं। वीसी से घूस खा लिया है? क्या हमने त्रिवेणी में इसलिए आंदोलन शुरू किया था? क्या इसलिए ही मैं रात के तीन बजे तक लड़कियो के कमरों में जा-जा कर उन्हें मार्च के लिए इकट्ठा कर रही थी? आज वो लड़के जो आंदोलनस्थल पर भी कमेंटबाजी कर रहे हैं और उन्हीं के खिलाफ हमारी लड़ाई है। वो बताएंगे कि हम लड़कियों को कैसे धरना करना चाहिए?”

एकता सिंह ने ही फेसबुक के जरिए बताया कि बीएचयू गेट पर आंदोलन पर बैठी और टीवी चैनलों को इंटरव्यू दे रही कई लड़कियां बाहर से मंगाई गई हैं।

एकता ने एनडीटीवी चैनल की कवरेज की सच्चाई को भी सामने ला दिया।

यहां तक कि सच सामने लाने के गुनाह में उन्हें बीएचयू प्रशासन की तरफ से भी कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है।

 

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