‘बीते 6 महीने से बात नहीं कर रहे थे कोहली और कुंबले’

नई दिल्ली। बीसीसीआई के शीर्ष अधिकारियों को यह आभास था कि टीम में सब कुछ सही नहीं चल रहा है। लेकिन जब उन्हें पता चला कि कप्तान विराट कोहली और मुख्य कोच अनिल कुंबले ‘पिछले 6 महीनों’ से आपस में बात नहीं कर रहे थे, तो वे भी हैरान रह गए। एक और महत्वपूर्ण बात यह भी सामने आई है कि सचिन तेंडुलकर, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण की मुख्य सलाहकार समिति (सीएसी) ने भी कुंबले का कार्यकाल बढ़ाने को सीधे तौर पर हरी झंडी नहीं दिखाई थी।

इस पूरे प्रकरण के दौरान लंदन में मौजूद रहे बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘रिपोर्ट्स में कहा गया है कि सीएसी ने कुंबले का कार्यकाल बढ़ाने के लिए कहा है। उन्होंने ऐसा कहा था, लेकिन इसमें एक शर्त भी थी सभी लंबित मसलों को सुलझाने के बाद ही कुंबले को रिटेन किया जाना चाहिए।’

आईसीसी चैंपियंस ट्रोफी फाइनल के बाद भारतीय टीम के होटल में तीन अलग-अलग बैठकें हुई। पहली बैठक में कुंबले बीसीसीआई के शीर्ष पदाधिकारियों और सीएसी सदस्यों से मिले। इसके बाद उन्होंने कोहली के साथ बैठक की। तीसरी और अंतिम बैठक काफी घटना प्रधान रही, जिसमें कोहली और कुंबले साथ में थे।

बातचीत पूरी तरह से नाकाम रही क्योंकि उनके बीच किसी तरह का संवाद नहीं हो पाया। अधिकारी ने कहा, ‘इन दोनों ने पिछले साल दिसंबर में इंग्लैंड टेस्ट सीरीज समाप्त होने के बाद एक-दूसरे से बात करना बंद कर दिया था। समस्याएं थीं, लेकिन यह हैरान करने वाला था कि दोनों के बीच पिछले 6 महीने से सही तरह से संवाद नहीं था। रविवार को फाइनल के बाद वे एक साथ बैठे और वे दोनों सहमत थे कि उनका साथ-साथ चलना मुश्किल है।’

सूत्रों से पूछा गया कि समस्या क्या थी? उन्होंने कहा, ‘जब हमने अनिल से अलग से बात की और विशेष तौर पूछा कि क्या किसी तरह की समस्या है, तो उन्होंने कहा कि उन्हें विराट से कोई समस्या नहीं है। उन्होंने उनके कामकाज के कुछ क्षेत्रों की भी बात की, जिनसे कोहली को आपत्ति है। अनिल ने कहा कि ये कोई मसले नहीं हैं।’ अधिकारियों के पास कोई विकल्प नहीं था।

अधिकारी ने कहा, ‘अगर दोनों पक्षों में से एक पक्ष मानता है कि ये मसले हैं, जो कि दूसरे को कोई मसले नहीं लगते तो फिर ये दोनों ही उनको सुलझा सकते हैं। जब दोनों एक साथ बैठे, तो दोनों ने महसूस किया कि अब इनको सुलझाया नहीं जा सकता है। अनिल का बारबाडोस के लिए टिकट कर दिया गया था। उनकी पत्नी को भी वहां पहुंचना था, लेकिन वह समझ चुके थे कि उनका कार्यकाल खत्म हो चुका है।’

अधिकारी से पूछा गया कि क्या वह इस पर विस्तार से बता सकते हैं, उन्होंने कहा, ‘विराट को लगता था कि अनिल उस क्षेत्र में भी दखल देते हैं, जिस पर पूरी तरह से उनका अधिकार है। जहां तक भारत के पूर्व कप्तान और भद्रजनों में से एक अनिल की बात है, तो उनका मानना था कि उनकी अपनी राय होती है लेकिन आखिरी फैसला हमेशा कप्तान का होता है।’

 

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