मंत्रालयों को सरकार नहीं अमित शाह दे रहे हैं आदेश, …..तो क्या सीबीआई और ईडी जैसी संस्थाओं को भी अमित शाह ही चला रहे हैं?

नई दिल्ली। सत्ताधारी राजनीतिक पार्टियों पर हमेशा संवैधानिक संस्थाओं में हस्तक्षेप के आरोप लगते रहे हैं। इसी कारण कांग्रेस के दौर में सीबीआई का नाम ‘पिंजरे का तोता’ पड़ा। इसी तरह वर्तमान मोदी सरकार और बीजेपी पर भी विपक्षी पार्टियां सीबीआई और ईडी के इस्तेमाल का आरोप लगाती रही हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या संवैधानिक संस्थाएं या सरकार किसी ऐसे व्यक्ति के आदेश को मान सकती हैं जो संसद या सरकार का हिस्सा तक न हो।

एक रिपोर्ट के अनुसार 6 अप्रैल 2017 को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय समेत कई मंत्रालयों को एक पत्र लिखा। इस पत्र में बीजेपी अध्यक्ष ने लिखा कि बीजेपी के महापुरुष दीनदयाल उपाध्याय की जन्म शताब्दी पर सभी मंत्रालयों में प्रकाशित होने वाले विज्ञापनों में उनकी जन्म शताब्दी का ‘लोगो’ (चिन्ह) इस्तेमाल करें।

अमित शाह ने जो पत्र केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों को लिखा है उसमे कहा गया है कि अगर मंत्रालयों और विभागों ने अपने यहाँ प्रकाशित होने वाली सामग्री में ‘दीनदयाल उपाध्याय के ‘लोगो’ का इस्तेमाल नहीं किया तो उन्हें इसे छापने का इंतज़ाम कर लें। मंत्रालयों ने बीजेपी अध्यक्ष के पत्र को डीओ ((demi-official)) के पत्र की तरह इस्तेमाल किया। सरकारी नियमों के अनुसार, यह केवल सरकारी अधिकारियों के बीच के पत्राचार में उपयोग किया जाता है।

अख़बार द हिन्दू की माने तो अमित शाह के पत्र के बाद, श्रम मंत्री ने 12 अप्रैल को अपने अधिकारी (ओएसडी) से इस आदेश पर जाँच और तत्काल “चर्चा” करने के लिए कहा। मंत्री के ओएसडी राहुल कश्यप ने 13 अप्रैल को केंद्रीय श्रम सचिव एम. सत्यावती को बताया कि केंद्रीय मंत्री बंडारु दत्तात्रेय का कहना है कि ईपीएफओ, ईएसआईसी आदि सभी के प्रकाशन और विज्ञापन पर दीनदयाल उपाध्याय के लोगो को संलग्न किया जाए। इसके बाद एक अंडर सेक्रेटरी ने इस नोटिस को कार्यवाही के लिए सभी कार्यालयों में भेजा।

रिपोर्ट के अनुसार एक अधिकारी का कहना है कि ऐसा संभवतः पहली बार हुआ है जब किसी पार्टी अध्यक्ष ने सीधे मंत्रालयों को पत्र लिखा है। यानी पहली बार किसी पार्टी अध्यक्ष ने सीधे तौर पर सरकार के मंत्रालयों को आदेश दिया है। हालंकि इससे पहले मंत्रालय और इनके अधीन आने वाली कई कंपनियां ‘स्वच्छ भारत’ और अन्य लोगो का इस्तेमाल तो करती थी लेकिन अब उन्हें दीनदयाल उपाध्याय के जन्म शताब्दी का लोगो इस्तेमाल करना पड़ेगाा।

एक पूर्व कैबिनेट सचिव ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि  “श्रम मंत्रालय भाजपा की कोई सहायक कंपनी नहीं है। भाजपा अध्यक्ष, जो संसद सदस्य भी नहीं हैं, मंत्रालय को ऐसे निर्देश जारी नहीं कर सकते। मेरे विचार में यह अभूतपूर्व है।”

गौरतलब है कि जनसंघ और बीजेपी के नेता रहे दीनदयाल उपाध्याय के जन्म शताब्दी समारोह के लिए केंद्र ने 100 करोड़ रूपये आबंटित किये हैं। इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार अपनी कई स्कीमों में दीनदयाल उपाध्याय का नाम जोड़ती आयी है। दीनदयाल उपाध्याय जनसंघ के नेता थे और जनसंघ से ही बीजेपी निकली।

रिपोर्ट के अनुसार शाह ने मंत्रालयों को यह भी आदेश दिया है कि अगले छह महीनों में दीनदयाल उपाध्याय की कही बातों के लिए प्रचार-प्रसार के कार्यक्रम तय करें। केंद्र सरकार ने पिछले साल 25 सितम्बर से ये कार्यक्रम शुरू कए थे और इसके लिए आयोजन समिति भी बनाई थी।

 

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