बीजेपी बदलेगी रणनीति, लालू के सामने ‘OBC मोदी’ को उतारेगी

नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार तेज होने के साथ बीजेपी अब जेडी (यू)-आरजेडी की चुनौती से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछड़ी जाति से संबंध रखने के मुद्दे को भुनाने की योजना बना रही है। बीजेपी इसके साथ ही विकास और सुशासन को लेकर भी प्रचार करेगी।
आरक्षण पर भागवत की टिप्पणी से महागठबंधन को बीजेपी को घेरने का एक बड़ा मुद्दा मिल गया है। जेडी (यू) और आरजेडी, दोनों को ओबीसी मतदाताओं का बड़ा समर्थन मिलता रहा है।
बीजेपी के सूत्रों ने बताया कि पार्टी की शुरुआत में योजना इस चुनाव को विकास और सुशासन के वादे पर लड़ने की थी, जिससे गुजरात और केंद्र, दोनों में मोदी की सरकारें जुड़ी हैं। पार्टी यह संदेश देना चाहती थी कि महागठबंधन को वोट करने से लालू प्रसाद के राज्य में 15 वर्ष के पुराने शासन की तरह दोबारा ‘जंगल राज’ आ जाएगा, लेकिन महागठबंधन के केवल जातिगत आधार पर चुनाव लड़ने से बीजेपी की अगुवाई वाले गठबंधन की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
बीजेपी के नेता मानते हैं कि महागठबंधन को यादव, मुस्लिम और कुर्मी मतदाताओं के लगभग सभी वोट मिल सकते हैं। इसके अलावा जेडी (यू) और कांग्रेस को कुछ ऊंची जातियों से भी समर्थन हासिल हो सकता है।
पार्टी के एक नेता ने ईटी से कहा, ‘बीजेपी को यह महसूस हो रहा है कि बिहार की जातिगत राजनीति में केवल विकास और सुशासन के वादे के साथ चुनाव जीतना मुश्किल है। बीजेपी और आरएसएस के आरक्षण विरोधी होने को लेकर लालू प्रसाद के हमलों का मुकाबला करने के लिए प्रधानमंत्री खुद आगे आ सकते हैं।’
मोदी घांची-तेली जाति से संबंध रखते हैं, जो ओबीसी कैटिगरी में आती है। मोदी ने लोकसभा चुनाव में बिहार और उत्तर प्रदेश में पिछड़ी और अनुसूचित जातियों का समर्थन हासिल करने के लिए ‘नीची जाति’ का कार्ड खेला था। लोकसभा चुनाव में बीजेपी को उत्तर प्रदेश में 80 में से 71 और बिहार में 40 में से 22 सीटें मिली थी। सूत्रों ने बताया कि आने वाले दिनों में मोदी बिहार चुनाव के लिए दोबारा यह कार्ड चल सकते हैं।
देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट
हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :
कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:
हमें ईमेल करें : [email protected]