महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर मंदिर में भीड़ ने महिलाओं को प्रवेश करने से रोका

shaniमुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट के निर्देश के बाद भूमाता ब्रिगेड की महिलाओं ने शनिवार को एक बार फिर शनि शिंगणापुर मंदिर में चबूतरे पर जाकर पूजा करने की कोशिश की। ब्रिगेड की महिलाओं को चबूतरे पर जाने से रोकने के लिए स्थानीय लोगों की बेकाबू भीड़ पहले से ही मंदिर में मौजूद थी।

चबूतरे पर महिलाओं को जाने की मनाही है। पिछले साल नवम्बर में एक महिला ने चबूतरे पर चढ़कर शनि भगवान की मूर्ति पर तेल चढ़ा दिया था जिसके बाद मंदिर का शुद्धिकरण किया गया। इसके बाद भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड की महिलाओं ने इस सालों पुरानी परंपरा को तोड़ने की कोशिश की। इसी साल 26 जनवरी को इन महिलाओं ने चबूतरे पर चढ़ने की कोशिश की लेकिन मंदिर तक पहुंचने से पहले ही पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया था। इसके बाद बॉम्बे हाई कोर्ट में समानता से आराधना के अधिकार को लेकर जनहित याचिका दायर की गई। इसके जवाब में कोर्ट ने कहा था कि महिलाएं बिना भेदभाव के मंदिर में जा सकती हैं।

शनिवार को ब्रिगेड की महिलाओं ने एक बार फिर चबूतरे पर चढ़ने की कोशिश की। स्थानीय निवासियों की भीड़ उन्हें रोकने के लिए पहले से मौजूद थी। लड़ाई महिलाओं के अधिकार की थी लेकिन महिलाएं ही महिलाओं के खिलाफ खड़ी थीं। यह सारा फसाद महिलाओं को चबूतरे पर जाकर पूजा करने से रोकने के लिए था।

भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड की अध्यक्ष तृप्ति देसाई ने कहा, “आज हाई कोर्ट के आदेश की अवमानना हुई है, अन्याय है। आज संविधान का खून हुआ है। यह हमारे खिलाफ साजिश है। पुलिस और स्थानीय प्रशासन हमारी कोई मदद नहीं कर रहा।”

एक तरफ स्थानीय लोगों ने इन महिलाओं को रोकने के लिए मारपीट का रास्ता अपनाया। वहीं दूसरी ओर ट्रस्ट दोतरफा बयानबाजी करता दिखा। शनि शिंगणापुर ट्रस्ट के प्रवक्ता योगेश बांकर ने कहा कि “हम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं। महिलाओं के अधिकार का समर्थन करते हैं। इस तरह का विरोध नहीं होना चाहिए था। लेकिन हम इस बारे में कुछ नहीं कर सकते।”

भूमाता ब्रिगेड की मुट्ठी भर महिलाओं को शनि शिंगणापुर मंदिर में चबूतरे पर चढ़कर शनि भगवान की मूर्ति पर तेल चढ़ाने से रोकने के लिए हजारों की तादाद में स्थानीय निवासी मौजूद थे। शांति बनाए रखने का दावा करने के लिए 200 से ज्यादा पुलिसकर्मी भी मौजूद थे। स्थानीय निवासियों और ब्रिगेड की महिलाओं के बीच चले एक घंटे के संघर्ष के बाद ब्रिगेड की महिलाओं को मंदिर से हटाकर अस्पताल ले जाया गया। इस पूरे मामले में पुलिस के रोल पर सवाल उठे। आक्रामक भीड़ ने ब्रिगेड की महिलाओं के साथ-साथ मीडिया को भी निशाना बनाया। ब्रिगेड की महिलाएं दूसरी बार चबूतरे तक पहुंचने में नाकाम रहीं।

 

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