मुनव्वर राना बोले, थके हुए लोग लौटा रहे हैं सम्मान

लखनऊ।कन्नड़ विद्वान एमएम कलबुर्गी की हत्या और सांप्रदायिक सद्भाव में कमी के विरोध में कई साहित्यकारों के नागरिक सम्मान लौटाए जाने के बीच शहर के मशहूर शायर मुनव्वर राना ने कहा कि विरोध का तरीका गलत है। इसका मतलब है कि वे थक चुके हैं और उन्हें अपनी कलम पर भरोसा नहीं है।
केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए देश भर में बड़ी संख्या में साहित्यकार साहित्य अकादमी पुरस्कार और नागरिक सम्मान लौटा रहे हैं, लेकिन राजधानी के मशहूर शायर मुनव्वर राना ने विरोध के इस तरीके पर सवाल उठाया है। राना कहते हैं, ‘लेखक का काम समाज को सुधारना है। हमें समाज की चिंता करनी चाहिए।’
उन्होंने कहा कि जिन घटनाओं के विरोध में सम्मान लौटाए जा रहे हैं, वे समाज के अलग-अलग समूहों ने की हैं। उन्होंने कहा कि हमारा विरोध समाज के उन लोगों से है, न कि हुकूमत से। राना ने कहा कि सम्मान लौटाने को विचारधारा से जोड़ना गलत है। विचारधारा कोई भी हो, साहित्यकार जिन मूल्यों के लिए काम करते हैं, वे भिन्न नहीं हैं। उन्होंने कहा कि साहित्य अकादमी स्वायत्तशासी संगठन है। यह पूरी तरह सरकारी संस्था नहीं है। अगर सरकार ऐसी संस्था में दखल देती है तो यह गलत है। मैंने ऐसे ही दखल के खिलाफ उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी से इस्तीफा दिया था।
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